
कोरोना काल में समाज को जागरूक करने का सूत्रधार बन रहा युवा वर्ग//अलग-अलग माध्यमों से चला रहे अभियान//समाज में भेदभाव और भ्रांतियों को कर रहे दूर
सीतामढ़ी। 4 सितंबर
समाज में किसी भी बड़े बदलाव का सूत्रधार युवा वर्ग होता है। कोरोना काल में भी भेदभाव और समाज में भ्रांतियों को फैलने से रोकने में इनकी महती भूमिका है। युवा समाजसेवी संजीव कुमार मिश्र कहते हैं कि किसी भी नई समस्या के साथ भ्रांतियां भी वजूद में आ जाती है। हमारे समाज की यह बड़ी कमजोरी है। चूंकी कोरोना नई बीमारी है, दुनिया में अभी इसको पूरी तरह से जानने-समझने की प्रक्रिया जारी है। ऐसे में इसको लेकर समाज में भेदभाव या भ्रांतियां न फैले, इसकी जिम्मेदारी युवाओं के कंधे पर है। यह अच्छी बात है कि युवाओं ने समाज में भेदभाव को पनपने से रोकने के लिए कई स्तरों पर काम जारी रखा है। उन्होंने बताया कि वे अभी झंझारपुर में काम करते हैं। वहां नियमित रूप से पिछड़ी बस्तियों में जाकर लोगों को बताते हैं कि हमें कोरोना वायरस की चपेट में आये लोगों से शारीरिक दूरी रखनी है, दिल की दूरी नहीं, क्योंकि दिल में दूरी बन जाएगी तो इसे पाटना बहुत मुश्किल होगा। इस समय भावनात्मक लगाव की डोर को मजबूत रखना है।
सोशल मीडिया को बनाया जागरूकता का माध्यम :
जिले में कम्प्यूटर एजुकेशन क्षेत्र से जुड़ी युवाओं की टोली के अखिलेश, दीपक, राकेश, संतोष और सुबहानी सोशल मीडिया के जरिये लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक कर रहे हैं। उन्हें भेदभाव और अफवाहों से दूर रहने को प्रेरित कर रहे हैं। मास्क पहनने और सतर्कता बरतने की सलाह वाले पोस्ट के जरिये जागरूक कर रहे हैं। सही सूचनाएं लोगों तक शेयर कर रहे हैं, ताकि समाज में भ्रम की स्थिति ना हो।
युवा पंचायत प्रतिनिधि भी निभा रहे भूमिका :
कोरोना योद्धाओं का हौसला बढ़ाने के लिए क्षेत्र में युवा पंचायत प्रतिनिधि भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं। मोतीपुर (मुजफ्फरपुर) के युवा जनप्रतिनिधि मनोज कुमार सिंह लगातार समुदाय में जाकर लोगों को यह बता रहे हैं कि अगर कोरोना को मात देना है तो किसी भी स्तर पर समाज में भेदभाव ना फैले। अगर कोरोना को लेकर भेदभाव या समाज में भ्रांतियों ने जड़ें जमा ली तो समाज एक नई परेशानी में पड़ जाएगा। लोगों से संवाद करने के लिए वे वाट्सएप ग्रुप और छोटी चौपाल का सहारा लेते हैं।
साक्षर नहीं, शिक्षित होना होगा :
सीतामढ़ी के युवा कोरोना योद्धा शिक्षक अकील ने ठीक होकर समाज को जागरूक करने की मुहिम चला दी है। वे कहते हैं कि हमें समाज का पूरा स्नेह मिला। अब हम लोगों को जागरूक कर रहे हैं। लोगों को सबसे पहले साक्षर नहीं शिक्षित होना होगा। हम देख रहे हैं कि कोरोना के इस संक्रमण काल में लोगों के बीच काफी गलतफहमी फैली हुई है। जिसे एक शिक्षित व्यक्ति ही पहचान सकता है। हमें बीमारी से लड़ना है बीमार से नहीं। कोरोना के शुरुआती मामलों में देखा गया था कि लोग ठीक हुए व्यक्तियों का बहिष्कार कर रहे थे। जबकि तथ्य यह है कि अब वह पूरी तरह ठीक हो चुके हैं इसलिए उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है। साफ सफाई हमारे जीवन का आधा हिस्सा है। इसे हमेशा ही अमल में लाएं। समाज में भेदभाव ना फैलने दें