पटना, 26 नवम्बर 2019:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज नशा
मुक्ति दिवस समारोह का दीप प्रज्ज्वलित कर विधिवत उद्घाटन किया।
अशोक कन्वेंशन केंद्र स्थित ज्ञान भवन में आयोजित समारोह
में मध-निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री
आमिर सुबहानी ने मुख्यमंत्री को बोनसाई (पौधा) भेंटकर
उनका अभिनंदन किया। अशोक कन्वेंशन केंद्र के भूतल में
शराबबंदी के बाद बिहार की बदली तस्वीर से संबंधित चित्र प्रदर्शनी
का मुख्यमंत्री ने अवलोकन किया। समारोह में किलकारी, बिहार बाल
भवन के बच्चों ने नशा मुक्ति से संबंधित गीत प्रस्तुत किये।
मुख्यमंत्री के समक्ष सतत् जीविकोपार्जन योजना पर आधारित लघु फिल्म
प्रदर्शित की गई। समारोह में मद्य निषेध पर बनाये गये गान ‘हुलसे
अंगनवा’ पर आधारित लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई। जयपुर
(राजस्थान) के कलाकारों द्वारा शराबबंदी से संबंधित कठपुतली
नाट्य कार्यक्रम का प्रदर्शन किया गया। मुख्यमंत्री ने कठपुतली नाट्य
कार्यक्रम से जुड़े कलाकारों को अंगवस्त्र भेंटकर उनका स्वागत
किया। मद्य निषेध की दिशा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पुलिस
पदाधिकारियों, मद्य निषेध विभाग के अधिकारियों, जीविका
दीदियों को प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर मुख्यमंत्री ने
सम्मानित किया। नशा मुक्ति दिवस के अवसर पर सभी पंचायती राज
संस्थाओं के सदस्यों एवं जनप्रतिनिधियों को भेजे गए
संदेशो से संबंधित शिलापट्ट का मुख्यमंत्री ने रिमोट के माध्यम से
अनावरण किया। नशा मुक्ति दिवस समारोह में शामिल होने से पहले
अशोक कन्वेंशन केंद्र परिसर में मद्य निषेध के प्रचार-प्रसार हेतु
नषा मुक्ति संदेष बसों को मुख्यमंत्री ने हरी झंडी दिखाकर
रवाना किया। नशा मुक्ति दिवस समारोह का वेब कास्टिंग के माध्यम से
लाइव प्रसारण बिहार के सभी जिलों में किया गया।

समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 26
नवम्बर 2011 से हमलोगों ने बिहार में मद्य निषेध दिवस मनाना
शुरू किया। शराबबंदी के बाद अब इसे नशा मुक्ति दिवस के रूप में
मनाया जाता है। 5 अप्रैल 2016 को बिहार में पूर्ण शराबबंदी
लागू करने से पहले हमलोगों ने अभियान चलाकर शराब के उपयोग
के खिलाफ लोगों को जागरूक किया। छात्र जीवन से ही हम
शराबबंदी के पक्षधर थे और जब बिहार के लोगों ने हमंे काम
करने का मौका दिया तो इस दिशा में हमने अभियान चलाना शुरू
किया। 1977 में जननायक कर्पूरी ठाकुर जी द्वारा शराबबंदी लागू की
गयी थी परंतु उसे बाद में वापस ले लिया गया। इस कारण मेरे मन में
हमेशा यह संशय बना रहता था लेकिन जब 9 जुलाई 2015 को
महिलाओं ने श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित एक सम्मेलन में
शराबबंदी की मांग की तो मेरे मन में शराबबंदी को लेकर जो
शंकाएं थीं, वह दूर हो गयीं। उसी कार्यक्रम में हमने
घोषणा कर दी कि अगर फिर से हमें काम करने का मौका मिला तो
पूर्ण शराबबंदी लागू करेंगे। पुनः सरकार बनने पर 26 नवम्बर
2015 को ही हमने घोषणा कर दी कि 1 अप्रैल 2016 से बिहार में
