
*नाट्य शिक्षक की बहाली* नाटक में रंगकर्मियों के जीवन पर आधारित समस्याएं एवं बिहार के स्कूल और कालेजों में नाटक की पढ़ाई हो और नाटय शिक्षक की बहाली हो, बिहार सरकार द्वारा बंद परी ग्रांट को शुरू किया जाए।
इस नाटक की शुरुआत एक हास्य दृश्य से होता है, इसमें कुछ अभिनेता नाटक के एक दृश्य का पूर्वाभ्यास कर रहे हैं, बार-बार कोशिश करने पर भी दृश्य तैयार नहीं हो पाता है, इस दृश्य के माध्यम से दर्शकों को सहज ही पता चल जाता है कि एक निर्देशक को नाटक तैयार करने में कलाकारों के साथ कितनी मेहनत करनी पड़ती है lनाटक में रंगकर्मियों के व्यक्तिगत जीवन के संघर्ष की कहानीयों को दिखाय गया है। जिसमें एक रंगकर्मी के जीवन के उस पहलू को उकेरा गया है जहाँ वो पढ़ाई के बाद भी अपने परिवार और समाज में उपेक्षित है, उन्हें स्कूल, कॉलेज में एक अदद नाट्य शिक्षक की नौकरी भी नहीं मिल सकती क्यूँ की हमारे यहां नाटक के शिक्षकों की बहाली का कोई नियम नहीं है, इस मुखर सवाल पर आकार नाटक दर्शकों के लिए रंगकर्मियों के जीवन संघर्ष से जुड़ा निम्न सवाल भी छोड़ जाता है। नाटक खत्म होने के बाद दर्शक तालियां बजाते हैं, स्मृति चिन्ह देकर व ताली बजाकर दर्शक उन्हें सम्मानित करते हैंlयही रंगकर्मी जब अपने घर पहुंचते हैं तो घर में इन से बेहूदा किस्म के प्रश्न पूछे जाते हैं।क्या कर रहे हो ? नाटक करने से क्या होगा ? लोग तुम्हें लौंडा कहते हैं। नाचने वाला कहते हैं, यह सब करने से रोजी-रोटी नहीं चलेगा, कोई अच्छी घर की लड़की का हाथ तक नहीं मिलेगा। इस तरह के अनगिनत ताने सुनने पड़ते हैं फिर भी रंगकर्मी यह सब सहने के बावजूद रंगकर्म करते रहते हैं। नाटक के माध्यम से रंगकर्मी सरकार से मांग करते हैं की स्कूल और कालेजों में नाट्य शिक्षक की बहाली हो। सरकार रंगकर्मियों को नौकरी दे, उन्हें रोजगार दे तभी वे भी खुलकर समाज का साथ दे सकते हैं lनाटक के अंत में रंगकर्मी अपने हक के लिए अपनी आजादी के लिए आवाज उठाते हैं।नाटय आंदोलन के साथ नाटक की समाप्ति करते हैं। *कलाकार :* मनीष महिवालउदय सागरबबली कुमारीअमन आयुष्मान अमित सिंह ऐमी जितेंद्र जेमीराम प्रवेशदीपक आनंद विनोद यादव सरबिंद आकांक्षा सिंह निक्की सिंह गंगा सागर
प्रॉपर्टी: गुडिया सिंहकॉस्टयूम : कुमारी आरतीप्रस्तुति नियंत्रक: *मिथिलेश सिंह**लेखक एवं निर्देशक: मनीष महिवाल**संस्था – लोक पंच, पटना*