
नाटक “कहां गये मेरे उगना”से रंग जलसा 2023 का शुभारंभ
निर्माण का संघ, पटना द्वारा तीन दिवसीय नाट्य समारोह रंग जलसा 2023 का आयोजन दिनांक 19 सितम्बर 2023 से 21 सितम्बर 20023 तक रंगशाला पटना पटना में किया जा रहा है। आज दिनाक 19 सितम्बर 2023 को रंग जलसा 2023 का शुभारंभ पदाची श्याम शर्मा अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विकार, अंजनी कुमार सिंह महानिदेशक, बिहार संग्रहालय, श्री त्रिपुरारी शरण, सूचना आयुक्त, बिहार राज्य सूचना आयोग संस्था की अध्यक्षा पद्मश्री डॉ उषाकिरण खान, डॉ अजय कुमार, प्रख्यात यूरोलॉजिस्ट डॉ विनय कुमार, प्रख्यात मनोचिकित्सक डॉ अजीत प्रधान प्रख्यात कार्डियोलोजिस्ट एवं सचिव श्री संजय उपाध्याय ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
दीप प्रज्वलन के पश्चात श्री श्याम शर्मा, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चित्रकार अंजनी कुमार सिंह महानिदेशक बिहार संग्रहालय श्री त्रिपुरारी शरण, सूचना आयुक्त, बिहार राज्य सूचना आयोग संस्था की अध्यक्षा पद्मश्री डॉ उषाकिरण खान, डॉ अजय कुमार, प्रख्यान यूरोलोजिस्ट डॉ विनय कुमार, प्रख्यात मनोचिकित्सक एवं डॉ अजीत प्रधान प्रख्यात कार्डियोलॉजिस्ट के मुख्य आतिथ्य में उपारण बान को रंग शांति स्मृति सम्मान-2023 से सम्मानित किया गया। शहर की अन्य सांस्कृतिक संस्थाओं एवं नागरिक समाज द्वारा भी पद्मश्री उषाकिरण खान जी का अभिनंदन किया
मंच संचालन अभिषेक शर्मा ने किया।
कला यदद्वारा संजय उपाध्याय के निर्देशन में किया गया।
सम्मान समारोह के पश्चात डॉ उषाकिरण खान द्वारा लिखित नाटक कहा गये मेरे उगना का मंचन आयोजक संस्था निर्माण मुख्य संघ पर आयोजन के पहले रंग जलसा के पूर्व रंग के अन्तर्गत बाहरी परिसर में एच. एम. टी. पटना के बैनर तले भारतेन्दु हरिश्चंद्र लिखित नाटक अंधेर नगरी का प्रदर्शन किया गया।
नाटक कहां गये मेरे उगना का कथासार
हवी शताब्दी में मिथिला में ओइनवार वंश का राज्य था जो दिल्ली और जौनपुर के सुल्तान के अधीन था। राजा शिव सिंह उसी वंश के राजा थे। कवि विद्यापति यू तो पाँच राजाओं के राज पंडित रहे किन्तु राजा शिव सिंह उनके अन्यतमः खरानी खिसा से उनका विशेष लगाव था. यही कारण था कि राजा शिव सिंह और रानी लखिमा के नाम उनके कई गीत समर्पित है। सुल्तान को कर नहीं देने के जुर्म में शिव सिंह एक बार कैद कर लिए गए थे। जिन्हें विद्यापति ने मुक्त कराया था राजा शिव सिंह पुनः विद्रोह कर उठे विद्रोह को दबाने सुल्तान की सेना चट आई। शिव सिंह युद्ध भूमि से गायब हो गए रनिवास खाली हो गयारानी लखिमा विद्यापति के साथ नेपाल नरेश की शरण में चली गई। वहा दे महल में न रहकर जंगल में रहने लगे। विद्यापति जनोन्मुखी कवि ये भक्त रचनाकार थे। उनकी भक्ति की कथा

तो यह कि शिव स्वयं उगना बनकर उनकी सेवा करने आए थे, उनकी पत्नी की प्रताड़ना से और उगना के होने की कवि की घोषणा से शिव भाग खड़े हुए। कवि ताउम्र उस बंचित, पीडित, दलित शिवरूप उगना को रही रानी लखिमा दिवंगत हो गई। कवि राजधानी लौटे। वहाँ परमसिंह भी दिवंगत हो गए। उनकी पत्नी ती होने को थी, पर विद्यापति ने समझा बुझा कर उन्हें रोका। राजकाज चलाने में सहायता की। कवि एक सी सात वर्षों तक लम्बा जीवन जीकर गंगा लाभ को गए राजकमल तथा कलाकार रेणु इस नाटक के कथासूत्र को आगे बढ़ाते हैं। कवि अपनी कविताएं तथा कथाकार अपनी कथा के माध्यम से नाटक के सूत्र को आगे बढ़ाते हैं। आधुनिक रचनाकार स्वयं उगना है।
मंच पर/मंच परे–मुकेश कुमार राहुल,राजेश रंजन,अरविंद कुमार,राजू मिश्रा,शारदा सिंह,रोहित चंद्रा ,स्वरम उपाध्याय ,मी० नूर,विवेक कुमार,राजकमल ग्रामीणा 2,पप्पू ठाकुर,प्रबोध विश्वकर्मा,गौरव कुमार,पद्मसिं,संजीव सिंह,रंजीत कुमार जितेंद्र कुमार जीतू,कुमार उदय सिंह,पूजा भास्कर,राजीव राय,विनय कुमार,रुपाली, बिनिता सिंह डॉ. शैलेन्द्र आलेख डॉ उषा किरण खान संगीत परिकल्पना एवं निर्देशन:– संजय उपाध्याय रंग जलसा 2023 के दूसरे दिन की प्रस्तुति। नाटक भाई विरोध लेखक भिखारी ठाकुर। निर्देशक आशुतोष मिश्रा। प्रस्तुति परिवर्तन रंगमंडल, सिवान।