शिक्षा प्रणाली के सवालों पर नाटक “वी आर फूलिश”

कथासार

कुछ सवाल बस सवाल ही रह जाते है चुकी उसका जवाब देना बेहद कठिन हो जाता है। हां! जवाब के बदले किन्तु- परंतु, आदि-इत्यादि, इधर-उधर बेशक किया जा सकता है, मगर जवाब नहीं दिया जा सकता। अंतः जब हमें जवाब नही मिलता तो हम सवाल को ही गलत साबित कर देते है। विद्यालय के शिक्षा प्रणाली से बच्चों द्वारा किए गए कई सवालों से बना है नाटक “वी आर फूलिश”।

नाटक “वी आर फूलिश” बच्चों के साथ विद्यालय में चल रहे वास्तविक नाटक पर आधारित है। शिक्षा का बहाना बना कर स्कूलें कैसे व्यापार कर रही है?नाटक का मुख्य उद्देश्य यही दिखाना है। साथ ही पैरेंट्स इस परंपरा में मुख्य किरदार निभा रहे है। बच्चें विद्यालय से ऐसे परेशान है, जैसे मानो की आपके पैर में एक जख्म हो गया हो और वो ठीक ही नही हो रहा हो। स्कूल, ट्यूशन, होमवर्क, सेल्फ स्टडी, नोट्स, फेयर कॉपी, स्कूल का ड्रेस, स्कूल का पीटी ड्रेस, स्कूल का बैग, स्कूल का टाई, स्कूल का बेल्ट, स्कूल का मोजा, स्कूल का बुक, स्कूल का कॉपी, स्कूल का जिल्द, स्कूल का…. आदि इत्यादि। बच्चें इन तमाम स्कूली तत्वों में बहुत बेहतर फंसे है और पढ़ाई पंख लगा कर हवा में उड़ रही है। नाटक समाप्त होने के बाद इस विषय पर हमें मानसिक स्तर पर विचार करना चाहिए।

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