अनाज के साथ-साथ फसल अवशेष के सही उपयोग से किसानों की बढ़ेगी आमदनी- मुख्यमंत्री

पटना, 14 अक्टूबर 2019:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज फसल
अवशेष प्रबंधन पर आयोजित दो दिवसीय (14-15 अक्टूबर)
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का दीप प्रज्ज्वलित कर उदघाट्न किया।
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री
ने कहा कि कृषि विभाग और बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के
द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन पर इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में सभी
अतिथियों का स्वागत करता हूं। इस आयोजन में अनेक
वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों के द्वारा विमर्श से कई बातें सामने
आएंगी। उन्होंने कहा कि फसल कटाई के बाद पराली में आग
लगाने से पर्यावरण पर बुरा असर पड़ता है। पहले दिल्ली-पंजाब में
इसका प्रचलन ज्यादा था जिसका असर दिल्ली के वातावरण पर भी पड़ाता
है। बिहार में भी कुछ जगहों पर अब पराली जलायी जाने लगी है।
हवाई यात्राओं के दौरान मुझे भी इसका आभास हुआ। इसे
रोकने के लिए कृषि विभाग को अभियान चलाने की सलाह दी गई
है। उन्होंने कहा कि इसके विरूद्ध पंजाब हरियाणा में भी अभियान
चलाया गया है लेकिन फिर भी यह रुक नहीं पा रहा है। इसके मूल
कारणों को भी जानना-समझना होगा। बिहार में कम्बाइंड
हार्वेस्टर का उपयोग बढ़ता जा रहा है जो ज्यादातर पंजाब से आता
है। यह भी संभावना है कि कम्बाइंड हार्वेस्टर के उपयोग
करने वाले किसानों को पराली जलाने के संबंध में गलत जानकारी
दी जा रही है। किसान सलाहकारों एवं कृषि से जुड़े प्रतिनिधिओं
को किसानों के बीच जाकर पराली जलाने से होने वाले नुकसानों
के बारे में किसानों को सही जानकारी देनी चाहिए और उन्हें
पराली नहीं जलाने के प्रति जागरुक करना चाहिये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि
पारली जलाने से खेती की उपज में कमी तो आती ही है साथ ही
पर्यावरण संकट भी पैदा हो रहा है। अभी फसल अवशेष प्रबंधन पर
आधारित एक लघु फिल्म दिखायी गयी है। कृषि वैज्ञानिकों एवं
विशेषज्ञों के कुछ सुझावों को भी इसमें शामिल कर इसे
और बेहतर बनाकर गांव-गांव में किसानों को दिखाया जाना
चाहिए। उन्होंने कहा कि हमलोग रबी एवं खरीफ फसलों के पहले
किसानों के बीच अभियान भी चलाते हैं। जलवायु के अनुकूल

कृषि कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है। इसकी शुरुआत 8 जिलों में
की गई है। बिहार कृषि विष्वविद्यालय, सबौर, राजेंद्र कृषि
विष्वविद्यालय, बोरलॉग इंस्टीच्यूट ऑफ साउथ एशिया, पूसा एवं
भारतीय कृषि अनुसंधान परिसर के क्षेत्रीय इकाई इस कार्य में लगे
हुये हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता
दोनों कम थी। वर्ष 2008 में पहला कृषि रोडमैप बनाया
गया। वर्ष 2012 में दूसरा और वर्ष 2017 से 2022 तक के लिए
तीसरा कृषि रोडमैप बनाया गया है, इससे कृषि उत्पादन एवं
उत्पादकता दोनों बढ़ी है। उन्होंने कहा कि एक तरफ प्रगति
हो रही है लेकिन दूसरी तरफ इससे जलवायु परिवर्तन भी देखने को
मिल रहा है। दूसरे देशों में भी पर्यावरण के साथ
छेड़छाड़ का असर अलग-अलग जगहों पर पड़ रहा है। बिहार में
भी जलवायु परिवर्तन के परिणाम दिख रहे हैं। पहले राज्य में औसत
वर्षापात 1200 से 1500 मि0मी0 थी। इस वर्ष को छोड़कर पिछले
30 वर्षों का औसत वर्षापात 1027 मि0मी0 जबकि पिछले 13
वर्षों का 900 मि0मी0 जबकि पिछले वर्ष का 750 मि0मी0
वर्षापात था। पिछले वर्ष 280 ब्लॉक (प्रखंड) में सुखाड़ की
स्थिति बनी थी। इस वर्ष जुलाई महीने में 12 जिलों में
फ्लैश फ्लड की स्थिति बनी। सितंबर महीने में गंगा नदी के जलस्तर
में अचानक वृद्धि से 12 जिले प्रभावित हुए। 27-28 और 29 सितंबर
को भारी वर्षा हुई, जिससे राज्य के कई क्षेत्रों के अलावे
पटना के कुछ इलाकों में जलजमाव की स्थिति बनी। उन्होंने
कहा कि पर्यावरण के छेड़छाड़ से जलवायु परिवर्तन देखने को मिल
रहा है। बापू ने कहा था कि ये धरती सबकी जरुरतों को पूरा करने
में सक्षम है लेकिन लालच को नहीं। हर घर बिजली का कनेक्शन
उपलब्ध कराया गया है। लेकिन उसके दुरुपयोग को रोकने के लिए
लोगों को जागरुक किया जा रहा है साथ-साथ अक्षय ऊर्जा यानि सौर
ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए जल-जीवन-हरियाली
अभियान की शुरुआत की गई है। जल और हरियाली है तभी जीवन
है। उन्होंने कहा कि इस अभियान के अंतर्गत 11 प्रकार की कार्य
योजना तैयार की गई है। साथ-साथ जागरुकता कार्यक्रम भी चलाया
जा रहा है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग के माध्यम से ग्राउंड वाटर का
स्तर ठीक करना है। कुआं, पईन, आहर, पोखरों का जीर्णोद्धार कर
जल संचयन को बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है। नई पीढ़ी के
लोग पर्यावरण के संरक्षण के लिए सजग हैं। उन्होंने कहा कि
लोगों को जागरुक करने के लिए सभी सरकारी भवनों एवं
स्कूलों में बापू के द्वारा बताए गए सात सामाजिक पापों और

