from the desk of executive editor
निशांत करपटने पटना
बिहार की बनती चुनावी फिजा को नजदीक से देखें तो हैरानी होती है
गठबंधन एन डी ए का हो या फिर राजद का हो !
दोनों ही तरफ हम साथ साथ है, के धुन , पर हम दूर दूर है का खेल , चलने का नजारा है!
7 जून की डिजिटल रैली में एक तरफ बीजेपी की ओर से नेताओं, कार्यकर्ताओं और जनता को जोडने की डिजिटल कवायद चल रही थी, मगर हैरान करने करने वाली बात है कि उसी वक्त नीतीश कुमार अपने जदयू के नेताओं से जुड़े थे ! मतलब साफ है कि जदयू के लोगो ने अपने नेतृत्व के राह पर चलते हुए डिजिटल रैली से किनारा कर रखा था
वहीं दूसरी तरफ राजद और सहयोगी दलों का हाल भी वैसा ही है!
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम माझी की पार्टी हम के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि राजद और सहयोगी पार्टीयो की बैठक होनी चाहिए और चुनावी रणनीति पर गहरे विचार विमर्श होनी चाहिए तभी चुनावी दंगल में महागठबंधन का बल बढेगा!
दानिश रिजवान का कहना है कि तेजस्वी यादव एन डी ए के ऐक्शन का रियकशन दे रहे हैं !
कहीँ ऐसा न हो कि फिर चुनावी बिसात पर एन डी ए को चित करने के लिए,महागठबंधन की जोर आजमाइश कमज़ोर पड जाये
तो फिर सवाल है कि बिहार के दोनों ही गठबंधनों मे , चाहे सत्ता धारी एन डी ए हो या राजद का महागठबंधन हो ! दोनों ही, कोलिशन के अंदर आपसी सोशल डिसटेनसिंग का माजरा कया है !
जनाब गालिब साहब ने अर्ज किया था दिले नादां , तुझे हुआ कया है , आखिर इस दर्द की दवा कया है
कुछ ऐसा ही नजारा और हाल , बिहार में दोनों गठबंधनों का दिखाई देता है!