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पलायन के दर्द को देख भावुक हुए दर्शक, सरपंच मां की ममता के आगे बेबस हो गया l
प्रवीण सांस्कृतिक मंच की ओर से गबरघिचोर की संगीतमय प्रस्तुति l
मंच पर सभी पात्रों ने दर्शाया बेहतरीन अभिनय l
कार्यक्रम के शुरुआत में अभिराम भडकनकर ने बीते दिनों पटना के गलियों से निकल कर रंगमंच पर अपना उज्वल भविष्य बनाने के साथ ही साथ समाज मे एक अच्छा महौल देने की कोशिश कर रहे रंगकर्मी प्रवीण को याद करते है जिनके याद मे यह महोत्सव मनाया जाता रहा है
महोत्सव के आज चौथे दिन राजधानी दिल्ली के श्री राम सेंटर ऑडिटोरियम में पांच दिवसीय प्रवीण स्मृति नाट्य महोत्सव के चौथे दिन प्रवीण सांस्कृतिक मंच की ओर से वरिष्ट रंगकर्मी विज्येंद्र टॉक के निर्देशन में भिखारी ठाकुर रचित भोजपुरी नाटक ‘गबरघिचोर’ का मंचन देख दर्शक भाव विभोर हो गए। यह एक संगीतमय प्रस्तुति थी जिसमें लोकगीत व लोकनृत्यों की रोचकता देखते बनी। संगीत पक्ष नाट्य प्रस्तुति को शानदार बना रहा था। मंच पर पात्र बिल्कुल गवई अंदाज में संवाद अदायगी करते नजर आए। आमतौर पर भिाखारी ठाकुर के नाटक लोकगीत व नृत्यों के माध्यम से कहानी कहने के लिए जाना जाता है। उसी नाट्यशैली की परंपरा को विज्येंद्र टॉक के निर्देशन में मंच पर साकार किया गया। जिसके कार्यक्रम संयोजक इन्द्रदीप चंद्रवंशी थे l नाटक एक औरत के संघर्ष, सम्मान, अधिकार और ममता की लड़ाई पर आधारित थी। नाटक की कहानी एक औरत और उसके बेटे गबरघिचोर के इर्द-गिर्द घूमती है। औरत का पति शादी के तुरंत बाद उसे छोड़कर पैसे कमाने के लिए शहर चला जाता है। 15 साल बाद उसे पता चलता है कि उसका एक बेटा (गबरघिचोर) है। कहानी में मोड़ तब आता है जब गांव का ही एक आदमी गबरघिचोर पर अपना अधिकार जताता है। पति-पत्नि और तीसरे शख्स में बेटे को लेकर लड़ाई होती है। गांव में सरपंच फैसला सुनाते हैं कि गबरघिचोर को तीन टुकड़ो में काटा जाए और उसे तीनों में बांट दिया जाए। उसके बाद उसकी मां कहती है कि गबरघिचोर को किसी को भी दे दें, लेकिन उसे काटा ना जाए। आखिर में सरपंच मां की ममता के आगे बेबस हो जाता है और गबरघिचोर को मां को सौंपने का फैसला सुनाता है। नाटक में सभी कलाकारों का अभिनय सराहनीय रहा। इस नाटक का निर्देशन वरिष्ठ एवं चर्चित रंगकर्मी विज्येंद्र टॉक ने किया था।
मंच पर
गबरघिचोर- सोनू कुमार
गलीज – कुमार स्पर्श
गड़बड़ी – राहुल रंजन
पंच- राजू मिश्रा
गलीज बो – प्रतिमा कुमारी
कसाई – अरविंद कुमार
मंच परे
प्रकाश – अशोक तिवारी , विनय कुमार
रूप सज्जा= जितेंद्र जीतू
वस्त्र – राखी लोहिया
मंच – सुनील कुमार
संगीत – संजय उपाध्याय
संगीत संयोजक – रोहित चंद्रा
ढोलक- गौरव पांडेय
सारंगी – अनिश मिश्रा
क्लारिनेट – मो. नूर
बैंजो- नारायण
झाल – अरविन्द कुमार
लेखक – भिखारी ठाकुर
सहायक निर्देशन – राहुल रंजन
निर्देशन – बिज्येंद्र कुमार टांक