पर्यावरण संरक्षण से संबंधित उनके कथन को दीवारों पर अंकित
कराया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन पर इस आयोजन से जो
बातें सामने निकलकर आएंगी उस पर पुस्तक तो प्रकाशित किया ही
जाएगा। लेकिन एक लघु फिल्म बनाकर फसल अवशेष प्रबंधन के बारे
में लोगों को जागरुक किया जाए। उन्होंने कहा कि किसानों
को यह बात समझानी होगी कि पराली के जलाने से खेतों में ऊपज
में कमी के साथ-साथ पर्यावरण पर भी फर्क पड़ रहा है।
किसानों को यह समझाना होगा कि अगर पराली का दूसरे कार्यों
में उपयोग किया जाए जैसे पराली को इकट्ठा कर कई अन्य प्रकार के
चीजों का निर्माण कराया जाए तो अनाज के साथ-साथ इससे भी
किसानों की आमदनी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि इस आयोजन
में विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और अन्य राज्यों से आए हुए किसान
इस संबंध में विचार करें। उन्होंने कहा कि हमलोग किसानों
को 75 पैसे प्रति यूनिट पर बिजली उपलब्ध करा रहे हैं। जबकि एक लीटर
डीजल पर 60 रुपए की सब्सिडी भी दे रहे हैं। किसानों की हर संभव
सहायता कर रहे है, जो किसान पराली जलाएंगे वो सरकार की तरफ से
मिलने वाली सुविधाओं से वंचित रह जाएंगे। उन्होंने कहा कि
इस सम्मेलन में परिचर्चा से जो उपयोगी बातें सामने आएंगी उसे
कार्य योजना में शामिल किया जाएगा।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री का स्वागत कृषि विभाग के सचिव श्री
एन0 श्रवण कुमार ने पौधा एवं प्रतीक चिन्ह भेंटकर किया।
मुख्यमंत्री एवं मंच पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने फसल
अवशेष प्रबंधन पर एक स्मारिका एवं एक पुस्तक का भी विमोचन किया।
फसल अवशेष प्रबंधन पर आधारित एक लघु फिल्म का भी प्रदर्शन किया
गया।
कार्यक्रम को उपमुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी, कृषि सह
पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मंत्री श्री प्रेम कुमार, मुख्यमंत्री
के पूर्व कृषि सलाहकार एवं कृषि वैज्ञानिक डॉ0 मंगला राय,
ए0सी0ए0आई0आर0 के डॉ0 एरिक हटनर एवं कृषि विभाग के सचिव श्री
एन0 श्रवण कुमार ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर राजेंद्र कृषि वि0वि0 के कुलपति डॉ0 आर0सी0
श्रीवास्तव, बिहार कृषि वि0वि0, सबौर के कुलपति श्री अजय कुमार सिंह,
मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव श्री
मनीष कुमार वर्मा, मुख्यमंत्री के विषेष कार्य पदाधिकारी श्री
गोपाल सिंह, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के अध्यक्ष डॉ0 ए0के0
घोष, कृषि विभाग के निदेशक श्री आदेश तितरमारे सहित अन्य
वरीय पदाधिकारीगण, अंतर्राष्ट्रीय एवं देश के विभिन्न क्षेत्रों के
कृषि वैज्ञानिक, विभिन्न केंद्रीय वि0वि0 के अध्यापकगण, विभिन्न

राज्यों से आए कृषि प्रतिनिधि एवं राज्य के विभिन्न हिस्से से आए
कृषक एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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