

पूर्व सांसद श्री आनंद मोहन की तीसरी नई पुस्तक “गांधी” (कैक्टस के फूल) का यहाँ बापू सभागार में संपन्न ‘लोकार्पण समारोह’ में आज देशभर के कई मूर्धन्य साहित्यकारों , गीतकारों , वरिष्ठ पत्रकारों, सीने कलाकारों और राजनेताओं का जमघट हुआ । सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र जी ने अपने सारगर्भित संबोधन में कहा कि आनंद मोहन जी से मेरी पहली संक्षिप्त मुलाकात ‘रेल यात्रा’ के दौरान हुई और उनके चुंबकीय व्यक्तित्व साहित्य के प्रति उनकी अभिरुचि और एक योद्धा राजनेता के रूप में मुझे उन्होंने आकर्षित किया । तब मैंने उनकी सजा बाद एक संस्मरण एक रात का सह यात्री’ राजस्थान की सम्मानित पत्रिका में लिख डाली । देखते-देखते जिसकी हजारों प्रतियां बिकी । उन्होंने बिहार को “प्रतिभाओं का कब्रगाह” बताते हुए कहा कि यहां आइंस्टीन को टक्कर देने वाले गणितज्ञ विक्षिप्त होकर अस्पताल में एडियाँ रगड़कर मर जाता है और आनंद मोहन जैसी विलक्षण प्रतिभा जेल में सड़ जाता है । वरिष्ठ पत्रकार और ‘चौथी दुनिया’ के संपादक श्री संतोष भारतीय ने कहा कि जेल ने आनंद मोहन को अंतर्मुखी बनाया और यहां एक साहित्यकार के रूप में वहां नए आनंद मोहन जी का जन्म हुआ। आनंद मोहन आने वाले दिनों में एक कलमकार के रूप में याद किए जाएंगे । जेपी सेनानी आनंद मोहन बिहार के युवाओं के असली ‘हीरो’ हैं । प्रति हिंसा और सांप्रदायिक टकरावो के बीच आज जब गांधी को गाली देने का दौर है, तो ऐसे मे उन्होंने बड़ी दृढ़ता से नई पीढ़ी के बीच “गांधी” को स्थापित करने का जोखम उठाया है । ऐसा आनंद मोहन सरीखे संघर्षशील व्यक्ति ही कर सकते हैं । मैं दिल्ली से चलकर उनकी लेखनी को नमन करने आया हूँ । मध्य प्रदेश से आए वीररस के कवि गजेंद्र ‘सोलंकी’ ने श्री मोहन को बिहार का भगत सिंह बताया और कहा कि जिस तरह आजादी के सात दशको बाद शहीद-ए-आजम ‘असेंबली बम कांड’ और ‘सांडर्स वध में निष्कलंक और दोष मुक्त हुए , वैसे ही आनंद मोहन भी आरोप मुक्त और निर्दोष साबित होंगे । ‘इलेक्ट्रॉनिक मीडिया’ के वरिष्ठ एवं स्वतंत्र पत्रकार कुमार संजय सिंह ने कहा दशकों पूर्व उनके संघर्ष के दिनों में साप्ताहिक ‘रविवार’ के रिपोर्टर के रूप में मैंने उन्हें गरीबों- मजलूमो के लिए लड़ने वाले ‘ रॉबिनहुड’ की उपाधि दी थी , जो बाद के दिनों में चर्चित रही। सिने अभिनेता अगस्त आनंद ने कहा मैं आनंद मोहन को एक ‘लीजेंड’ के रूप में जानता था । एक चिंतनशील लेखक के रूप में उनसे मेरा परिचय आज यहां आने के बाद हुआ । समारोह को संबोधित करते हुए फ्रेंड्स ऑफ आनंद के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री चेतन आनंद ने कहा कि लोग भले देश और दुनिया पर राज करें , मेरे पिता लोगों के दिलों पर राज करते हैं । उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से आग्रह किया कि हम स्वतंत्रता सेनानी परिवार से हैं । मेरे पिता स्वयं जेपी सेनानी और साहित्यकार हैं । जेल में बिताए अच्छे आचरण के आधार पर सरकार समय पूर्व उनकी रिहाई का रास्ता प्रशस्त करें ।

प्रांतीय अध्यक्ष कुलानंद यादव अकेला ने कहा आज आनंद मोहन नहीं, बिहार के गरीब -गुरवों की आवाज जेल में कैद है। आनंद मोहन -लवली आनंद के कनिष्ठ पुत्र अंशुमन मोहन ने बताया यह तो अभी झांकी है, पूरी फिल्म बाकी है । निर्दोष रहते मेरे पिता ने लगभग अपनी पूरी सजा काट ली । समय रहते अगर सरकार उन्हें रिहा नहीं करती तो निकट भविष्य में हम फिर भी जुटेंगे । और पटना घेरेन्गे । डॉ बुद्धिनाथ मिश्र, संतोष भारतीय , शिक्षाविद् डॉ वसीम खान, कुमार संजय सिंह, सिने अभिनेता अगस्त आनंद ने संयुक्त रूप से पुस्तक “गांधी”(कैक्टस के फूल)का विमोचन किया ।समारोह की स्वगताध्यक्ष पूर्व सांसद लवली आनंद ने आगत अतिथियों का अभिनंदन किया । लोकार्पण समारोह को पूर्वमंत्री अखलाक अहमद , मशहूर उर्दू शायर प्रोफेसर एहसान शाम, डॉक्टर जाकिर हुसैन ,नेपाल सद्भावना पार्टी के राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष शंभू सुप्रीम , उत्तर प्रदेश प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के युवा अध्यक्ष अमित जानी, झारखंड के पूर्व विधायक गुलशन आजमानी , पूर्व विधायक शंकर सिंह, अच्युतानंद सिंह , आनंद मोहन की पुत्री एडवोकेट सुरभि आनंद ,अतुल आनंद आदि ने मुख्य रूप से संबोधित किया । धन्यवाद ज्ञापन युवाध्यक्ष अमिताभ ‘गुंजन’ और संचालन प्रांतीय प्रवक्ता पवन ‘राठौड़’ ने किया ।