मुख्यमंत्री ने 78वें स्वतंत्रता दिवस पर पटना के गांधी मैदान में किया झंडोत्तोलन,

पटना, 15 अगस्त 2024:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने पटना के
ऐतिहासिक गांधी मैदान में परेड की सलामी लेने के पश्चात्
78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडोत्तोलन किया।
इस अवसर पर प्रदेशवासियों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने
कहा कि 78वें स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर, मैं समस्त
बिहारवासियों को हार्दिक बधाई देता हूँ। आज का दिन हम
सभी भारतवासियों के लिए गौरव का दिन है। राष्ट्रभक्तों के
साहस, त्याग एवं बलिदान के फलस्वरूप 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश
आजाद हुआ। आज के दिन हम उन स्वतंत्रता सेनानियों को
श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं जिन्होंने आजादी की लड़ाई में
अपने प्राणों की आहुति दी, उनके उच्च आदर्श आज भी हम
सबों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। मैं उन वीर जवानों को भी
नमन करता हूँ, जो बहादुरी से देश की सरहदों की सुरक्षा कर रहे
हैं। उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। देश
की रक्षा करनेवाले भारतीय सेना का हम अभिनन्दन करते हैं।
इतिहास इस बात का गवाह है कि बिहार ने स्वतंत्रता आंदोलन में
अग्रणी भूमिका निभायी। बिहार के लोगों ने हमेशा
राष्ट्रनिर्माण में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है और देश के
लोकतंत्र को मजबूती प्रदान की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2005 में जबसे हमलोगों को काम
करने का मौका मिला है तबसे राज्य में कानून का राज है। राज्य में
कानून का राज बनाये रखना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
सरकार द्वारा अपराध नियंत्रण एवं विधि-व्यवस्था संधारण के लिए सभी
आयामों पर योजनाबद्ध तरीके से काम किया जा रहा है। वर्ष 2005
में जब हमारी सरकार बनी तो पता चला कि बिहार में पुलिस बल की संख्या

मात्र 42 हजार 481 है, जो जरूरत के हिसाब से बहुत कम थी, इसलिए उसी
समय पुलिस की संख्या को बढ़ाने का निर्णय लिया गया। इसके लिए नये
पदों का सृजन किया गया और पुलिस में बहाली की गयी। अब पुलिस बल
की संख्या बढ़कर 1 लाख 10 हजार हो गयी है। उन्हांेने कहा कि
वर्ष 2023 में हमने सुझाव दिया कि हमारी जरूरतों के हिसाब से पुलिस
की संख्या को और बढ़ाया जाय। तब पदों की संख्या को बढ़ाकर 2
लाख 27 हजार तय किया गया है और बहाली का काम भी शुरू हो गया
है। इसी अगस्त माह में पुलिस के 21 हजार पदों के लिए परीक्षा
आयोजित हो रही है। उम्मीद है कि इस साल और अगले साल में
पुलिस के सभी पदों पर बहाली पूरी कर ली जायेगी। पुलिस के लिए
वाहन एवं अन्य आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराये गये हैं ताकि
विधि-व्यवस्था संधारण तथा अनुसंधान में किसी प्रकार की दिक्कत
न हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2005 से ही शिक्षा एवं स्वास्थ्य के
क्षेत्र में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। पहले बहुत कम स्कूल थे
और शिक्षकों की काफी कमी थी जिसके कारण स्कूलों में ठीक
से पढ़ाई नहीं होती थी। गरीबी के कारण 5वीं कक्षा के बाद
लड़कियाँ भी पढ़ नहीं पाती थी। सबसे पहले अनेक नये स्कूल
खोले गये और कई स्कूलों में नये क्लास रूम बनाये गये। वर्ष
2006-07 में लड़के-लड़कियों के लिए पोशाक योजना शुरू की
गयी। वर्ष 2008 में 9वीं क्लास की लड़कियों को विद्यालय जाने
के लिए साईकिल योजना चलायी गयी, बाद में वर्ष 2010 से
लड़कों को भी साईकिल दी गयी। बालिका शिक्षा को बढ़ावा
