क्लाइमेट सोल्यूशंस को मुख्य चुनाव मुद्दा बनाने की राजनीतिक दलों से अपील सिविल सोसाइटी संगठनों द्वारा क्लाइमेट मैनिफेस्टो के निर्माण के लिए कंसल्टेशन बैठक

पटना, 18 सितम्बर : बिहार के सिविल सोसाइटी संगठनों तथा सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड ) के द्वारा आज पटना में प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ एक परामर्श बैठक का आयोजन किया गया, जहां उनसे बिहार में जलवायु परिवर्तन के परिणामों को गंभीरता से लेने तथा आगामी चुनाव में इसके समाधान हेतु संकल्प लेने की अपील की गई. बैठक का मुख्य उद्देश्य राज्य में ‘जलवायु घोषणापत्र’ (क्लाइमेट मैनिफेस्टो) के निर्माण में सबके सुझाव और विचार लेना था और क्लाइमेट सोल्यूशंस जैसे विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा, क्लीन एयर फ्रेमवर्क और क्लाइमेट चेंज को कम करने के उपायों पर राजनीतिक सहमति बनाना था. इस बैठक में राज्य के प्रमुख दलों जदयू, भाजपा, कांग्रेस, राजद, और जन अधिकार पार्टी के प्रवक्ताओं के साथ-साथ कई पर्यावरणविद, शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता और समाजसेवी संगठनों के प्रतिनिधि ने भाग लिया.

बिहार में जलवायु परिवर्तन के कारण भारी पैमाने पर सामाजिक- आर्थिक क्षति हो रही है. नेशनल इनिशिएटिव ऑन क्लाइमेट रिजिलिएंट एग्रीकल्चर के अनुसार राज्य के 38 जिलों में से 24 जिले गंभीर और 12 जिले काफी संवेदनशील हैं. भारत के गंगा मैदानी क्षेत्र के 161 जिलों की संवेदनशीलता सूची (वल्नेरेबिलिटी इंडेक्स) के टॉप 20 लिस्ट में बिहार के 16 जिले आते हैं. आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार पिछले तीन दशकों में बाढ़ से 9500 लोगों की मृत्यु हुई तथा 80987 करोड़ की फसल बर्बाद हुई. पिछले तीस वर्षों में बिहार में औसत 55 दिनों की बारिश घट कर 37-40 दिन हो गई. कृषि विभाग के अनुसार कि केवल एक साल 2015 के दौरान पाला, बेहिसाब बारिश और ओलावृष्टि के कारण 14 लाख हेक्टेयर में लगी फसलों का नुकसान हुआ. बिहार के आधे भाग में निरंतर सूखा पड़ने के कारण लोगों के जीवन पर संकट पैदा हो गया है.

क्लाइमेट सोल्यूशंस के विषय पर सिविल सोसाइटी संगठनों के प्रयास की सराहना करते हुए माननीय मंत्री, सूचना एवं जन संपर्क विभाग और जदयू के प्रवक्ता श्री नीरज कुमार ने कहा कि “बिहार सरकार ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने हेतु कई कदम उठाया है. इस सन्दर्भ में जल-जीवन-हरियाली मिशन एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है. जदयू निश्चित तौर पर चुनाव में क्लाइमेट समाधान को चुनावी एजेंडा बनाएगा और इसी अनुरूप अपने घोषणापत्र में क्लाइमेट सोल्यूशंस को महत्वपूर्ण जगह देगा.”

सिविल सोसाइटी संगठनों के द्वारा उठाई गई मांग पर भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता श्री डॉ निखिल आनंद ने कहा कि “भाजपा जलवायु संकट को गंभीरता से ले रही है. हम सुनिश्चित करेंगे कि हमारी पार्टी के घोषणापत्र में क्लाइमेट समाधानों को प्रमुखता से जगह मिले, ताकि बिहार सतत विकास के रास्ते पर अग्रसर हो.” राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता श्री मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि “बिहार में कृषि समस्या के निदान के लिए क्लाइमेट समाधानों की जरूरत है. हम निश्चय ही इसे चुनाव का मुख्य मुद्दा बनाएंगे.” कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता डॉ हरखू झा ने कहा कि “हम स्वीकार करते हैं कि जलवायु परिवर्तन का असर व्यापक है और ग्रामीण क्षेत्र के गरीब लोग इससे सर्वाधिक प्रभावित हो रहे हैं. इस चुनाव में हम क्लाइमेट सोल्यूशंस को अपने घोषणापत्र में शामिल करने का प्रयास करेंगे.” जन अधिकार पार्टी के प्रवक्ता श्री अवधेश लालू ने भी क्लाइमेट सोल्यूशंस को समर्थन दिया और डीआरई समाधानों को व्यापक पैमाने पर अपनाने पर बल दिया।

