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जदयू (Janata Dal United) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने आज सुबह बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यह उनका लगातार 10वां कार्यकाल है, जिसने उन्हें राज्य के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले मुख्यमंत्री के रूप में और मजबूत कर दिया है। पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित इस भव्य शपथग्रहण समारोह में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान, और एनडीए के कई शीर्ष नेता मौजूद थे। गांधी मैदान में हजारों आम लोगों के साथ-साथ बड़ी संख्या में एनडीए कार्यकर्ता भी जुटे थे, जिससे यह आयोजन राजनीतिक रूप से अत्यंत प्रभावशाली बन गया।


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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ कुल 27 मंत्रियों ने शपथ ली। इनके बीच भाजपा और जदयू के साथ-साथ एनडीए के अन्य घटक दलों का संतुलन साफ दिखाई दिया।
नए मंत्रिमंडल में BJP के कई वरिष्ठ और युवा चेहरे शामिल किए गए हैं। इनमें प्रमुख नाम हैं:
वहीं, जदयू की ओर से निम्नलिखित नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली:
नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में इस बार अनुभव और युवा ऊर्जा, दोनों का संतुलन देखने को मिला है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एनडीए ने बिहार में बड़े जनादेश को देखते हुए एक व्यापक और मजबूत टीम तैयार करने की कोशिश की है, जो भविष्य की नीतियों और विकास कार्यों को गति दे सके।

हाल ही में संपन्न हुए बिहार विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने रिकॉर्ड जीत हासिल की। कुल 243 सीटों वाली विधानसभा में एनडीए को 202 सीटों का विशाल बहुमत मिला, जिसे एकतरफा जनादेश माना जा रहा है।
एनडीए की सीटें इस प्रकार रहीं:
इस के मुकाबले, विपक्षी महागठबंधन को मात्र 35 सीटें मिलीं, जो उनके लिए बड़ी राजनीतिक निराशा साबित हुई। चुनाव परिणामों ने स्पष्ट संदेश दिया कि जनता ने विकास, स्थिरता और सुशासन के पक्ष में मतदान किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शपथग्रहण के तुरंत बाद एक सोशल मीडिया पोस्ट में नीतीश कुमार को बधाई दी। उन्होंने लिखा कि नीतीश कुमार एक अनुभवी प्रशासक हैं, जिनका लंबे समय तक शासन करने का अनुभव बिहार के लिए अमूल्य है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि नीतीश नेतृत्व में बिहार की नई सरकार राज्य को विकास के नए आयामों तक ले जाएगी।
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि बिहार ने एक बार फिर विकास और स्थिरता की राजनीति पर भरोसा जताया है, और एनडीए सरकार इस भरोसे पर खरा उतरने के लिए प्रतिबद्ध है।

शपथग्रहण समारोह ऐतिहासिक गांधी मैदान में किया गया, जहां सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए थे। पूरे मैदान को सुबह से ही पार्टी समर्थकों और कार्यकर्ताओं ने भर दिया था। मंच पर प्रधानमंत्री मोदी सहित कई राष्ट्रीय नेता मौजूद रहे, जिससे यह समारोह महज़ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि एनडीए की ताकत का बड़े पैमाने पर प्रदर्शन बन गया।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के खुले मैदान में शपथ लेने का फैसला यह दिखाता है कि एनडीए इस विजय को जनता से सीधे जोड़ना चाहता है और यह जनता के आशीर्वाद का प्रतीकात्मक रूप है।
नीतीश कुमार को अब अपने नए कार्यकाल में कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना होगा, जिनमें शामिल हैं:
हालांकि उनकी छवि एक शांत, अनुभवी और विकासोन्मुख नेता की रही है। इसलिए जनता को उनसे काफी उम्मीदें हैं। चुनावों में बड़ा जनादेश भी इस बात का संकेत है कि राज्य ने उनके नेतृत्व पर फिर से भरोसा जताया है।
शपथग्रहण समारोह के साथ ही बिहार में एनडीए सरकार के एक नए अध्याय की शुरुआत हो गई है। नीतीश कुमार और उनकी टीम अब राज्य को आगे बढ़ाने के लिए कई नई नीतियों और योजनाओं पर काम शुरू कर सकती है। बिहार की राजनीति में एक बार फिर नीतीश कुमार ने यह साबित कर दिया है कि वे आज भी राज्य की सबसे प्रभावशाली राजनीतिक हस्तियों में से एक हैं।
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