देने के लिए सभी पंचायतों में उच्च माध्यमिक विद्यालय (10$2
स्कूल) खोले गये। लड़कियों को बारहवीं पास करने पर पहले 10
हजार मिलते थे जिसे बढ़ाकर अब 25 हजार रुपये कर दिया गया है, वहीं
ग्रेजुएट पास होने पर 25 हजार से बढ़ाकर अब 50 हजार रुपये की
प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। अब लड़कियाँ भी खूब पढ़ रही
हैं और स्कूलों में लड़के और लड़कियों की संख्या लगभग
बराबर हो गयी है। उन्हांेने कहा कि 2005 में जब हमारी सरकार
आयी तो विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को देखते हुये वर्ष
2006-07 से पंचायत एवं नगर निकायांे के माध्यम से बहाली की गयी।
कई चरणों में लगभग पौने चार लाख शिक्षकों को नियोजित
किया गया। स्कूलों में पढ़ाई अच्छे ढंग से हो, इसलिए अब निर्णय
लिया गया कि शिक्षकों की बहाली सरकारी तौर पर की जाय। वर्ष 2023

में बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा 2 लाख 20 हजार सरकारी षिक्षकों
की नियुक्ति की गयी है, शेष पदों पर भी बहाली की जा रही है।
उन्हांेने कहा कि नियोजित शिक्षक भी हमेशा चाहते थे कि
उन्हें सरकारी शिक्षक बनाया जाय। इसे देखते हुए इन शिक्षकों को
सक्षमता परीक्षा के माध्यम से सरकारी शिक्षक बनने के अवसर दिये जा रहे
हैं। पहली सक्षमता परीक्षा में पास होकर लगभग 1 लाख 80 हजार
नियोजित शिक्षक सरकारी शिक्षक बन गये हैं। जो शिक्षक अब बच गये
हैं उन्हें भी सरकारी शिक्षक बनने के लिए और मौंके दिये जा
रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हमारी सरकार 2005 में आयी थी उस समय
स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत खराब थी, सरकारी अस्पतालों में
डाॅक्टरों की कमी थी। अस्पतालों में दवा एवं अन्य सुविधाएँ
भी नहीं थी। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में तो इलाज के लिए
प्रतिमाह मात्र 39 मरीज ही आते थे यानी प्रतिदिन 1 या 2 मरीज आते
थे। वर्ष 2006 से अस्पतालों में मरीजों को मुफ्त दवा,
स्वास्थ्य जाँच एवं एम्बुलेंस की सुविधा दी गई। साथ ही
डाॅक्टरों की बहाली की गयी और अस्पतालों में डाॅक्टरों
की उपस्थिति सुनिश्चित करवाई गयी। अब सुविधाएँ काफी अच्छी हो
गयी हंै जिससे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में हर महीने औसतन 11
हजार से अधिक मरीज पहुँच रहे हंै। उन्हांेने कहा कि पहले राज्य
में केवल 6 सरकारी मेडिकल काॅलेज एवं अस्पताल थे, इस कारण यहाँ
के छात्र डाॅक्टर की पढ़ाई करने राज्य के बाहर जाया करते थे और
डाॅक्टर की कमी होने के कारण यहाँ के लोग इलाज के लिए भी
राज्य के बाहर जाते थे। इसलिए सरकार ने निर्णय लिया कि राज्य में
मेडिकल काॅलेजों की संख्या बढ़ाई जाय। अब मेडिकल काॅलेज की
संख्या 6 से बढ़कर 11 हो गयी है। इसके अतिरिक्त 15 और नये मेडिकल
काॅलेज बनाये जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त पटना मेडिकल काॅलेज
एवं हाॅस्पीटल(पी॰एम॰सी॰एच॰) को 5 हजार 462 बेड की क्षमता
वाले आधुनिक विश्वस्तरीय मेडिकल काॅलेज एवं अस्पताल बनाया जा रहा
है। साथ ही पुराने सभी मेडिकल काॅलेज एवं अस्पताल में बेड
की संख्या भी बढ़ायी जा रही है। कैंसर के रोगियों के ईलाज के
लिए टाटा मेमोरियल के सहयोग से मुजफ्फरपुर में आधुनिक कैंसर
अस्पताल विकसित किया गया है। सभी मेडिकल काॅलेज एवं अस्पतालों
में भी कैंसर रोगियों के प्रारंभिक जाँच एवं ईलाज की
व्यवस्था की जा रही है। राज्य के सभी अस्पतालों में मरीजों एवं
उनके परिजनों के खाने के लिए ‘‘दीदी की रसोई‘‘ शुरू की गयी
है। अब जिला अस्पतालों में साफ-सफाई का कार्य भी जीविका
दीदी के द्वारा कराने का निर्णय लिया गया है। मुझे याद है कि वर्ष

