नज़रिए हो गए छोटे हमारे, अब बौने बड़े दिखने लगे हैं —

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By Sunayana singh

पटना, २१ जुलाई। “नज़रिए हो गए छोटे हमारे/ अब बौने बड़े दिखने लगे हैं/ चले इंसानीयत की राह पर जो/ मुसीबत में पड़े दिखने लगे हैं— हमने उम्र से पहाड़ जिए/ और भी कठोर हुई ज़िंदगी/ दृष्टि खंड-खंड टूटने लगी/ कोहरे की भोर हुई ज़िंदगी — सागर चरण पखारे, गंगा शीश चढ़ावे नीर/ मेरे भारत की माटी है चंदन और अबीर”। प्रेम, ऋंगार, राष्ट्रीय भावना और समाज के बदलते तेवर को चित्रित करने वाली ऐसी ही मर्म-स्पर्शी पंक्तियों के साथ, गीति-धारा के सुविख्यात और लोकप्रिय कवि डा सोम ठाकुर, ताज महल के नगर आगरा से, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के फ़ेसबुक पटल पर, मंगलवार की संध्या ६ बजे से लाइव रहे। समकालीन-कविता में गीत के शीर्ष कवियों में से एक सोम जी को सुनना एक उपलब्धि की तरह रहा, जिनसे सकड़ों की संख्या में सुधी दर्शक सीधे जुड़े रहे।

स्वदेश के प्रति अपने प्रांजल भावों को प्रकट करते हुए उन्होंने भारत की वंदना इन पंक्तियों से की – “सागर चरण पखारे, गंगा शीश चढ़ावे नीर/ मेरे भारत की माटी है चंदन और अबीर”। एक दूसरे गीत में, उन्होंने काव्य के चरमोत्कर्ष की अभिव्यक्ति इन पंक्तियों में दी कि – “गाते-गाते तुझे, गीत का स्वर भजन हुआ/ साँस-साँस हो गई आरती, जीवन हवन हुआ”।

देश की स्वतंत्रता के लिए वलिदान जाने वाले अमर सेनानियों को भूलते जा रहे इस देश पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए, उन्होंने कहा – “आज़ादी के दीवानों की, अमर कहानी भूल गए/ अपना कुनबा याद रहा, सबकी क़ुर्बानी भूल गए”। उन्होंने अपनी संस्कृति और भाषा की वंदना भी की – “करते हैं तन मन से वंदन, जन-गण-मन की अभिलाषा का/ अभिनंदन अपनी संस्कृति का, आराधन अपनी भाषा का।”

उन्होंने प्रेम और ऋंगार के भी गीत पढ़े। कहा – “जाओ पर संध्या के संग लौट आना तुम/ चाँद की किरण निहारते न बीत जाए रात”— लौट आओ माँग के सिंदूर की सौगंध तुमको/ नयन का सावन निमंत्रण दे रहा है”– “पहले तो प्यार भरे गीत को उठाओ तुम/ पीछे कचनार भरी अँजुरी को जोड़ना/ पहले तो चितवन को चितवन से बाँधो तुम/ पीछे फिर चम्पे की शाख़ों को जोड़ना”।

आरंभ में सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने फ़ेसबुक पटल पर प्रो सोम ठाकुर का सादर अभिनंदन किया और सैकड़ों की संख्या में पटल से जुड़ कर आनंद ले रहे सुधी दर्शकों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। डा सुलभ ने बताया कि फ़ेसबुक लाइव का अगला कार्यक्रम २४ जुलाई को होगा, जिसमें वरिष्ठ और सुकंठी कवयित्री डा लता चौहान, बेंगलुरु से पटल पर लाइव रहेंगी।

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