“अमरीका के एक डेयरी किसान ने पहले अपनी 55 गायों को गोली मारी और फिर ख़ुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। सर्वोच्च तकनीकी और प्रौद्योगिकी के बावजूद वह लगातार घाटा झेल रहा था। तकनीक का विकास खेती के संकट का इलाज होता तो अमरीका के 90 फ़ीसदी डेयरी किसानों ने डेयरी को छोड़ नहीं दिया होता।अगर आज किसान आत्महत्या कर रहे हैं तो उसके लिए ज़िम्मेदार हम भी हैं, आप भी हैं क्योंकि हमने जानने बूझने के बावजूद असली संकट के बारे में बातचीत करना बंद कर दिया है।अपने देश मे औद्योगिक उत्पादों की कीमत निर्धारित है.मगर कृषि उत्पादों की कीमत निर्धारित नहीं है ।कृषि उत्पादों की कीमतों मे थोड़ी वृद्धि होने पर मिडिया और अर्थशास्त्री के साथ साथ आम जन भी हल्ला मचाने लगते हैं कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को धक्का लगेगा मगर उद्योगपतियों के हजारों करोड़ के कर्ज माफ होने पर या सरकारी कर्मचारियों के वेतन-भत्तों मे वृद्धि होने पर कहीं कोई चर्चा नहीं होती ।”ये बातें पटना के गांधी संग्रहालय मे आयोजित प्रो0विनोदानन्द सिंह स्मृति व्याख्यात्मक आयोजित की 17 वीं कड़ी में मुख्य वक्ता के रूप मे बोलते हुए प्रख्यात पत्रकार एवं कृषि विशेषज्ञ श्री देविन्दर शर्मा कही गयीं । एक घंटा 20 मिनट के धारा प्रवाह भाषण मे श्री शर्मा ने अमेरिका और यूरोप के देशों मे कृषि की स्थिति अपने भारत मे कृषि की स्थिति की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि हमारे देश के योजनाकार विदेश की कृषि नीति को हू ब हू भारत मे लागू करने मे विश्वास करते हैं ,उसमे परिस्थिति के अनुसार परिवर्तन करने पर विचार ही नहीं करते ।
प्रो0 विनोदानन्द सिंह स्मृति समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ समाजवादी नेता एवं पूर्व सांसद श्री शिवानंद तिवारी ने की तथा संचालन शाहिद कमाल ने की ।आयोजन का आरम्भ स्व0विनोदानन्द सिंह की बेटी अलका सिंह द्वारा आगत अतिथियों के स्वागत से हुआ और अंत सभाध्यक्ष शिवानंद तिवारी जी के अध्यक्षीय भाषण एवं धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ ।खचाखच भरे सभागार मे पटना, बिहटा , मुज्जफ्फरपुर, बांका सहित अन्य स्थानों से आए अनेक समाजसेवी एवं बुद्धिजीवी उपस्थित रहे.जिनमे बी एन विश्वकर्मा ,महेन्द्र यादव,चितरंजन भारती राम प्रवेश राय ,बी एन सिंह,इन्दिरा रमण उपाध्याय ,रामेश्वर चौधरी ,हेमन्त पटेल कानाम उल्लेखनीय है ।