शराबबंदी लागू होगी। इसके लिए बड़े पैमाने पर पूरे बिहार में
अभियान चलाया गया। 1 करोड़ लोगों ने अपने बच्चों के माध्यम
से एफिडेविट देकर यह संकल्प लिया कि हम शराब का सेवन नहीं करेंगे
और शराबबंदी के पक्ष में पूरा सहयोग करेंगे। शराबबंदी के पक्ष
में 9 लाख जगहों पर नारे लिखे गये और 25 हजार जगहों पर
कलाकारों द्वारा नाटकों की प्रस्तुति की गयी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी कानून में संशोधन के समय
विधानमंडल सदस्यों ने और उसके बाद पुलिस पदाधिकारियों एवं
पुलिसकर्मियों ने शराबबंदी के पक्ष में संकल्प लिया। शराबबंदी के
पक्ष में 21 जनवरी 2017 को मानव श्रृंखला बनायी गयी, जिसमें 4
करोड़ से अभी अधिक लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जो
दुनिया का रिकॉर्ड है। उसके बाद बाल विवाह और दहेज प्रथा के
खिलाफ 21 जनवरी 2018 को पूरे बिहार में 14 हजार किलोमीटर की
मानव श्रृंखला बनायी गयी। शराब पीने और शराब का धंधा करने
वाले करीब 2 लाख लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया। शराबबंदी के
खिलाफ बोलने वाले लोग तरह-तरह का दुष्प्रचार करने में जुट गये
और कार्रवाई को गरीब-गुरबों से जोड़कर तरह-तरह की बातें
करने लगे। हमने कहा कि बिहार की जेलों में 40 हजार लोगों
को ही रखने की क्षमता है तो फिर दो लाख लोग कहाँ से जेल में
हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी के बाद बदले घरेलू
माहौल और जीवन में आई बेहतरी एवं सुखद अनुभवों को
महिलाओं ने सार्वजनिक मंच से साझा किया। हत्या करने पर आजीवन
कारावास और फांसी तक की सजा है फिर भी ये अपराध होते हैं,
ऐसे में शराबबंदी के बाद भी चंद लोग हैं जो गड़बड़ करने
में लगे रहते हैं। उन पर कार्रवाई भी हो रही है। हर
पांच-छह महीने में हम शराबबंदी की समीक्षा करते रहते हैं और
इस बार भी 23 तारीख को मीटिंग बुलाकर एक-एक बिंदु पर हमने
अधिकारियों से बात की है। सिर्फ ड्राईवर और खलासी को
पकड़ने से काम नहीं चलेगा, शराब कहाँ से आ रही है और यह
कहाँ बन रही है, इसकी गहराई से जाॅच करने की जरूरत है। पुलिस, मद्य
निषेध विभाग के साथ ही स्पेशल ब्रांच से जुड़े लोगों को
पूरी सजगता से निगरानी रखनी होगी ताकि गड़बड़ करने वालों पर
कठोर कार्रवाई हो सके। सभी लोगों को यह याद रखना चाहिए
कि शराबबंदी के पक्ष में आप सभी ने संकल्प लिया है इसलिए इसे
भूले नहीं और न ही गड़बड़ होने दें। उन्होंने कहा
कि इस बार समीक्षा बैठक में हमने पुलिस महानिदेशक, गृह, मद्य
निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव, आई0जी0
प्रोहिबिशन, ए0डी0जी0 स्पेशल ब्रांच को कहा है कि सप्ताह में
प्रतिदिन सोमवार से शुक्रवार पांच दिन आधे घंटे की मीटिंग कर हर
पहलू पर समीक्षा करें। इससे गड़बड़ी करने वालों पर तत्काल कठोर
कार्रवाई हो सकेगी और गड़बड़ी करने की कोई हिम्मत नहीं
करेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने
के बाद अप्रैल 2017 में क्रिश्चियन समुदाय के लोगों ने केरल में
हमें आमंत्रित किया था। बिहार में पर्यटक, बौद्ध या जैन समाज के
लोग शराब पीने नहीं आते हैं और शराबबंदी लागू होने के