इस मौके पर श्री रमापति कुमार, सीईओ, सीड ने कहा कि “बिहार गंभीर जलवायु संकट से जूझ रहा है और मैं सभी राजनीतिक पार्टियों से अपील करता हूँ कि वे इस चुनौती की गंभीरता को समझें और क्लाइमेट चेंज के दुष्प्रभावों को ख़त्म करने के लिए ठोस कदम उठाएं. बिहार की जनता अपने नेताओं से डिसेंट्रलाइज्ड रिन्यूएबल एनर्जी (डीआरई) मिशन, क्लीन एयर मिशन, प्रभावी सिंचाई प्रणाली, पारंपरिक जल स्रोतों के पुनरुद्धार और हानिकारक अपशिष्ट संकट के समाधान जैसे मुद्दों पर नेतृत्व की उम्मीद कर रही है. विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा आधारित क्लाइमेट समाधान कृषि और स्वास्थ्य क्षेत्र को बेहतर करने में सक्षम हैं और ये आजीविका के नए अवसर भी सृजित करेंगे.” श्री रमापति कुमार ने आगे बताया कि “दरअसल राजनेता ही मतदाताओं की आकांक्षाओं पर पकड़ रखते हुए डीआरई आधारित क्लाइमेट सोल्यूशंस को जमीन पर उतारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.”

इस अवसर पर ‘किसान चाची’ राजकुमारी देवी ने सिविल सोसाइटी की बात रखते हुए कहा कि “बिहार के लोग अप्रत्याशित मौसम बदलाव के कारण पैदा संकट से आजीविका खो रहे हैं. जलवायु परिवर्तन से मानव अस्तित्व की गंभीर चुनौती पैदा हो गयी है. मुझे विश्वास है कि सभी राजनीतिक दल अपने वैचारिक मतभेदों को भूल कर क्लाइमेट सॉल्यूशन पर आम राजनीतिक सहमति बनाएंगे और इसे आगामी चुनाव का सबसे प्रमुख मुद्दा बनाएंगे.”

बैठक में यह सर्वसहमति के साथ स्वीकार किया गया कि जलवायु समाधान के लिए राजनीतिक सहमति बननी जरूरी हैं. बैठक में श्री राम लाल खेतान (प्रेसिडेंट, बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन), डॉ मनोज कुमार श्रीवास्तव (प्रोजेक्ट हेड, भारतीय एग्रो इंडस्ट्रीज फाउंडेशन), गोपाल कृष्ण (पर्यावरणविद), डॉ अरुण कुमार (महावीर कैंसर संस्थान), सुश्री अंकिता सिंह (प्रेसिडेंट, रोटरी क्लब), देवोप्रिया दत्ता (कोर्डिनेटर, तरुमित्र), अब्दुल जब्बार (प्लान इंडिया), श्री विवेक तेजस्वी (आद्री), डॉ बीके दास ( एनआईटी), डॉ बीके सिंह (बीएआईएफ), शाइस्ता अंजुम (पर्यावरणविद), अमरनाथ तिवारी (पत्रकार), विनोद अनुपम (फिल्म क्रिटिक), पुष्यमित्र (पत्रकार), रश्मि वात्स्यायन (दूरदर्शन), अनूप अग्रवाल ( दुधवा पावर इंडस्ट्रीज) सहित कई सुधी नागरिकों ने भाग लिया.

यह सिविल सोसाइटी बैठक सीड के एक अभियान “हल्ला बोल 4 क्लाइमेट” के तहत चलाई जा रही कई गतिविधियों का हिस्सा है, जिसमें बिहार के विभिन्न हिस्सों में किसान चर्चा, डॉक्टर्स डायलॉग, टाउन हाल मीटिंग, सोलर संवाद यात्रा, सोलर मेला और जन स्वास्थ्य सुनवाई आदि कार्यक्रमों के जरिये क्लाइमेट क्राइसिस और इसके समाधानों जैसे विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा जैसे उपायों पर जनजागरूकता फैलायी जा रही है. साथ ही इसका मुख्य उद्देश्य लोगों की मांगों को सामने लाना, उन पर राजनीतिक सहमति बनाना और क्लाइमेट मैनिफेस्टो तैयार करना है

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