अभियान सांस्कृतिक मंच की तरफ से वरिष्ठ रंगकर्मी गोपाल गोपी की श्रद्धांजलि सभा का आयोजन

गोपाल गोपी प्रतिबद्धता और मूल्यों वाले रंगकर्मी थे।
रंगकर्मी गोपी को दी गई श्रद्धांजलि।

अभियान सांस्कृतिक मंच की तरफ से वरिष्ठ रंगकर्मी गोपाल गोपी की श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। सभा में बड़ी संख्या रंगकर्मी, सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता, कवि साहित्यकार आदि उपस्थित थे। गोपी का लंबा जुड़ाव रंगमंच से रहा। बीमारी की वजह से असमय उनका निधन हो गया।
राकेश रंजन ने बताया कि “गोपी भाई रंगमंच और समाज दोनों जगह बहुत सक्रिय थे। हमलोगों ने बहुत कुछ उनसे सीखा। वो अच्छे अभिनेता के साथ गायन और नृत्य में भी दक्ष थे। उनकी बहुत सारी यादें हमसे जुड़ी हुई है।”
संस्कृतिकर्मी अनीश अंकुर ने भी अपनी यादें साझा की। “गोपालजी राजनीतिक और सामाजिक रूप से बहुत ही सजग थे। गोपालजी सिर्फ मंच पर ही नहीं बल्कि नुक्कड़ पर भी उतने सक्रिय थे। गोपालजी ने समर्पण और प्रतिबद्धता के काम किया। उन्होंने बिहटा के इलाके में भी बहुत कम किया। अवैध बालू खनन के खिलाफ भी वो लड़ते रहे। उन्होंने बालू मजदूरों का पहला संगठन बनाया। रंगकर्म को अपने करियर का माध्यम बनाने के बजाय सामाजिक सरोकारों वाली धारा को आगे बढ़ाते रहें।”
वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी अनिल अंशुमन ने कहा “यह पटना प्रगतिशील और वामपंथी रंगकर्मियों की भूमि रही है। विद्याभूषण, राणा बनर्जी, अनिल ओझा और गोपाल इस तरह के लोग हमारी विरासत हैं। रंगकर्म रंगबिरंगा कर्म नहीं है। जनता के प्रति समर्पित रंगकर्म ही असली रंगकर्म है। संस्कृति कर्म राजनीति को भी दिशा देता है।”
वरिष्ठ रंगकर्मी नीलम निशांत ने बताया कि हमलोगों ने गोपाल भाई के साथ बहुत काम किया। वो नाटक के प्रति बहुत समर्पित थे। नाटक की वजह जे वो कई-कई दिनों तक घर भी नहीं जाते थे। घरवाले परेशान होकर ढूंढने लगते थे। गोपीजी बहुत प्रतिभाशाली थे। अभिनय के साथ नृत्य भी करते थे। उनका जाना एक दुखद घटना है।
पत्रकार कुलभूषण जी ने बताया गोपाल रंगकर्म के लिए भूखे भी रह सकते थे। गोपी सामाजिक राजनीतिक रूप से अगुआ साथी थे। ऐसे साथी मुश्किल से मिलते हैं। गोपाल भाई ने जो रास्ता चुना हम उनके साथ हैं।
सीपीएम के सीनियर नेता सर्वोदय शर्मा ने भी सभा को संबोधित किया। इस देश के आजादी आंदोलन में संस्कृतिकर्म बहुत बड़ा योगदान है। गोपी बहुत ही उत्साह के साथ काम करते थे। संस्कृति कर्म के साथ राजनीति में भी वह सक्रिय थे। गोपी जिन मूल्यों के लिए काम करते उनसे सीखने की जरूरत है। अभी के वक्त में एक बड़े सांस्कृतिक आंदोलन की आवश्यकता है।
रंगकर्मी बिनु जी कहा कि गोपी और मैं लगभग एक ही वक्त रंगकर्म में आये। गोपी लगभग हर आयोजनों में अपने ढोलक के साथ मौजूद रहते थे। मुश्किल समय मे भी गोपी के भीतर का प्रदर्शनकारी कमजोर नहीं पड़ता था। आज जरूरत है मिलकर काम करने की।
नगर निगम के नेता जितेंद्र जी कहा कि हमलोग उन्हें गोपी के नाम से ही जानते रहे। गोपी भी बहुत ही अच्छे रंगकर्मी थे। आज उनकी प्रतिबद्धता को दुहराने की जरूरत है।
सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल ने बताया “गोपी बहुत ही सुलझे हुए रंगकर्मी थे। उन्होंने कभी सत्ता से समझौता नहीं किया। गोपी भाई जब कविता सुनाते तो लगता कि जो जीवन देख रहे हैं वही सुना रहें। वह हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे।”
युवा रंगकर्मी मनोज ने भी याद करते हुए कहा कि बाल मंडली में काम करने के दरमियान ही गोपी भइया को जाना। हमलोग उनके साथ नुक्कड़ नाटक भी करते रहे। वह सब बच्चों को बहुत प्यार करते थे। उनसे हमलोगों ने बहुत कुछ सीखा।
वरिष्ठ निदेशक राजीव रंजन श्रीवास्तव ने बताया कि मेरा और गोपी का संबंध बड़ा ही दोस्ताना रहा। गोपी ने जीवन में बहुत संघर्ष किया। वह जब मिलते पूरी ऊर्जा के साथ मिलते। लंबी बात होती थी उनसे। गोपी और उनके विचार हमेशा हमारे साथ रहेंगे।
रंगकर्मी जयप्रकाश ने श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए कहा ” गोपाल भाई मुलाकात होती रहती थी।उनके भीतर आग में कोई कमी नहीं थी। संस्कृति और राजनीति भिन्न चीजेनभाईं।सफलता और असफलता अलग चीजें नहीं है। क्या जिसके पैसा और धन है क्या भी सफल है । जो मूल्यों को लेकर जीता है असली सफल व्यक्ति वही है। गोपी भाई बेहद सजग, जागरूक और बड़े कलाकार थे।”
सभा को कुणाल, मनोज, अभय पाण्डेय, रमेश सिंह आदि ने भी संबोधित किया।
सभा में राजू कुमार, चंद्रबिंद, राजू मिश्रा, आनंद, गौरव, संतोष दीक्षित, अरुण कमल आदि मौजूद थे।

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