प्राईवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शयामल अहमद ने प्रधानमंत्री के सम्बोधन को सुनने के बाद खेद जताया और कड़े शब्दों में कहा कि प्राईवेट स्कूलों के प्रति सरकार का सौतेला व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। सभी प्राईवेट स्कूलों और उनके स्टाफ ने मेल द्वारा प्रधानमंत्री और मानव संसाधन मंत्रालय को अपनी विषम आर्थिक स्थिति से अवगत कराया है और लाकडाऊन के कारण उत्पन्न समस्याओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पूरे देश से लाखो पत्रों द्वारा यह संदेश प्रधानमंत्री को भेजा गया है। प्राईवेट विद्यालयों को सुचारू रूप से चलाने का फीस ही एकमात्र साधन है। मार्च से फीस न आने के कारण विद्यालय अपने शिक्षक और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों को वेतन देने में असमर्थ है और सभी के लिए जीवनयापन करना अब असम्भव प्रतीत हो रहा है।
विद्यालय प्रबंधन एवं समस्त कर्मचारी अत्यधिक मानसिक तनाव और पीड़ा से गुज़र रहे हैं जो जानलेवा साबित हो सकता है।शमायल अहमद ने कहा कि शिक्षक समाज हमारे देश का महत्त्वपूर्ण अभिन्न अंग है और हमारे निवेदन को सरकार को महत्व देकर समय रहते समस्यायों का समाधान करना चाहिए। गरीबों और किसानों के लिए योजना बनाते समय सरकार यह कैसे भूल सकती है कि सभी के बच्चों का भविष्य बनाने वाले शिक्षक आज भुखमरी की कगार पर आ गये हैं।क्या सरकार का उनके प्रति कोई दायित्व नहीं बनता। उन्होंने आग्रह किया कि सरकार सभी प्राईवेट विद्यालयों को सरकारी स्कूलों में प्रति छात्र पर होने वाले खर्च के अनुसार आर्थिक अनुदान दे और लाकडाऊन तक यह सहायता जारी रखे।
