कोरोना’ भी जाएगा, पत्थर खींच लकीर-साहित्य सम्मेलन के फ़ेसबुक पटल पर लाइव हुए ख्याति-लब्ध गीतकार पं बुद्धिनाथ मिश्र

by Sunayana singh

पटना, ११ जुलाई। “आया है सो जाएगा, राजा रैंक फ़क़ीर/ ‘कोरोना’ भी जाएगा, पत्थर खींच लकीर—जिस बस्ती से भाग कर शहर अनजान/वह बस्ती भी अब नही रही उसे पहचान– नादिया के पार जब दिया टिमटिमाए/ अपनी क़सम मुझे तुम्हारी याद आए–“। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के फ़ेसबुक पटल पर, शनिवार की संध्या ६ बजे से ७ बजे तक, ‘कोरोना’ सहित विभिन्न सामाजिक विषयों से लेकर प्रेम और ऋंगार के गीतों के साथ, साहित्य की गीतिधारा में देश के अग्र-पांक्तेय गीतकार पं बुद्धिनाथ मिश्र, देहरादून से लाइव रहे। एक घंटे के इस लाइव कार्यक्रम में पं मिश्र ने अनेक रंगों और अनुभूतियों की रचनाओं का सस्वर मधुर पाठकर, एक हज़ार से अधिक की संख्या में पटल से जुड़े सुधी दर्शकों को मंत्र-मुग्ध बांधे रखा।

संसार भर के कवियों के लिए सृजन का ज्वलंत विषय बन चुके ‘कोरोना’ पर अपनी कविता बढ़ाते हुए पं मिश्र ने कहा कि “मज़दूरों ने चख लिया महानगर का स्वाद/ रोटी पर घी की जगह, लहू रखे जल्लाद/ जो सोते थे आज तक बिछा-बिछा अख़बार/ ख़बरों में अख़बार के छाए अबकी बार/ कान न छोड़ूँगा कभी फिर फिर पकड़ूँ कान/ खेत मदैया गाय ही अपनी जान जहान/ सारा सुख तो दे रहा अपना भारत देश/ कहाँ जाएगा घूमने बंजर हुआ विदेश”।

‘पावस’ आए और कवि उसपर न कहे, यह कैसे संभव है! उन्होंने अपने इस मधुर गीत को स्वर देते हुए कहा- “ सावन की गंगा जैसी गदराई तेरी देह/ बिन बरसे न रहेंगे अब ये काले काले मेह/ नाच गुजरिया नाच कि आई कि आई कज़रारी बरसात री/ सतरंगे सपनों में झूमे आज अनहरिया रात री/ बेज़ुबान झोपड़ियाँ, बौराए नाले/ बरगद के तलवों में और पड़े छालें/ दुखनी की आँखों की कोर फिर भिगो गई/ अबकी फिर बाग़मती घर आँगन धो गई।”

दर्शकों के आग्रह पर उन्होंने प्रेम और विरह का अपना यह लोकप्रिय गीत भी पढ़ा कि – “नादिया के पार जब दिया टिमटिमाए/ अपनी क़सम मुझे तुम्हारी याद आए!” उन्होंने जीवन पर अपने विचार रखते हुए कहा – “ज़िंदगी अभिशाप भी, वरदान भी/ ज़िंदगी दुःख में पाला अरमान भी/ क़र्ज़ साँसों का चुकाती जा रही/ ज़िंदगी है मौत पर एहसान भी”

पटल पर लाइव आरंभ होते ही, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने पं बुद्धिनाथ मिश्र समेत इससे जुड़े एक हज़ार से अधिक सुधी साहित्यकारों एवं श्रोताओं का सम्मेलन की ओर से स्वागत किया। डा सुलभ ने बताया कि १२ जुलाई को हिन्दी की वरिष्ठ और सम्मानित कवयित्री डा शांति सुमन राँची से इस पटल पर लाइव रहेंगे

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