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2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के
कार्यकाल में एम्स, पटना बनाने की स्वीकृति दी गयी, जो अब पूरी तरह
संचालित है जिसका लाभ बिहार के लोगों को मिल रहा है। इसके
अलावा वर्तमान केन्द्र सरकार द्वारा दरभंगा मंे दूसरे एम्स की
स्वीकृति दी गयी। इसका निर्माण जल्द ही शुरू हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में सड़कों, पुल-पुलियों का
निर्माण कराया गया है। राज्य के सुदूर क्षेत्रों से 6 घंटे में
राजधानी पटना पहुँचने का लक्ष्य वर्ष 2016 में ही पूरा कर लिया गया
है। इसके बाद सरकार ने इस लक्ष्य को 5 घंटे करने का निर्णय लिया
है। इसके लिए बड़ी संख्या में सड़कों एवं पुल-पुलियों का
निर्माण कराया जा रहा है। इनके मेंटेनेंस का भी काम किया जा
रहा है। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में जाम की समस्या से
छुटकारा पाने के लिए पटना सहित कई जिलों में एलिवेटेड रोड
एवं फ्लाईओवर आदि का निर्माण कराया जा रहा है। पटना में
पाटलि पथ एवं अटल पथ का निर्माण कराया गया है। साथ ही पटना
में गंगा नदी के किनारे दीघा से दीदारगंज जे॰पी॰ गंगा पथ
का निर्माण कराया जा रहा है जो दीघा से कंगन घाट तक चालू
हो गया है। आगे दीदारगंज तक का काम दिसम्बर, 2024 तक पूर्ण कर
लिया जायेगा तथा इसे पटना के कच्ची दरगाह में बन रहे 6-लेन पुल
से जोड़ा जा रहा है। इन पथों के निर्माण से यहाँ के लोगों
को काफी सुविधाएँ हो रही है एवं पटना की सुन्दरता भी बढ़ी
है। आगे जे॰पी॰ गंगा पथ को पश्चिम की तरफ आरा में बने वीर
कुँवर सिंह सेतु तक तथा पूरब की तरफ मोकामा में गंगा नदी पर सबसे
पहले बने राजेन्द्र सेतु तक विस्तारित करने का राज्य सरकार ने निर्णय
लिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2015 में सात निश्चय-1 के तहत हर
घर तक बिजली, हर घर नल का जल, हर घर शौचालय तथा टोलों को
पक्की सड़कों से जोड़ने का काम पूरा हो गया है। यह भी
देखा गया है कि कुछ नयी बसावटें एवं घर बन गये हैं इसलिए इन
नये आवासों तथा छूटे हुए घरों में इन योजनाओं के
निर्माण का काम मार्च, 2025 तक पूरा करा लिया जायेगा। वर्ष 2020
से सात निश्चय-2 के तहत सभी योजनाओं पर काम चल रहा है। इनमें
से मुख्य योजनाएँ जैसे-‘‘हर खेत तक सिंचाई का पानी’’ का कार्य
प्रगति पर है जिसे जून, 2025 तक पूर्ण कर लिया जायेगा। सात निश्चय-2 के
तहत टेलीमेडिसिन योजना शुरू की गयी है जिसमें गाँव में ही रहकर
डाॅक्टर से परामर्श प्राप्त किया जा सकता है। वर्तमान में
टेलीमेडिसिन की सुविधा 9 हजार 50 स्वास्थ्य उप केन्द्रों पर

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उपलब्ध है जहाँ से अब तक 1 करोड़ 58 लाख से अधिक लोगों ने
इसका लाभ लिया है। उन्हांेने कहा कि बाल ह्दय योजना के तहत
वर्ष 2021 से हृदय में छेद से पीड़ित बच्चों को अहमदाबाद के
सत्यसाई अस्पताल भेजकर 650 बच्चों का निःशुल्क इलाज कराया
गया। इसमें बच्चों एवं उनके माता-पिता को भेजने का खर्च
राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है। अब इन बच्चों काईलाज पटना
के आई0जी0आई0एम0एस0 तथा आई0जी0आई0सी0 में भी शुरू
हो गया है। अब जिन बच्चों को बाहर भेजना होता है उन्हीं
बच्चों को भेजा जाता है। बाकी बच्चों का इलाज पटना में ही
हो रहा है। इसके तहत अब तक 1 हजार 457 बच्चों का इलाज कराया जा
चुका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा महिला सशक्तीकरण पर जोर दिया
गया है और महिलाओं को रोजगार देने एवं उन्हें
आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई कदम उठाये गये हैं। महिलाओं
के लिए वर्ष 2006 में पंचायती राज संस्थाओं एवं वर्ष 2007 में
