

एतिहासिक पटना कलेक्ट्रेट को संरक्षित करने के लिए आम लोगों ने किया ‘हेरिटेज वॉक’
पटना, मार्च 08; अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर रविवार को डच और ब्रिटिश काल में निर्मित एतिहासिक पटना कलेक्ट्रेट को संरक्षित करने के लिए पटना के आम लोगों ने रविवार को एक ‘हेरिटेज वॉक’ में हिस्सा लिया। ‘सेव हिस्टोरिक पटना कलेक्ट्रेट’ के नेतृत्व में आयोजित यह वाक कारगिल चौक स्थित 1852-निर्मित क्राइस्ट चर्च से शुरू होकर पटना कलेक्ट्रेट के मुख्य भवन, जिला परिषद और डीएम कार्यालय भवन तक गया।

इन ऐतिहासिक भवन से संबंधित दस्तावेज और उन भवनों पर अंकित निशानियां को देखते हुए इन धरोहर प्रेमियों ने इसके बारे में विस्तार से करीब ढाई घंटे चर्चा की। आयोजनकर्ताओं ने पटना कलेक्ट्रेट में ऑस्कर पुरस्कृत रिचर्ड एटनबरो की फिल्म ‘गांधी’ की यहाँ हुई शूटिंग का भी ज़िक्र किया जिससे लोगो में पटना कलेक्ट्रेट के काफी जिज्ञासा बढ़ी.ज्ञात हो कि साल 2016 में कलेक्ट्रेट भवन को ढहाए जाने के सरकार के प्रस्ताव के पश्चात भारत में तत्कालीन डच राजदूत अल्फोंसस स्टोलींगा और लंदन के विख्यात गांधी फाउंडेशन ने इसे बचाने की अपील की थी. साथ ही पटना उच्च न्यायालय में इस प्रस्ताव के विरुद्ध इंटैक नामक सन्स्था की 2019 से एक जनहित याचिका लंबित है। 25 सितंबर, 2019 को पटना उच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कलेक्ट्रेट भवन को तोड़ने पर रोक लगा दी थी। इस मामले में अगली सुनवाई 17 मार्च को निर्धारित है.

इस आयोजन में शामिल एक अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ संस्था के साथ काम करने वाली पटना स्थित पत्रकार सीटू तिवारी ने अपने अनुभव सांझा करते हुए कहा कि “ मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई और ये दो स्तरों पर थी। पहला तो ये कि सरकार इतिहास को संरक्षित करने, उसे पर्यटन की दृष्टि और रोजगारपरक बनाने मे पूरी तरह से विफल रही।””दूसरा ये कि हम आम शहरी भी अपने शहर को कितना कम जानते है। ढहती इमारत, खुले मे रखे रोड रोलर, बर्मीज़ टीक के सड़ते सोफे हमे शर्मिंदा करते है कि हम अपने शहर को बचा नहीं पाए।”अमेरिका में पढ़े अधिवक्ता और ‘सेव हिस्टोरिक पटना कलेक्ट्रेट’ मुहिम के सदस्य कुमार शानू ने बताया कि “हम पटना कलेक्ट्रेट के ऐतिहासिक मूल्यों को उजागर करना और आम लोगों में इसके प्रति जागरूकता लाना चाहते हैं. हमे समाज के विभिन्न धाराओं से आने वाले लोगो का इस ऐतिहासिक भवन के संरक्षण के लिए समर्थन मिल रहा है और हमे आशा है कि आम लोगों की सयुंक्त शक्ति की वजह से अपने धरोहर को बचा पाएंगे. “

पटना कलेक्ट्रेट के कुछ हिस्से 250 साल से भी ज्यादा पुराने हैं और इनमे ऊंची छतें, बड़े दरवाजे और लटके हुए रौशनदान हैं. वॉक में हिस्सा लेने वाले पटना निवासी और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र नील माधाव ने इस मुहीम का समर्थन किया।”अगर हम पटना के लोग अपने गौरवशाली विरासत को बचाने के लिए आगे नही आएंगे तो भला कौन आएगा। सरकार ने इस ऐतिहासिक भवन को पहले जर्जर होने के लिए छोड़ दिया और फिर इसी बहाने इसे धवस्त करने का प्रस्ताव ले आयी. धरोहर किसी एक वयक्ति और सरकार की नही होती बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए होती है”
