“मायाराम की माया” का मंचन

       


   
         “मायाराम की माया”                      नाट्यकार:- जयवर्धन             निर्देशिका:- उज्जवला गांगुली                      

 कथासार-“मायाराम की माया” नाटक का केंद्रबिंदु मनुष्य है। सृष्टि के असंख्य जीवों में से मनुष्य एक ऐसा जीव है, जो ईश्वर की सत्ता के समानांतर अपनी सत्ता स्थापित करना चाहता है। जिज्ञासा कहें या फितरत,कभी – कभी मनुष्य ईश्वर के अस्तित्व को ललकारता दिखाई देता है।इसका मन नाना प्रकार के विकारों से भरा पड़ा है।यही कारण है कि मनुष्य सोचता कुछ है,दिखता कुछ है और करता कुछ और है।समय आने पर प्रगाढ़ संबंधों को भी भूल जाता है। इस संसार में जन्म देनेवाले ईश्वर की कृतज्ञता और श्रद्धा को भूल जाता है। ब्रह्मलोक में इसी बात पर चर्चा चल रही है कि क्या मनुष्य इस पृथ्वीलोक का सबसे सीधा जीव है? इस बात को प्रमाणित करने के लिए पृथ्वीलोक से मायाराम नाम के व्यक्ति को ब्रह्मलोक में लाया जाता है।           जयवर्धन लिखित नाटक “मायाराम की माया” में मायाराम एक शातिर और बहुत ही चालाक व्यक्ति है जो अपने शातिराना हरकत से लोगों को मूर्ख बनाने में माहिर है।उसने हाल में ही अपने नौकर सेवकराम से मिलकर बीमार गाय का गो दान पंडित

पोंगानंद से कर देता है जिसकी तुरंत मौत हो जाती है। ऐसे में जब मायाराम ब्रह्मलोक पहुंचता है तो उसे बताया जाता है कि एक दिन के पुण्यदान के कारण वह ब्रह्मलोक में एक दिन का मेहमान है। अगले दिन उसे नरक भेज दिया जाएगा। वह पूरी तरह विचलित हो जाता है,इस पर मायाराम सोचता है कि ऐसा क्या किया जाए कि ब्रह्मलोक में ही रहने को मिल जाए। काफी सोचने के बाद वह ब्रह्माजी से दान में दी गाय से मिलने की इच्छा जताता है। ब्रह्माजी के अनुमति से वह गाय से मिलने जाता है मायाराम गाय के कान में कहता है कि वह ब्रह्माजी के पेट में सींग लगा दो लेकिन गाय मना कर देती है। इसपर मायाराम कहता है कि मैं तुम्हारा मालिक हूं,तुम्हे मेरी बात सुननी पड़ेगी।गाय मजबुर हो जाती हैं और वैसा ही करती है।गाय के सींग लगाते ही ब्रह्माजी चिल्लाते हैं और मायाराम कहता है कि उसे ब्रह्मलोक में रहने की अनुमति मिलेगी तभी वह गाय को रोकेगा।ब्रह्माजी मान जाते हैं और मायाराम के कहने पर गाय सींग हटा लेती है।ब्रह्माजी पस्त होकर कहते हैं मैं अपना लिखा स्वयं बदलता हूं,मायाराम को यहीं ब्रह्मलोक में रहने दिया जाए                         शेष मंच पर……………….
                  मंच पर1. मायाराम:                      अंशुमन विश्वास2. सेवकराम:                     आसिफ़ नवाज़3. ब्रह्मा :                          अमरेन्द्र प्रताप सिंह    4. यम राज:                      राहुल राज5. चित्रगुप्त:                      देवकांत टंडन       6. पोंगानांद:                      विवेक कुमार गिरी7. मनमौजी पांडे:।             श्याम सुंदर8. नारद:                           आर्यन सिंह9. गाय:                            अमन पटेल10. जकड़:                        राजीव रंजन11. पकड़:                        विनित विनायक12. प्रपंची:                         नभ13. द्वारपाल:                     आदर्श कपूर14. ग्रामीण:          अमन पटेल, अभिषेक राज,गौरव कुमार,                            मोहित ऊंटवाल,आकाश उपाध्याय,शैलेन्द्र कुमार,आयुष कुमार,आर्यन आशेष।
                       नेपथ्य मेंमंच परिकल्पना:                       प्रदीप गांगुलीप्रकाश परिकल्पना:                   गुलशन कुमारप्रकाश संयोजन:                       राजकुमार शर्माध्वनि एवं संगीत:                       शालिनी कुमारीवस्त्र विन्यास:                      एस. कृष्णा नायडू,राजीव रंजनरूपसज्जा:                              उपेन्द्र कुमारउद्घोषिका:                                प्रतिज्ञा भारतीसहयोगी:        बीरबल, संजय, सर्फुद्दीन,सुनील व हीरा मिस्त्रीप्रस्तुति नियंत्रक:                     अमियानाथ चैटर्जीप्रस्तुति एवं मिडिया प्रभारी:        राकेश कुमारसहायक निर्देशक:                     गुलशन कुमारनाट्यकार:                               जयवर्धन

निर्देशिका:                             उज्जवला गांगुली

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