बाद ही हमने कह दिया था कि कोई यहाँ आकर शराब पीना चाहता
है तो उसको बिहार आने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि
वर्ष 2015 में बिहार आने वाले स्थानीय एवं विदेशी पर्यटकों
की संख्या 2 करोड़ 89 लाख थी, जिसमें विदेशी पर्यटकों की संख्या
9 लाख 23 हजार थी। पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद वर्ष
2016 में बिहार आने वाले पर्यटकों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गयी
और पर्यटकों की संख्या बढ़कर 2 करोड़ 95 लाख हो गयी, जिसमें
विदेशी पर्यटकों की संख्या 10 लाख 10 हजार थी। 2017 में बिहार
आने वाले पर्यटकों की संख्या 3 करोड़ 35 लाख हो गयी, जिसमें
विदेशी पर्यटक 10 लाख 83 हजार थे। वहीं वर्ष 2018 में बिहार
आने वाले पर्यटकों की संख्या 3 करोड़ 47 लाख रही, जिसमें
विदेशी पर्यटकों की संख्या 10 लाख 88 हजार थी। इस प्रकार से बिहार
में शराबबंदी के बाद पर्यटकों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी
ही दर्ज की गयी। यह बात हमने केरल के लोगों को भी बतायी
थी। राजनैतिक नफे नुकसान और टैक्स के कारण शराबबंदी लागू
करने की लोग हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। बिहार में वित्तीय
वर्ष 2015-16 में 5 हजार करोड़ रूपये की राजस्व उगाही हुई
थी। इसकी चिंता छोड़ हमने बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू
की ताकि समाज का वातावरण और बिहार के लोगों का स्वास्थ्य बेहतर
हो सके। उन्होंने कहा कि जनता सरकार बनाती है तो हमारा यह परम
दायित्व है कि खजाने की चिंता छोड़ लोगों की चिंता करें
और उनके बेहतरी के लिए काम करें। शराबबंदी के बाद बिहार में
कौन सा काम रुका है, सवाल खड़ा करने वाले लोग हमें जरा बता
दें। उन्होंने कहा कि अब दारु की जगह लोग दूध, मिठाई,
बच्चों की पढ़ाई, पोशाक और जीवन की बेहतरी में अपनी
गाढ़ी कमाई खर्च कर रहे हैं। शराबबंदी से पूरे बिहार में
अमन-चैन का माहौल कायम है। गड़बड़ी करने वालों को किसी
भी सूरत-ए-हाल में नहीं बख्शा जायेगा, वह चाहे कोई भी
क्यों न हो। हमने आज तक न किसी को फंसाने का और न ही किसी
को बचाने का काम किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सतत् जीविकापार्जन योजना का लाभ 48
हजार 759 परिवारों तक पहुंचाया जा चुका है, जिसमेे 11,590
परिवारों का संबंध दारु और ताड़ी के व्यापार से रहा है। इस
योजना से जुड़े परिवारों को 60 हजार से 1 लाख रूपये तक की राशि
मुहैया कराई गयी है, जिससे वे वैकल्पिक रोजगार कर रहे हैं। इसके
अलावा सात महीने तक प्रतिमाह एक हजार रूपये भी ऐसे परिवारों को
मुहैया कराया जा रहा है। नीरा का काम हमलोगों ने जो शुरू
कराया था, वह निरंतर चलना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट
की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब पीने के कारण दुनिया
भर में मरने वालों की संख्या प्रतिवर्ष 30 लाख है। दुनिया भर
में जीतनी मौतें होती हैं, उनमें 15.3 प्रतिशत मौत शराब पीने
के कारण हुआ करती हैं। शराब सेवन के कारण दुनिया भर में 18