नगर निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण से शुरूआत की गयी।
उन्हांेने कहा कि अब तक पंचायतों एवं नगर निकायों के चार
चुनाव हो चुके हैं जिनमें महिलाओं की भागीदारी 50
प्रतिशत से अधिक हो गयी है। वर्ष 2013 में पुलिस में महिलाओं
के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया। अब बिहार पुलिस में
महिलाओं की संख्या लगभग 30 हजार है, इससे पुलिस में महिलाओं
की भागीदारी पूरे देष में सबसे अधिक है। वर्ष 2016 से
महिलाओं को सभी सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण
दिया जा रहा है। पहले बिहार में स्वयं सहायता समूह की संख्या बहुत
कम थी। हमने वर्ष 2006 में विश्व बैंक से कर्ज लेकर राज्य में
स्वयं सहायता समूह का गठन किया जिसे ‘‘जीविका‘‘ नाम दिया। अब
स्वयं सहायता समूह की संख्या 10 लाख 51 हजार हो गयी है जिसमें
‘‘जीविका दीदियाँ‘‘ की संख्या 1 करोड़ 31 लाख हो गयी है। अब
इसी तर्ज पर शहरी क्षेत्रों में भी स्वयं सहायता समूह का गठन शुरू
करा दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के युवाओं को सरकारी नौकरी
एवं रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। वर्ष 2020 में सात निश्चय-2
के तहत 10 लाख नौकरी एवं 10 लाख रोजगार देने के बारे में तय
किया गया। सरकार इस पर लगातार काम कर रही है। अब तक 5 लाख 16 हजार
युवाओं को सरकारी नौकरी दी जा चुकी है। इसके अतिरिक्त
लगभग 2 लाख पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो गयी है। अब तय कर
दिया गया है कि इस साल और अगले साल में युवाओं को 10 लाख
की जगह 12 लाख सरकारी नौकरी दी जायेगी जिसके लिए पदों का सृजन

एवं बहाली का काम लगातार जारी है। जहाँ तक रोजगार की बात है,
पिछले 4 वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में 24 लाख लोगों
को रोजगार दे दिया गया है तथा इस साल और अगले साल में 10
लाख और लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य है। इस प्रकार 10 लाख
रोजगार की जगह 34 लाख लोगों को रोजगार दिया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने सभी धर्म एवं जाति के लोगों के
लिए काम किया है। चाहे हिन्दू हो, मुस्लिम हो, दलित हो,
महादलित हो, पिछड़ा हो या अति पिछड़ा हो या अपर कास्ट हो-
सभी के लिए काम किया गया है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति
तथा अति पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए बड़ी संख्या में
आवासीय विद्यालय एवं छात्रावासों का निर्माण कराया जा रहा है।
वर्तमान में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के छात्र-छात्राओं के लिए
91 आवासीय विद्यालय संचालित हैं। राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जाति की
50 हजार से अधिक आबादी वाले 40 प्रखंडों में नये आवासीय
विद्यालय बनाने का निर्णय लिया गया है जिसमें से 20 आवासीय विद्यालय का
निर्माण चल रहा है। अगले वर्ष तक सभी आवासीय विद्यालयों का
निर्माण करा लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि सभी जिलों में अति
पिछड़ा वर्ग के लिए जननायक कर्पूरी छात्रावास का निर्माण कराया गया
है। सभी जिलों में पिछड़े एवं अति पिछड़े वर्ग के लिए कन्या
आवासीय विद्यालय बनाने का निर्णय लिया गया है। अब 11 जिलों में
कन्या आवासीय विद्यालय संचालित है, 27 जिलों में नये कन्या आवासीय
विद्यालय का निर्माण कार्य जारी है। साथ ही इन सभी वर्गों के
युवक-युवतियों को सिविल सेवा प्रोत्साहन, ग्राम परिवहन योजना
एवं उद्यमी योजना का लाभ दिया जा रहा है। उन्हांेने कहा कि
मुस्लिम समुदाय के लिए भी वर्ष 2005 के बाद सरकार ने काफी काम
