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25 जुलाई को सामाजिक संस्था ‘धरोहर’ के तत्वावधान में कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ पर “अखिल भारतीय कवि सम्मेलन” का आयोजन हुआ I वीर रस का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा था I साथ ही साथ हास्य व्यंग्य की भी कविताएं लोगों की शाम को आनंदित कर रही थी रतलाम (मध्य प्रदेश) से आई श्रृंगार रस की कवियत्री सुमित्रा सरल ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जो जयपुर से आए अशोक चारण की वीर रस की कविताओं पर जाकर समाप्त हुआ I बखूबी मंच का संचालन कर रहे धरोहर के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम के आयोजक सूरज सिन्हा ने जब वीरों के सम्मान में कविता पढ़ी – थोड़ी देर मंदिरों का ध्यान भूलकर, मस्जिदों में हो रही है अजान भूल कर, गुरुद्वारों का अमृत पान भूल कर, गिरजाघरों का ईशगान भूलकर यानी हर पूजा सुबह शाम कर लो देश के शहीदों को प्रणाम कर लो का पाठ किया तो उपस्थित लोगों के रोम-रोम में देशभक्ति जागृत हो रही थी. उन्होंने कहा कि कारगिल में शहीद होने वाले सबसे पहले जांबाज बिहार रेजीमेंट के ही मेजर सर्वानंन थे.


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इससे पूर्व सभी कवियों को अतिथियों द्वारा अंग वस्त्र, मोमेंटो एवं बुके देकर सम्मानित किया गया.

रतलाम (मध्य प्रदेश) से आयी श्रृंगार रस की कवयित्री सुमित्रा सरल ने प्रेम की कविता – किसी से जरा दिल लगा के तो देखो…… पटरी पर रखा दिल ये धड़कता ही रह गया जैसी कवितायें भी पढ़ी और लोगों का दिल जीता I संचालन कर रहे सूरज सिन्हा ने जब अपनी कविता गरीबों औऱ अमीरों के बीच कितनी बड़ी खाई हैं, नहीं पता यहां कितनो कितनो ने खायी है, ऊपर से नीचे बाएं से दाएं चारों तरफ महंगाई है आज तो खाना भी हुआ महंगा रबड़ी मलाई है… का पाठ कर महंगाई की चरम सीमा से लोगों को रूबरू कराया तब थालियां की गड़गड़ाहट से समूचा हाल समर्थन दे रहा था. लखनऊ से आए व्यंग्यकार पंकज प्रसून ने लड़की पर जब अपनी कविता
वह स्वाभिमान के बीज बोने के लिए लड़ती है 

खुद के पैरों पर खड़े होने के लिए लड़ती है सुनाया तो लोग भाव विभोर हो रहे थे प्रतापगढ़, राजस्थान से आए देश के नामचीन पैरोडी गीतकार पार्थ नवीन में गीत गाया दगाबाज रे…. हमरे नेता बड़े दगाबाज रे… वाह रे नेता प्यारे….. गाड़ी हैँ बंगले हैं वारे न्यारे पब्लिक के पैसों पर नजर डाले’ I अंत में कविता पढ़ने की बारी जयपुर से आए वीर रस के प्रमुख हस्ताक्षर अशोक चारण की आई जिन्होंने अपनी सर्वाधिक चर्चित कविता तिरंगा का पाठ किया और कहा “मिले तिरंगा मरकर भी जी जाऊंगा…. अंतिम घड़ियों तक भी मैं तो गीत वतन का गाऊंगा….. अपनी हस्ती तो मिटी नहीं..मिट गए मिटाने वाले…… हिम्मत हो तो तुम भी पढ़ लो सारी खबरें लाया हूं…. POK में जाकर हमने ट्रिपल सेंचुरी मारी हैं जैसे कविताओं का पाठ कर देशभक्ति की जज्बात का संचार किया और कारगिल शहीद को नमन किया
इस अवसर पर बिहार कांग्रेस के सीएलपी लीडर डॉ शकील अहमद, पद्म श्री डॉ. गोपाल प्रसाद सिन्हा, पद्मा श्री डॉ जितेंद्र कुमार सिंह, धरोहर के अध्यक्ष एवं कांग्रेस नेता सूरज सिन्हा,डॉ राजीव रंजन, शिक्षाविद संजय कुमार,अरशद अहमद, अमिताभ शरण, प्रणिता पांडे, श्वेता श्रीवास्तव समेत अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे I
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