कथासार कलाकार का फ़न कभी छोटे रास्ते से हासिल नहीं हो सकता उसके लिए लगन व मेहनत ही एक रास्ता हैI ऐसे ही एक वृद्ध कलाकार की कथा-व्यथा मंच पर दिखता है नाटक “बैण्ड मास्टर”। वरिष्ठ रंगकर्मी परिमल दत्ता का लिखा नाटक “बैण्ड मास्टर” यह साबित करता है कि उम्र कभी रचनात्मक कार्य में बाधक नहीं होती। वृद्ध बैंड मास्टर अपने स्वास्थ्य के कारण असमर्थ होता जाता है, पर अपरिपक्व युवा पीढ़ी को अपना साज़ सौपना नहीं चाहता, क्योंकि वो बदलाव की बयार में शास्त्रीयता से दूर हो गये हैं। कुछ यही बयां करता है नाटक बैण्ड मास्टर। दो पीढ़ियों के संघर्ष को बैण्ड मास्टर के माध्यम से बड़ी ही सहजता से दर्शाया गया है।
पात्र परिचय
मास्टर – अभिलाष नारायन मुबारक – शुभम पालीवाल हुसैन – रोहित यादव अली – आशीष यादव रज़िया – अंजली सिंह हज़रत – रजत कुशवाहा मालिक – अक्षत अग्रवाल मुनीम – अजय मुखर्जी शागिर्द 1 – प्रतीक सिंह शागिर्द 2 – हिमांशु तिवारी शागिर्द 3 – दिग्विजय सिंह शागिर्द 4 – आर्यन प्रकाश
नेपथ्य मंच रंगदीपन- सुजॉय घोषाल संगीत संचालन – शुभम वर्मा मंच निर्माण – शांकू तिवारी व सभी कलाकार मंच सामग्री – सभी कलाकार, रूपसज्जा – संजय चौधरी प्रस्तुतकर्ता – आलोक रस्तोगी प्रस्तुति – विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान, प्रयागराज आलेख – परिमल दत्ता संगीत, परिकल्पना एवं निर्देशन – अजय मुखर्जी