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भागलपुर, 24 फरवरी 2025: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ‘पीएम किसान सम्मान निधि’ कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आत्मविश्वास और बेहतरीन तालमेल का प्रदर्शन किया, जिससे विपक्ष द्वारा उनके स्वास्थ्य और फिटनेस को लेकर उठाए जा रहे सवालों पर विराम लग गया।
राजनीतिक विरोधियों द्वारा नीतीश कुमार को शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम बताने के दावों के विपरीत, जदयू प्रमुख इस कार्यक्रम में पूरी ऊर्जा और सतर्कता के साथ नजर आए। पूरे आयोजन के दौरान वे प्रधानमंत्री मोदी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे, जिससे उनकी राजनीतिक पकड़ और सक्रियता साफ झलकी। उनकी उपस्थिति और पीएम मोदी के साथ सहज तालमेल ने उनकी सेहत को लेकर किए जा रहे दावों को निराधार साबित कर दिया।
कार्यक्रम स्थल पर पहुंचते ही नीतीश कुमार का आत्मविश्वास झलक रहा था। वे प्रधानमंत्री मोदी के साथ संवाद कर रहे थे, मुस्कुरा रहे थे और सीधी मुद्रा में चलते दिखे—जो विपक्ष द्वारा उन्हें कमजोर और अस्वस्थ बताए जाने के दावों के विपरीत था। पूरे कार्यक्रम के दौरान वे प्रभावशाली अंदाज में इशारे करते रहे, जनता से संवाद किया और स्पष्ट एवं जोशीले अंदाज में अपनी बातें रखीं, जिससे उनकी नेतृत्व क्षमता और मजबूती उजागर हुई।
राजनीतिक विश्लेषकों ने मोदी और नीतीश के बीच बेहतरीन तालमेल को महसूस किया, जो आपसी सम्मान और सहयोग पर आधारित था। दोनों नेता एकजुट होकर मंच पर नजर आए, जिससे उनकी राजनीतिक साझेदारी और बिहार के विकास के प्रति साझा प्रतिबद्धता का संदेश साफ गया। कार्यक्रम से पहले आयोजित रोड शो में भी दोनों नेताओं की जबरदस्त बॉन्डिंग देखने को मिली, जहां उन्होंने खुली जीप से जनता का अभिवादन किया, जो एक मजबूत प्रशासनिक गठजोड़ का प्रतीक था।
अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के विकास में नीतीश कुमार के योगदान की सराहना की, जिससे उन आलोचकों को जवाब मिला, जो हाल के महीनों में मुख्यमंत्री की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे थे। नीतीश कुमार ने भी केंद्र सरकार के सहयोग के प्रति आभार व्यक्त किया और पूरी स्पष्टता और आत्मविश्वास के साथ बिहार की कृषि प्रगति, बुनियादी ढांचे के विकास और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया, जिससे उनकी नेतृत्व क्षमता और मानसिक सतर्कता साफ झलकी।
विपक्ष द्वारा नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर बनाई जा रही नकारात्मक धारणाओं को यह कार्यक्रम पूरी तरह खारिज कर चुका है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस आयोजन में उनकी ऊर्जावान और प्रभावशाली भागीदारी विपक्षी अटकलों का सीधा जवाब है।
इस सार्वजनिक उपस्थिति के जरिए नीतीश कुमार ने यह साबित कर दिया कि वे न केवल शारीरिक रूप से फिट और मानसिक रूप से मजबूत हैं, बल्कि बिहार की राजनीति में भी मजबूती से डटे हुए हैं। भागलपुर का यह कार्यक्रम अब मौजूदा राजनीतिक माहौल में एक निर्णायक क्षण बन गया है, जहां नीतीश कुमार की ऊर्जा और नेतृत्व ने सभी अटकलों को दरकिनार कर दिया है।