प्रतिशत आत्महत्यायें, 18 प्रतिशत आपसी झगड़े, 27 प्रतिशत सड़क
दुर्घटनायें, 13 प्रतिशत मिर्गी, 48 प्रतिशत लीवर की बीमारी, 26
प्रतिशत माउथ कैंसर एवं 20 प्रतिशत टीबी की बीमारी हुआ करती
हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी के कारण कुछ लोग मेरे
खिलाफ हैं लेकिन इस मसले पर हम कभी समझौता नहीं करेंगे।
वर्ष 2017 में शराबबंदी के पक्ष में जबकि 2018 में बाल विवाह
और दहेज प्रथा के खिलाफ हमलोगों ने मानव श्रृंखला बनायी
थी। हमलोगों ने यह पुनः निर्णय लिया है कि 21 जनवरी 2020
को शराबबंदी, दहेज प्रथा, बाल विवाह के साथ-साथ
जल-जीवन-हरियाली अभियान को लेकर मानव श्रृंखला बनायें। जो

पूर्व में बनी मानव श्रृंखला के सभी रिकॉर्ड को पीछे छोड़
देगा। गाँधी जी ने कहा था कि शराब पीने वाला इंसान भी
हैवान हो जाता है इसलिए निरंतर अभियान चलाकर गड़बड़ी करने
वाले लोगों को समझाइये। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में
शराबबंदी को लेकर हमने जो कारवां शुरू किया है वह निरंतर
चलेगा। ‘चल पड़ा है कारवां तो बीच में रुकना मना है’, विघ्न
पथ को लांघना है, हारना-झुकना मना है। इन पंक्तियों की
चर्चा करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के दिन यही संकल्प लेना
है कि चंद लोग जो शराब का सेवन या अवैध धंधा करने में लगे
हैं, उन्हें प्रेरित और प्रशिक्षित करेंगे ताकि उन्हें नशा से मुक्ति
दिलाई जा सके। नशा मुक्ति से परिवार, समाज और देश आगे बढ़ेगा।
लोगों की सेवा करना ही हमारा धर्म है। विकास के साथ-साथ
समाज सुधार का भी काम तेजी से आगे बढ़ रहा है, इससे विकास
कार्यों का पूरा लाभ लोगों तक पहुंचेगा। जल महत्वपूर्ण है
दारु नहीं, यह लोगों को समझाना होगा क्यांेकि जल और
हरियाली के बीच ही जीवन है।
समारोह को उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी, मुख्यमंत्री
के परामर्शी श्री अंजनी कुमार सिंह, मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार, पुलिस
महानिदेशक श्री गुप्तेश्वर पाण्डेय, गृह, मद्य निषेध, उत्पाद एवं
निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री आमिर सुबहानी ने भी
संबोधित किया।
इस अवसर पर विधान पार्षद श्री सी0पी0 सिन्हा, विधान पार्षद श्री
रामेश्वर महतो, विधान पार्षद श्री संजय कुमार सिंह उर्फ गाॅधी जी,
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री आर0के0 महाजन, मुख्यमंत्री के
प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम
लिमिटेड के प्रबंध निदेशक श्री सुनील कुमार, बिहार पुलिस प्रशिक्षण
महानिदेशक श्री आलोक राज, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव श्री
अरविंद चैधरी, मुख्यमंत्री के सचिव श्री मनीष कुमार वर्मा,
मुख्यमंत्री के सचिव श्री अनुपम कुमार, जीविका के मुख्य कार्यपालक
पदाधिकारी श्री बाला मुरगन डी0, उत्पाद आयुक्त श्री बी0 कार्तिकेय,
मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह, जिलाधिकारी
पटना श्री कुमार रवि सहित पुलिस एवं मद्य निषेध विभाग के अधिकारी,
जीविका दीदियाँ, किलकारी बिहार बाल भवन के बच्चे समेत बड़ी
संख्या में लोग उपस्थित थे।