
कालिदास रंगालय में “देवदास” मंचन
79 वां अजीत गांगुली जयंती सह शिखर सम्मान 2020 अवसर परबिहार स्ट्रीट थियेटर अकादमी एंड रेपर्टवार(बिस्तार), पटना की नवीनतम नाट्य प्रस्तुति

देवदास// लेखक: शरतचंद्र चट्टोपाध्यायनाट्य //रूपांतरण व निर्देशन: उज्जवला गांगुली
कथासारएक लोकलुभावन सी अवधारणा ये है कि कोई प्रेम करे और इस कदर टुटकर करे कि प्रेम में सुधबुध खो दे पर प्रेम परवान न चढ़ सके। प्रेम भीतर जले और आप प्रेम के साथ अंदर- बाहर।अंदर प्रेम तड़पाए,बाहर दुनिया।देवदास यही है। भीतर की टीस में राख होती आत्मा का स्वरूप।देवदास का प्रेम भी एक ऐसा ही प्रेम है। बचपन में पारो से लगाव न जाने कब प्रेम में बदल जाता है। पढ़ाई पुरी करने के बाद देवदास अपने घर को लौट रहा है।घर में खुशी का माहौल है।पारो के प्रेम में डूबा देवदास के घरवालों को यह रिश्ता नागवार लगता है।देवदास ऊंचे घराने का है इसलिए उसके घरवाले उसकी शादी नीच कुल में जन्मी पारो से नहीं करना चाहते।देवदास जब अपने मां- बाप को राजी करने में असफल हो जाता है तो वह घर छोड़कर चला जाता है पारो को वह पत्र लिखता है कि वह उसे भूल जाए। पारो अपने प्रेम की अस्वीकृति से उस दिशा में कदम बढ़ा देती है जो उसे स्वयं पीड़ा देने की ओर ही ले जाती है।पारो के मां बाप अपने अपमान को बर्दाश्त नहीं कर पाते और पारो की शादी एक बड़े खानदान में कर देते हैं। इधर देवदास को अपनी गलती का अहसास होता है तो वह पारो के पास आकर अपनी गलती पर क्षमा मांगता है पर पारो शादी के लिए तैयार नहीं होती।वह जमींदार से विवाह कर लेती है।देवदास पूरी तरह टूट जाता है। इस पीड़ा की भरपाई उससे कहीं बड़ी पीड़ा से करने का मार्ग चुनता है।खुद को मिटाने का,प्रेम में आत्मोसर्ग का……।वह अपने आप को शराब में डूबो लेता है।अपने दोस्त चुन्नीबाबू के साथ कोट्ठे पर जाना शुरू करता है, जहां उसकी मुलाकात चंद्रमुखी से होती है।चंद्रमुखी एक बेश्या होते हुए भी वास्तविक प्रेम के दर्शन देवदास में करती है।उसके प्रेम में न कोई अभिमान, न दर्प, न ईर्ष्या, न प्रतिशोध।फिर भी अपने प्रेम से वो देवदास के जलते हृदय को शीतलता नहीं दे पाती।जब देवदास अपने जीवन के अंतिम क्षण के करीब आने लगता है तब उसे पारो से किया हुआ वचन याद आता है कि मरने के पहले पारो के चौखट पर एक बार जरूर आएगा।देवदास वचन पूरा करता है परन्तु पारो उसका दर्शन तक नहीं कर पाती।देवदास की अपने टूटे हुए दिल के साथ वहीं मृत्यू हो जाता है शेष मंच पर…………….
.मंच परदेवदास: अंशुमन विस्वासपारो: प्रतिज्ञा भारतीचंद्रमुखी: वर्षा पंडितचुन्नीबाबु: दुर्गेश श्रीवास्तवदेवदास का पिता: सुमित सिंहदेवदास की मां: चिरोश्री भट्टाचार्यपारो के पिता: नितेश वर्मापारो की मां: कुंज कुमारीधर्मदास: अमन पटेलरघु: नभडॉक्टर(१): आकाश उपाध्यायपारो के पति: गौरव कुमारडॉक्टर(२): चंदन कुमारगाड़ीवान: धर्मेन्द्र कुमार सिंह रौशनअन्य: राजीव रंजन,श्याम,आर्यन सिंहनेपथ्य मेंमंच परिकल्पना: प्रदीप गांगुलीप्रकाश परिकल्पना: अभिषेक कुमारप्रकाश संयोजन: राजकुमार शर्माध्वनि एवं संगीत: गुलशन कुमारवस्त्र विन्यास: एस० कृष्णा नायडू, राजीव रंजनरूप सज्जा: उपेन्द्र कुमारप्रस्तुति एवं मिडिया प्रभारी: राकेश कुमार//प्रस्तुति नियंत्रक: अमियनाथ चटर्जीसहायक निर्देशक: गुलशन कुमारनाट्य रूपांतरण एवं निर्देशन: उज्जवला गांगुलीआभार – बिहार आर्ट थियेटर,पटना

दिवंगत अजीत गांगुली की जयंती पर उन्हें श्रद्धा पूर्वक याद किया गया।उनके चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर रंगकर्मियों ने उन्हें याद किया
नाटक के पूर्व बिहार स्ट्रीट थियेटर अकादमी एंड रेपर्टवार (बिस्त्तार),पटना की ओर से 79 वां अजीत गांगुली जयंती सह शिखर सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। विस्तार पटना ने इस वर्ष अजीत गांगुली शिखर सम्मान से बिहार के वरिष्ठ रंगकर्मी कला साधक श्री परवेज़ अख़्तर को रंगकर्म के क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिए सम्मानित किया।उन्हें प्रतीक चिन्ह, प्रशस्तिपत्र, शॉल व गुलदस्ता भेंट की गई। इस अवसर पर दिवंगत अजीत गांगुली की जयंती पर उन्हें श्रद्धा पूर्वक याद किया गया।उनके चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर रंगकर्मियों ने उन्हें याद किया। वक्ताओं ने कहा कि अजीत गांगुली बिहार रंगमंच को एक नया आयाम एवं अलग पहचान बनाने में अपना योगदान देते रहे। उन्होंने अपने सम्पूर्ण जीवन को रंगमंच के प्रति समर्पित किया। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से बिहार आर्ट थियेटर के अध्यक्ष आर०एन०दास, महासचिव अरूण कुमार सिन्हा,उपसचिव गुप्तेश्वर कुमार, वरिष्ठ रंगकर्मी अमियनाथ चटर्जी, सुमन कुमार, गीता गांगुली,शिव प्रसाद शर्मा,प्रदीप गांगुली,राकेश कुमार आदि कई गणमान्य नागरिक व रंगकर्मी मौजूद थे।परवेज़ अख्तर की गैरमौजूदगी में उनके अनुज रंगकर्मी जावेद अख्तर और उमाकांत झा ने सम्मान ग्रहण किया और परवेज़ अख्तर के संदेश को पढ़ा ।धन्यवाद ज्ञापन उज्जवला गांगुली ने किया.
