चित्रभिनय, पटना द्वारा सुभद्रा कुमारी चौहान की कहानी पर आधारित नाटक ‘गौरी’ का मंचन किया गया। इस नाटक का नाट्य रूपांतरण एवं निर्देशन यूरेका ने किया है। इसकी मुख्य भूमिका में कौशिक कुमार, शशांक कुमार, यूरेका, रूपाली मलहोत्रा आदि ने काम किया। यह कहानी उन क्रांतिकारियों की है जिनका नाम इतिहास के पन्नों में नहीं लिया गया, लेकिन इन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होकर देश को आजाद करने के लिए लड़ाई लड़ी। सीताराम बाबू उन्हीं क्रांतिकारियों में से एक हैं, जिनसे गौरी को प्रेम हो जाता है कहानी की मुख्य कथावस्तु है। गौरी के पिताजी एक नायब तहसीलदार से उसका रिश्ता तय कर देते हैं, पर गौरी के मन से सीताराम जी को अपना पति मान कर अपना पूरा जीवन उनको समर्पित कर देती है।

राधा कृष्ण/तांगेवाला-ः शशांक कुमार
कुंती/ग्रामीणा- रूपाली मलहोत्रा
गौरी – यूरेका
सीताराम/कहार- कौशिक कुमार
बेटी – हेमा राज
बेटा – अमन कुमार
कहारिन / पड़ोसन / ग्रामीणा – खुशबू कुमारी
सूत्रधार – विक्रांत कुमार
पोस्टमैन/चपरासी/ग्रामीण/जलेबी वाला – अभिषेक कुमार
मंच परे (नेपथ्य)
मंच निर्माण – सुनील कुमार, पंकज कुमार
वस्त्र विन्यास – अलका सिन्हा, रिबेका, सपना कुमारी
रंग वस्तु – आशीष राज, वैभव दिव्यांशु, आयूष कुमार
प्रकाश परिकल्पना – मृत्युंजय शर्मा
संगीत – दी एमफिफॉक्स प्रोडक्शन
रूप सज्जा – अंजू कुमारी, मनोज मयंक
प्रस्तुति प्रभारी – मिथिलेश प्रसाद, राज किशोर कुमार,
शंभू किशोर शर्मा, संतोष कुमार, अच्युतानंद स्वामी
कहानी – सुभद्रा कुमार चौहान
नाट्य रूपांतरण एवं निर्देशन
यूरेका.