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कला एवं शिल्प महाविद्यालय में 12 अगस्त 2024 को एक महत्वपूर्ण व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें देश के दो प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों ने अपने विचार साझा किए। इस अवसर पर मुंबई से प्रसिद्ध फिल्मकार पंकज पाराशर और दिल्ली से नेशनल म्यूजियम इंस्टीट्यूट के कला इतिहासकार प्रोफेसर राहुल देव ने छात्रों को अपने अनुभव और ज्ञान से अवगत कराया। महाविद्यालय के प्राचार्य, डॉ. अजय कुमार पांडेय ने दोनों अतिथियों का अंग वस्त्र देकर स्वागत किया।



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 कार्यक्रम का पहला व्याख्यान प्रोफेसर राहुल देव ने दिया, जिसमें उन्होंने विश्व कला के इतिहास में महत्वपूर्ण कला प्रदर्शनियों के प्रभाव पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे इन प्रदर्शनियों ने वैश्विक कला के मायने बदले हैं। विशेष रूप से उन्होंने जर्मनी के कासेल शहर में हर पाँच साल में आयोजित होने वाली प्रसिद्ध “डाक्यूमेंट” प्रदर्शनी का उदाहरण दिया। उन्होंने इसे कलाकारों, क्यूरेटरों और कला इतिहासकारों के बीच एक प्रतिष्ठित और सम्मानित आयोजन बताया। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी इटली के वेनिस विएनाले की तुलना में अधिक अकादमिक होती है और इसका बाजार पर कम प्रभाव होता है। प्रोफेसर देव ने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से कला प्रदर्शनियों की महत्ता पर जोर दिया।

दूसरे व्याख्यान में फिल्मकार पंकज पाराशर ने फिल्म निर्माण के सृजनात्मक पक्षों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने फिल्म निर्माण को एक प्रचलित और सशक्त कला माध्यम बताते हुए अपने अनुभवों को साझा किया। पंकज पाराशर ने अपनी फिल्मों और चित्रों के निर्माण से जुड़े रोचक अनुभवों को छात्रों के साथ साझा किया, जिससे छात्रों में रचनात्मकता और फिल्म निर्माण के प्रति जागरूकता बढ़ी। उन्होंने बताया कि फिल्म निर्माण न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने का एक सशक्त माध्यम भी है।
इस व्याख्यान में फोटोग्राफर श्री सुमन श्रीवास्तव , श्री विशाल वर्मा, डॉ. राखी कुमारी, श्री मजहर इलाही, शशि रंजन प्रकाश समेत बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। कार्यक्रम का समापन छात्रों के सवाल-जवाब के सत्र के साथ हुआ, जिसमें दोनों अतिथियों ने छात्रों के सवालों के उत्तर देकर उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया।
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