अमित रोशन द्वारा निर्देशित पहली प्रस्तुति कठकरेज

कथासार
आज के भाग दौड़ वाली जिंदगी में लोग मतलबी होते जा रहे हैं। आधुनिकता में इंसान रिश्तों की कदर करना भूलकर भौतिकतावादी जिंदगी अपना रहा है। पैसे कमाने की होड़ में खून के रिश्ते झुठकर साबित हो रहे हैं।

श्रवणकुमार गोस्वामी द्वारा लिखित कहानी कठकरेज एक मध्यमवर्गीय परिवार में रिश्तों के ताने -बाने को प्रस्तुत करता है जहाँ अपने पराये हो जाते हैं और पराये अपने हो जाते हैं। गंगा बाबू ने तीनो बेटों की अच्छी परवरिश की उसे पढ़ाया लिखाया काबिल बनाकर अच्छे मुकाम पर पहुँचाया। पर इनमें से दो बेटों ने ख़ून के रिश्तों को दरकिनार कर चका चौध की ओर रुख
कर लिया। वहीं तीसरा बेटा जो सगा बेटा ना होकर भी बेटे का फर्ज़ अदा करता है।

यह कहानी आपकी भी हो सकती है। नहीं तो एक बार सोचने पर ज़रुर विवश करेगी। बाकी नाटक आप देखें और तय करें कि मैं आपको कहाँ तक झकझोर पाया।

मंच पर:-
गंगा बाबू:- मोहित मोहन
कांति:- कविता कुमारी
सुत्रधार:- सचिन कुमार/ अरुण कुमार
भारती रज्जन की पत्नी: कृष्णा कुमारी
ग्रामीण:- सचिन कुमार, मनोज महतो, नंदकिशार मालाकार, बिटटू कुमार

मंच परे:-
संगीत:- सूरज कुमार वादन:- नंदकिशोर मालाकार प्रकाश :- रोशन कुमार कॉस्ट्यूम :- सचिन कुमार सेट:- कुणाल भारती प्रोपॅटी:- मोहित मोहन मेकअप:- सचिन कुमार सहयोग:- बिटटू एवं बिष्णु कुमार लेखक:- श्रवण गोस्वामी समूहः- आशीर्वाद- रंगमंडल, बेगूसराय (बिहार) निर्देशक :- अमित रौशन(पी० एच० डी० स्कॉलर हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय,हैदराबाद

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