भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव कामरेड सत्य नारायण सिंह का आज दाह-संस्कार पटना के बांस घाट स्थिति विद्युत शव-दाह गृह में कर दिया गया

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव कामरेड सत्य नारायण सिंह का
आज दाह-संस्कार पटना के बांस घाट स्थिति विद्युत शव-दाह गृह में कर दिया गया।
दाह-संस्कार कोविड-19 के मृतकों के लिए बने प्रोटोकाॅल के मुताबिक पटना
प्रषासन की देख-रेख में किया गया।

सी.पी.आई. राज्य सचिव कामरेड सत्य नारायण सिंह पिछले 26 जुलाई को
कोरोना पीड़ित के रूप में रूबन मेमोरियल हाॅस्पीटल पटना में भत्र्ती हुए
थे। हालत विगड़ते देख प्लाज्मा थेरेपी के लिए उन्हें एम्स में स्थानान्तरित
किया गया था जहां कल 2 अगस्त की रात उनका निधन हो गया था।

कामरेड सत्य नारायण सिंह का जन्म 1942 में रामनवमी के दिन देवका
कैथी, चैथम (खगड़िया) मुंगेर में हुआ था। इनके पिता स्व॰ द्वारिका
प्रसाद सिंह एक संभ्रात किसान थे। इनकी प्राथमिक षिक्षा गांव के ही विद्यालय में
हुई थी। जिला स्कूल मुंगेर में षिक्षा प्राप्त करने के बाद वे विष्वविद्यालय की
षिक्षा प्राप्त करने के लिए भागलपुर विष्वविद्यालय के टी.एन.बी. काॅलेज के विद्यार्थी
बने। स्नातकोत्तर इन्होंने अंग्रेजी एवं राजनीतिक अर्थषास्त्र दोनों
विषयों में किया।

1967 में स्नातकोत्तर की षिक्षा प्राप्त करने के बाद वे जगजीवन राम
महाविद्यालय में काॅलेज षिक्षक के रूप में काम करने लगे। पर इस कार्य में मन नहीं
लगने पर 1968 में षिक्षक की नौकरी छोड़ वे वकालत करने लगें। 1969 में वे
पार्टी में शामिल हुए और इसी वर्ष अपने गांव के पंचायत कैथी के मुखिया
चुने गए। 1969 से वे लगातार कैथी पंचायत के मुखिया पद पर निर्वाचित होते रहे
तथा 1980 में चैथम प्रखंड के प्रमुख बने। जन प्रतिनिधि के रूप में ये लगातार
जनसेवा से जुड़े रहे। 1990 से 2000 तक वे चैथम विधान सभा क्षेत्र से विधायक
निर्वाचित हुए। किसानों की सेवा के लिए वे 2009 से 2014 तक बिहार राज्य किसान सभा
के महासचिव रहे और बड़े पैमाने पर भूमि मुक्ति आंदोलन का नेतृत्व किया
इस प्रकार मुखिया, प्रखंड प्रमुख और विधायक के रूप में जनसेवा से
वर्षों तक जुड़े रहे। पार्टी ने और भी व्यापक राजनीतिक फलक पर जनसेवा के लिए
इन्हें 2015 में सम्पन्न भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव चुनकर इन्हें
अधिक जिम्मेवारी दी। 2018 में पुनः मधुबनी राज्य सम्मेलन में इन्हें दुबारा
राज्य सचिव चुना गया। इस प्रकार एक जनप्रतिनिधि ओर राजनेता के रूप में इन्होंने एक
संघर्षषील, जुझारू, मजबूत इच्छा शक्ति वाले मजबूत संगठनकत्र्ता के रूप में अपनी
छवि निर्मित की और पार्टी के सर्वोच्च नेतृत्व राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य की
उच्चाई को प्राप्त किया। इसी बीच वे कोरोना जैसी महामारी के षिकार हो गए
और अपने पीछे अपने चार पुत्री एक पुत्र डा॰ अंकित अन्नत और हजारों पार्टी
कार्यकत्र्ताओं को छोड़कर चले गये और अपनी जीवन यात्रा और कार्य से एक
अनुकरणीय मार्ग हमें सौंपकर हमसे विदा ल ेली।

भारतीय कम्युनिस्ट पाटी्र का राज्य सचिवमंडल उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता
है और उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने का संकल्प लेता है।
कोरोना महामारी के चलते लागू प्रोटोकाॅल के मुताबिक तथा पार्टी
के केन्द्रीय नेतृत्व के निर्देष के आलोक में केारोना से बचने और कोरोना
प्रसार को रोकने के लिए दाहसंस्कार में शामिल होने से मनाही थी पर साथियों
ने अपनी भावना के वष में आकर लगभग डेढ़ दर्जन की संख्या में दूरी बनाकर इस
कार्यक्रम में भाग लिया।
इनमें डा॰ अंकित और परिवार के अन्य सदस्यों के अतिरिक्त पार्टी नेतृत्व के
पटना जिला सचिव रामलाला सिंह, गजनफर नवाब, रविन्द्र नाथ राय, विष्वजीत कुमार, राकेष
कुमार, अषोक कुमार सिन्हा प्रमोद नन्दन आदि शामिल थे।

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