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पटना: डेंटल हेल्थ सर्विसेज एसोसिएशन बिहार के प्रदेश अध्यक्ष डा. ठाकुर मुकेश सिंह चौहान ने राज्य सरकार पर चिकित्सकों के साथ भेदभावपूर्ण नीति अपनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार बिना किसी व्यवहारिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखे FRAS (फ्रास) चिकित्सकों पर नीतियां थोपना चाहती है, जो चिकित्सकों के विभिन्न लंबित मांगों को अनसुना करने के बराबर है।
डा. चौहान ने कहा कि मानवाधिकार आयोग ने अपने फाइल संख्या 3413/10 में स्पष्ट दिशानिर्देश दिए हैं कि चिकित्सकों की बायोमेट्रिक उपस्थिति को लागू करने से पहले संघ के साथ विमर्श किया जाए। इसके बावजूद सरकार द्वारा इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर चिकित्सकों की लंबित मांगों पर विचार किए बिना और सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सकों की कमी जैसी समस्याओं को नजरअंदाज करते हुए इस प्रकार के आदेश जारी किए गए, तो चिकित्सक आंदोलन करने के लिए स्वतंत्र होंगे। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन की सम्पूर्ण जिम्मेदारी सरकार की होगी।
डा. चौहान ने आगे कहा कि सिर्फ चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों पर ही बायोमेट्रिक उपस्थिति लागू करने के फैसले से चिकित्सक समुदाय में गहरा आक्रोश है। उन्होंने यह भी कहा कि आगामी दिनों में होने वाली चिकित्सकों की बैठक में आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी और आंदोलन के अगले चरण का निर्णय लिया जाएगा।
डा. चौहान के इस बयान के बाद चिकित्सक समुदाय में सरकार के खिलाफ नाराजगी और बढ़ने की संभावना है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है और चिकित्सकों की मांगों को किस तरह से संबोधित करती है।