मौत के कारणों के मूल्यांकन पर एम्स में अमेरिका और स्पेन के विशेषज्ञों ने दिए व्याख्यान

पटना/उमेश

मृत्यु के कारणों के मूल्यांकन में मिनिमली इनवेसिव टिश्यू सैंपलिंग (एमआईटीएस) की भूमिका के बारे में जागरूकता फैलाने के प्रयास में कार्यकारी निदेशक डॉ. जी.के. पाल की अध्यक्षता में एम्स पटना के समिति कक्ष में एक बैठक आयोजित की गई.

दरअसल, एमआईटीएस औपचारिक शव परीक्षण की तरह शरीर को पूरी तरह से खोले बिना मृत शरीर से ऊतक और शरीर के तरल पदार्थ निकालने की एक विधि है.
संयुक्त राज्य अमेरिका और स्पेन के आगंतुकों द्वारा उपदेशात्मक व्याख्यान और प्रस्तुतियाँ दी गईं. आरटीआई इंटरनेशनल, यूएसए के प्रधान अन्वेषक नॉर्मन गोको और बार्सिलोना इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल हेल्थ, स्पेन के सर्जिकल पैथोलॉजिस्ट डॉ. नतालिया राकिस्लोवा ने दर्शकों को आरटीआई इंटरनेशनल के दायरे और कार्यात्मक क्षेत्रों के साथ-साथ इसमें शामिल कदमों के बारे में विचार प्रस्तुत किया. शवों पर एमआईटीएस का प्रदर्शन करना और ट्राम दृष्टिकोण के रूप में मृत्यु का अंतिम कारण बताने के लिए उन्हें कैसे संसाधित किया जाएगा, इसके बारे में नई दिल्ली की एक ट्रस्ट के डॉ. मनोज कुमार दास ने भारत में एम आई टी एस की अब तक की भूमिका और अनुप्रयोग पर चर्चा की.

एम्स पटना के चिकित्सा अधीक्षक और एमआईटीएस परियोजना के साइट प्रमुख अन्वेषक डॉ. सी. एम. सिंह ने एम्स पटना में परियोजना की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी दी.इस परियोजना के लिए भारत में चुने गए अन्य दो स्थल एन ई आई जी आर आई एम एस , शिलांग और श्री राम मूर्ति स्मारक मेडिकल कॉलेज, बरेली हैं. टीम ने एम्स पटना के आसपास सामुदायिक नेताओं और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत के लिए रेफरल अस्पताल नौबतपुर और नौबतपुर के अजवा गांव का भी दौरा किया. विभिन्न प्रस्तुतियों के बाद उपस्थित संकायों से प्रश्न उत्तर सत्र का आयोजन भी किया गया. बैठक कार्यकारी निदेशक द्वारा अतिथियों के अभिनंदन और प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. मुक्ता अग्रवाल के धन्यवाद ज्ञापन के साथ समाप्त हुई.

Share

Related posts: