ज़िंदगी से शिकायत करूँ तो नहीं, किस ख़ुशी में रहूँ, कुछ कहो तो ज़रा — ! साहित्य सम्मेलन के फ़ेसबुक पटल पर लाइव हुई हिन्दी और मैथिली की लोकप्रिया कवयित्री डा शेफालिका वर्मा

By sunayna singh

पटना, १४ जुलाई। “ज़िंदगी से शिकायत करूँ तो नहीं, किस ख़ुशी में रहूँ कुछ कहो तो ज़रा/ कौन सुरभित सुमन की प्रशंसा करूँ/ कौन सा चाँद देखूँ व्यथा व्योम में?”। इसी तरह के चूभते प्रश्नों और वेदना के आँसूँ से भिगोती कविताओं से, वरिष्ठ और लोकप्रिया कवयित्री डा शेफालिका वर्मा, दर्शकों के हृदय को तरल करती रहीं। वो, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के फ़ेसबुक पटल पर, मंगलवार की संध्या ६ बजे से ७ बजे तक लाइव रहीं।

अपने प्रश्नों को आगे बढ़ाते हुए, उन्होंने पूछा- “कौन सा पाठ चलूँ? कौन मंज़िल चुनूँ? कौन दीपक जलाऊँ तिमिर तोम में? यह सही है कि मेरी व्यथा कुछ नही/ दो घड़ी दर्द मेरा सहो तो सही”। अपना गीत ‘बता दो ज़रा’ का पाठ करती हुईं, उन्होंने अपनी वेदना इन पंक्तियों में प्रकट किया कि – “काल के क्रूर आघात ऐसे लगे/ स्वप्न की हर कली अधखिली रह गई/ पाँव बहके अगर आसरा देखकर/राह चुपचाप कोई व्यथा भर गई/ तट तेरी समझ में है दूर नही/ पर मेरी तरह से बहो तो सही!”

अपनी एक दूसरी कविता में उन्होंने काल और आज के ‘राम और रावण’ का यों चित्र खींचा- “सुरा सुंदरी की दौर में / राजनीति की होड़ में/ राम तो क्या मनुष्य रावण होना भी भूल जाता है/ रावण का एक ही पाप था/ पर स्त्री का अपहरण/ कारण बनी शूर्पणखा बहन/ किंतु उसने सीता का स्पर्श तक नहीं किया/ प्रत्येक वर्ष रावण जलाने का शौक़ / क्या मनुष्य होने के घमंड में ? क्या हम राम बन जाते हैं?

‘कोरोना’ पर अपनी कविता पढ़ते हुए उन्होंने कहा- “ मेरे सामने पार्क में उग आए/ कुछ धतूरे के फल/ अचानक ही देख काँप उठा तन मन/ अरे ये कोरोना पेड़ में कैसे निकल आए/ ठीक वही रंग रूप/ वही धान-पान/ जिसे न्यूज़ में देखती बारंबार/ एक ख़ौफ़ सा रहता दिल दिमाग़ में छाया/ जो रहता मन को भरमाया/ पर, निगेटिव सोंच कभी डरना नहीं/ तन को कभी पोज़िटिव होने देना नहीं/ पास-पास रहो घर में/ पर दूर-दूर ही रहना!”

आरंभ में सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने सम्मेलन के पटल पर डा शेफालिका वर्मा एवं सैकड़ों की संख्या में पटल से जुड़ कर आनंद ले रहे सुधी दर्शकों का स्वागत किया। डा सुलभ ने बताया कि फ़ेसबुक लाइव का अगला कार्यक्रम १७ जुलाई को होगा, जिसमें देश के वरिष्ठ कवि प्रज्ञान पुरुष पं सुरेश नीरव अपनी रचनाओं के साथ उपस्थित होंगे।

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