बिहार म्यूजियम में ’शाॅप’ की शुरूआत

बिहार म्यूजियम अब राजधानी पटना का सबसे बड़ा दर्शनीय स्थल बन
चुका है। यहाँ संरक्षित एवं प्रदर्शित मूर्तिकला, चित्रकला और लोककला
की अलौकिक कलाकृतियों का दीदार करने के लिए प्रतिदिन बड़ी संख्या
में देशी-विदेशी दर्शकों/कला मर्मज्ञों का आगमन हो रहा
है। उनमें से ज्यादातर की यह मांग रहती थी कि बिहार म्यूजियम में एक
ऐसी दुकान हो, जहाँ म्यूजियम में संरक्षित मूर्तियों की प्रतिकृति
(त्मचसपबं) के साथ-साथ बिहार की समृद्ध एवं उन्नत लोककलाएँ वाजिब दर पर
उपलब्ध हो, जिसे वे सौगात के रूप में अपने साथ ले जा सकें। उनकी
मांग पर आज से बिहार म्यूजियम में इस ’शाॅप’ की शुरूआत की जा रही है।
म्यूजियम शाॅप के शुरूआत के पीछे हमारा एक और उद्देश्य है, वह
है बिहार के लोक एवं समकालीन कलाकारों को उनके उत्पादों का
उचित मूल्य दिलाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना।

बिहार म्यूजियम में
अवस्थित ’शाॅप’ का उद्घाटन करते हुए बिहार म्यूजियम के
महानिदेशक श्री अंजनी कुमार सिंह ने यह बातें कहीं। श्री अंजनी
कुमार सिंह ने कहा कि बिहार संग्रहालय के इस शाॅप में जिन सामग्रियों
की आज से बिक्री की जा रही रही हैं, वे सभी बिहार के कलाकारों द्वारा
निर्मित हैं और उचित मूल्य पर उपलब्ध है।
बिहार म्यूजियम के शाॅप में बिहार की विश्वविख्यात मधुबनी
पेंटिंग से लेकर सिक्की कला, टेराकोटा, सुजनीकला, कशीदाकारी,
टिकुली पेंटिंग, भागलपुरी सिल्क, बम्बु क्राफ्ट, काष्ठ कला, मंजूषा
कला और पेपरमैसी से बनी कलात्मक सामग्रियाँ उपलब्ध हैं। साथ ही
बिहार म्यूजियम में संरक्षित यक्षिणी, नालन्दा सील और कई अन्य
मूर्तियों की प्रतिकृतियों की भी बिक्री की जा रही है।

यह जानकारी
देते हुए बिहार म्यूजियम के अपर निदेशक श्री अशोक कुमार सिन्हा ने
बताया कि बिक्री की जा रही सभी कलाकृतियों का मूल्य तरह निर्धारित किया
गया है कि वे बाजार दर से कम हो, साथ ही यह भी ध्यान रखा गया है कि
उन्हें बनाने वाले कलाकारों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य
मिल सके। उद्घाटन के अवसर पर संग्रहालय के उप निदेशक श्री सुनील
कुमार झा, संग्रहाध्यक्ष सुश्री मौमिता घोष, संग्रहाध्यक्ष-सह-प्रभारी
अपर निदेशक (प्रशा०) श्री रणवीर सिंह राजपूत, संग्रहालीय सहायक डाॅ रवि
शंकर गुप्ता, संग्रहालीय सहायक-सह-युवा संग्रहालय विशेषज्ञ श्रीमती
स्वाति सिंह, लेखापाल श्री योगेन्द्र प्रसाद पाल एवं बिहार संग्रहालय की
टीम के साथ-साथ बड़ी संख्या में शिल्पकार भी उपस्थित थे।

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