
फाईलेरिया की दवा को खाकर एमडीए कार्यक्रम को सफल बनाएं : डॉ इंद्रदेव रंजन
- सर्वजन दवा कार्यक्रम में केयर करेगी तकनीकी सपोर्ट
– दो वर्ष से नीचे गर्भवती महिलाएं एवं गंभीर रोग से ग्रसित लोगों को नहीं खिलायी जाएगी दवा
वैशाली। 25 सितंबर
आपने सुना होगा कि किसी का पैर हांथी जैसा हो गया है या किसी के हाइड्रोसील बड़ा हो गया है। यह रोग ही फाइलेरिया कहलाता है। हांथीपांव के मरीज को ठीक तो नहीं किया जा सकता पर इसे फैलने से रोका जा सकता है। जिसने भी पांच साल यह दवा खा ली उसे कभी भी फाइलेरिया संबंधी बीमारी नहीं हो सकती। 28 सितंबर से 11 सितंबर तक 14 दिन आशा के द्वारा प्रत्येक घरों में खिलाई जाएंगी। ये बातें सिविल सर्जन डॉ इंद्रदेव रंजन ने जिला स्वास्थ्य समिति, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च तथा केयर वैशाली के तत्तवाधान में शुक्रवार को सदर अस्पताल स्थित सभागार में आयोजित मीडिया कार्यशाला के दौरान कही।
इस मौके पर जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ सत्येन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि सर्वजन दवा के कार्यक्रम के सफलतापूर्वक संचालन के लिए आशा प्रत्येक घर का भ्रमण करेगीं। वह नित्यदिन 50 घरों का दौरा करेंगीं। इसके लिए प्रखंड स्तर पर टीम तैयार कर ली गयी है। एक टीम में दो आशा रहेगीं। दवा की पर्याप्त मात्रा सभी सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है। दो वर्ष से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाएं एवं गंभीर रोग से ग्रसित लोगों को दवा नहीं खिलायी जाएगी । सभी प्रखंडों में टास्क फोर्स एवं कोओर्डिनेशन कमिटी का गठन किया जा चुका है। जिला एवं प्रखंड स्तर पर चिकित्सकीय आपात से निपटने के लिए रैपिड रेस्पांस टीम का गठन किया गया है।
हर उम्र के लोगों के लिए अलग खुराक
इस मौके पर डब्ल्यूएचओ के स्टेट एनटीडी कोओर्डिनेटर डॉ राजेश पांडेय ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि सर्वजन दवा कार्यक्रम को सफल बनाने में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है। आपके जरिए लोगों तक फाइलेरिया के बारे में सूचना पहुंचे । लोग जागरुक हों, तभी इस कार्यक्रम को सफल बनाया जा सकता है। फाइलेरिया दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इसका इलाज न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है और समाजिक दंश भी झेलना पड़ता है। फाइलेरिया से जुड़ी विकलांगता जैसे लिंफोइडिमा (हांथीपांव) और हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन) के कारण पीड़ित लोगों को अक्सर सामाजिक बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। यह एक घातक रोग है जिससे पांच वर्षों तक साल में एक बार दवा सेवन कर बचा जा सकता है.इस अभियान में डीईसी एवं एलबेंडाजोल की गोलियाँ लोगों की दी जाएगी। 2 से 5 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की एक गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली, 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की दो गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली एवं 15 वर्ष से अधिक लोगों को डीईसी की तीन गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली दी जाएगी। एलबेंडाजोल का सेवन चबाकर किया जाना है। इस कार्यक्रम की सफलता तभी सफल होगी जब मौके पर आशा द्वारा दिया गया दवा की खुराक खुद से लें। 14 कार्य दिवस में चलाए जा रहे इस कार्यक्रम में 7 वें और 14 वें दिन आशा री विजिट करेगीं। जिनमें छूटे हुए लेागों को दवा खिलाया जाएगा।
कटोरी मेथड से आशा खिलाएंगी गोली
कोविड के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए इस बार आशा लोगों के घरों में जाएंगी और उनके घर में उम्र के अनुसार गोलियों को उनके कटोरे में डाल देंगी और सामने में वह दवा खिलवाएंगी। वह एलबेंडाजोल की गोली को चबा कर खाने के लिए भी प्रोत्साहित करेगीं।
कोविड मानकों का रखा जाएगा ख्याल
डॉ सत्येन्द्र ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एमडीए के महत्व को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने कोविड वैश्विक महामारी के दौरान भी एमडीए कार्यक्रम संपन्न कराने का निर्णय लिया है। उन्होंने कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए सभी सुरक्षा सावधानियों (स्वच्छता, मास्क और शारीरिक दूरी) को अपनाने के महत्व पर बल दिया है। मौके पर सिविल सर्जन डॉ इंद्रदेव रंजन, डीवीभीडीसीओ डॉ सत्येन्द्र प्रसाद, डब्ल्यूएचओ स्टेट एनटीडी कोओर्डिनेटर डॉ राजेश पांडेय, उपाधीक्षक सदर अस्पताल, केयर डीटीएल सुमित कुमार, डीपीओ वीएल सोमनाथ ओझा, वीबीडीओ प्रीति, राजीव, सीफार से रंजीत कुमार, मीडिया कोओर्डिनेटर अमित कुमार सिंह सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे।