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प्रयागराज।
प्रवीण सांस्कृतिक मंच द्वारा आयोजित प्रवीण स्मृति नाट्योत्सव 2025 का भव्य समापन रविवार, 14 दिसंबर 2025 को हिन्दी साहित्य के महान कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कालजयी कृति ‘रश्मिरथी’ के प्रभावशाली मंचन के साथ हुआ। नाट्योत्सव के पांचवें और अंतिम दिन प्रस्तुत यह नाटक ओज, संवेदना और विचार की गहराई से भरपूर रहा।


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‘रश्मिरथी’—जिसका शाब्दिक अर्थ है सूर्यकिरण रूपी रथ का सवार—वर्ष 1952 में प्रकाशित सात सर्गों वाला खण्डकाव्य है। मंचन में महाभारत के पात्र कर्ण के संघर्षपूर्ण जीवन, उसकी नैतिक दृढ़ता, आत्मसम्मान और कर्म की श्रेष्ठता को केंद्र में रखा गया। नाटक में कर्ण को केवल एक पौराणिक पात्र के रूप में नहीं, बल्कि मानवीय मूल्यों, नैतिकता और सामाजिक न्याय के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया।

प्रस्तुति के दौरान दिनकर द्वारा उठाए गए सामाजिक और नैतिक प्रश्न प्रभावशाली ढंग से उभरकर सामने आए। गुरु-शिष्य संबंध, मातृत्व के विविध आयाम, धर्म, छल-प्रपंच और युद्ध की पृष्ठभूमि में मानवीय मूल्यों की खोज जैसे विषयों को गंभीर संवेदनशीलता के साथ मंच पर रखा गया। नाटक ने यह सशक्त संदेश दिया कि मनुष्य का मूल्यांकन उसके जन्म से नहीं, बल्कि उसके कर्म और आचरण से किया जाना चाहिए।

मंचन के माध्यम से दिनकर का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण और दलित-मुक्ति की चेतना भी स्पष्ट रूप से सामने आई। कर्ण का संघर्ष एक नई और न्यायपूर्ण मानवता की स्थापना के प्रयास के रूप में जीवंत हो उठा।

ओजस्वी संवादों, भावपूर्ण अभिनय, सशक्त संगीत और सधी हुई मंच-परिकल्पना ने दर्शकों को अंत तक बांधे रखा। नाटक के समापन पर दर्शकों ने खड़े होकर तालियों से कलाकारों और पूरी टीम का उत्साहवर्धन किया।
कलाकार एवं तकनीकी टीम
कर्ण की भूमिका में स्पर्श मिश्रा ने प्रभावशाली अभिनय किया। अन्य प्रमुख भूमिकाओं में इंद्र के रूप में नीलेश्वर मिश्रा, कुंती के रूप में लक्ष्मी मिश्रा, परशुराम की भूमिका में अपराजिता कुमारी, दुर्योधन के रूप में जहांगीर ख़ान, कृपाचार्य के रूप में राहुल रंजन, अर्जुन के रूप में नंदन, भीष्म के रूप में रोहित चंद्रा, शल्य/सूत्रधार के रूप में अभिषेक आनंद और अश्वसेन के रूप में प्रतिमा भारती नजर आए। कृष्ण की भूमिका गायन दल द्वारा प्रस्तुत की गई।
संगीत निर्देशन रोहित चंद्रा का रहा। सारंगी पर अनीश मिश्रा, पखवाज़ पर अभिषेक राज और ढोलक पर गौरव पांडेय ने संगत की। गायन दल में प्रिंस राज, आदित्य कुमार और सोनू कुमार शामिल रहे। प्रकाश परिकल्पना विनय चौहान, मंच परिकल्पना जयंत देशमुख, रूप-सज्जा जितेन्द्र कुमार ‘जीतू’ तथा सेट निर्माण सुनील विश्वकर्मा, मनीष कुमार, लाल बाबू कुमार, सुमित कुमार और अरुण कुमार ने किया।
नाटक की परिकल्पना एवं निर्देशन बिजयेन्द्र कुमार टॉक द्वारा किया गया।
इस ओजपूर्ण प्रस्तुति के साथ प्रवीण स्मृति नाट्योत्सव 2025 का सफल और यादगार समापन हुआ।
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