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पटना, 6 जुलाई 2025:
बिहार की राजधानी पटना का गांधी मैदान इन दिनों आध्यात्मिक ऊर्जा और भक्तिभाव से सराबोर है। यहां चल रहे सनातन महाकुंभ में देशभर के प्रमुख संत-महात्मा, धर्माचार्य और साधु-संत जुटे हैं। यह आयोजन न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक बनकर उभरा है, बल्कि इसे सनातन धर्म के संरक्षण और जागरूकता के राष्ट्रीय मंच के रूप में देखा जा रहा है।
सनातन महाकुंभ का नेतृत्व कर रहे हैं बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री, जिन्होंने अपने ओजस्वी संबोधन में हिंदुओं से जातिगत भेदभाव छोड़कर एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “कुछ लोग देश में गजवा-ए-हिंद की बात करते हैं, लेकिन हम ‘भगवा-ए-हिंद’ चाहते हैं। हम राष्ट्रवाद की बात करेंगे, जातिवाद की नहीं।” उन्होंने स्पष्ट किया कि वह किसी धर्म के विरोधी नहीं हैं, बल्कि उन लोगों के विरोधी हैं जो सनातन धर्म के भीतर रहकर समाज को जातियों में बांटते हैं।
धीरेंद्र शास्त्री ने आगे कहा, “हम राजनीति नहीं, रामनीति के चक्कर में पटना आए हैं। हम हार नहीं मानेंगे, झुकेंगे नहीं। हमें मुसलमानों या ईसाइयों से दिक्कत नहीं है, बल्कि उन हिंदुओं से दिक्कत है जो हमें जातियों में बांटते हैं।” उन्होंने बिहार में चुनाव के बाद पदयात्रा की घोषणा भी की, ताकि सनातन मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाया जा सके।
महाकुंभ में जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने भी शिरकत की और अपने संबोधन में कहा कि बिहार की जनता अब हिंदू विरोधियों को सत्ता नहीं सौंपेगी। उन्होंने कहा कि यह आयोजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सनातन धर्म के भविष्य और दिशा निर्धारण का महापर्व है।
आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम से पधारे स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने भी इस आयोजन में भाग लिया। उनके शिष्यों ने बताया कि यह महाकुंभ सनातन धर्म के लिए मील का पत्थर साबित होगा। शिष्यों के अनुसार, “आज का आयोजन युवाओं और समाज को सनातन मूल्यों से जोड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।”
कार्यक्रम के केंद्र में परशुराम महोत्सव भी आयोजित किया गया है, जिसमें विशाल स्तर पर धार्मिक अनुष्ठान, यज्ञ, मंत्रोच्चार और प्रवचन हो रहे हैं। मंच पर अनेक संतों की उपस्थिति से गांधी मैदान का वातावरण पूर्णतः भक्तिमय बन गया है। यहां श्रोताओं की भारी भीड़ उमड़ रही है, जो संतों की वाणी सुनकर अभिभूत हो रही है।
इस भव्य आयोजन की अगुवाई भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे कर रहे हैं। उन्होंने इस महाकुंभ को “सनातन धर्म की चेतना का नवसंस्करण” बताया। चौबे ने कहा कि ऐसे आयोजनों से समाज में धार्मिक जागरूकता बढ़ती है और सनातन संस्कृति को नई ऊर्जा मिलती है।
गांधी मैदान और आसपास के इलाकों में भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने व्यापक सुरक्षा प्रबंध किए हैं। ड्रोन कैमरों के माध्यम से निगरानी, बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती, और विशेष ट्रैफिक प्लान के जरिए पूरे आयोजन को सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से संचालित किया जा रहा है।
महाकुंभ में धार्मिक कार्यक्रमों के साथ-साथ सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी हो रही हैं। वैदिक मंत्रोच्चार, भजन संध्या और विभिन्न सांस्कृतिक झांकियों ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया है। आयोजन स्थल को सजाया गया है और पूरे गांधी मैदान में धार्मिक चेतना की लहर दौड़ रही है।
पटना में हो रहा सनातन महाकुंभ आज एक ऐसा मंच बन गया है, जहां देशभर के संत-महात्मा एकजुट होकर सनातन धर्म की दिशा और दशा पर विचार कर रहे हैं। यह आयोजन केवल धार्मिक महत्व नहीं रखता, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का भी प्रतीक बन गया है। आगामी दिनों में यह देखना रोचक होगा कि यह आयोजन समाज में किस प्रकार की सकारात्मक दिशा तय करता है।
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