किया है। इस वर्ग के युवाओं के लिए विद्यार्थी प्रोत्साहन,
छात्रवृत्ति, मुफ्त कोचिंग आदि योजनाएँ चलायी जा रही है। मदरसों
को सरकारी मान्यता दी गयी है एवं मदरसा के शिक्षकों को सरकारी
शिक्षकों के बराबर वेतन दिया जा रहा है। वर्ष 2006 से ही
कब्रिस्तान की घेराबंदी शुरू की गयी। पहले 8 हजार से ज्यादा
कब्रिस्तानों की घेराबन्दी की गयी। बाद में 1 हजार 273
कब्रिस्तानों को और चिन्ह्ति किया गया, जिसमें से 746
कब्रिस्तानों की घेराबन्दी पूर्ण कर ली गयी है और 151
कब्रिस्तानों की घेराबंदी अंतिम चरण में है तथा 376
प्रक्रियाधीन है। उन्हांेने कहा कि वर्ष 2016 से 60 वर्ष से
पुराने हिन्दू मंदिरों की घेराबंदी की जा रही है जिससे
मंदिरों में यदा-कदा मूर्ति चोरी आदि की घटनाएँ न हों।
अब कोई झगड़ा-झंझट नहीं होता है। राज्य में प्रेम,
भाईचारा एवं शांति का माहौल है। राज्य सरकार सभी धर्मों

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हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध एवं जैन का ख्याल रखती है और
उनकी आस्था से जुड़े महत्वपूर्ण स्थलों का सौंदर्यीकरण
एवं यहाँ पर लोगों के लिए सुविधाओं का विकास किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2005 से बिहार का विकास तेजी से
किया जा रहा है। वर्ष 2005-06 में हमारी सरकार बनने के बाद राज्य
का बजट मात्र 28 हजार करोड़ रुपये ही था जिसे वर्ष 2006-07 में
बढ़ाकर 34 हजार करोड़ रुपये किया गया और यह बढ़ते-बढ़ते अब 2
लाख 78 हजार करोड़ रुपये हो गया है जो लगभग 10 गुणा हैै।
हमलोग वर्ष 2005 में सरकार मंे आने के बाद जितना काम किया है
उसके बारे में सभी लोग जानते है, लेकिन उसके पहले बिहार की
क्या स्थिति थी उसके बारे में भी सभी को जानना चाहिये।
बिहार का विकास और तेजी से हो, इसके लिए हम बिहार को विशेष
राज्य का दर्जाया विशेष आर्थिक सहयोग की माँग करते रहे हैं।
मुझे खुशी है कि केन्द्र सरकार ने इस बार के बजट में विशेष
आर्थिक सहायता के रूप में सड़क, उद्योग, स्वास्थ्य, पर्यटन, बाढ़
नियंत्रण आदि के लिए बड़ी राशि देने की घोषणा की है। इसके
लिए मैं आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रति आभार
व्यक्त करता हूँ और आशा है कि भविष्य में भी बिहार को इसी
तरह आवश्यकतानुसार सहयोग मिलता रहेगा। उन्होंने कहा कि सरकार
की कामना है कि समाज में सद्भाव एवं भाईचारा का माहौल
कायम रहेे। सभी चुनौतियों के बावजूद, हमारा राज्य प्रगति के
पथ पर अग्रसर है। हमारा अतीत गौरवशाली और विरासत समृद्ध है। हम
उसी ऊँचाई को फिर से प्राप्त करना चाहते हैं। आइये, स्वतंत्रता
दिवस के शुभ अवसर पर हम सब यह संकल्प लें कि बिहार को एक खुशहाल
राज्य के रूप में विकसित करने के लिए अपना सहयोग प्रदान करेंगे। इस
अवसर पर एक बार पुनः सभी बिहारवासियों को शुभकामनाएँ देता
हूँ। जय हिन्द। जय हिन्द। जय हिन्द।
इस अवसर पर मद्यनिषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग, महिला एवं
बाल विकास निगम, उद्योग विभाग (उपेन्द्र महारथी षिल्प
अनुसंधान संस्थान), बिहार षिक्षा परियोजना परिषद्, कला, संस्कृति
एवं युवा विभाग, जीविका, कृषि विभाग, विधि विभाग, पशु एवं
मत्स्य संसाधन विभाग, पर्यटन विभाग, पंचायती राज विभाग, नगर
विकास एवं आवास विभाग तथा बिहार अग्निषमन सेवा द्वारा झांकियां
निकाली गईं। इसमें बिहार षिक्षा परियोजना परिषद् को प्रथम
स्थान प्राप्त हुआ, जीविका को द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ जबकि उद्योग
विभाग(उपेन्द्र महारथी षिल्प अनुसंधान संस्थान) एवं बिहार
अग्निषमन सेवा को संयुक्त रूप से झांकी में तृतीय स्थान प्राप्त
हुआ।

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