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4 अगस्त 2024 को प्रेमचन्द रंगशाला में हृषिकेश सुलभ के उपन्यास “दाता पीर” पर आधारित नाटक “स्मॉल टाउन ज़िन्दगी” का भव्य मंचन किया गया। इस नाटक ने दर्शकों को अपनी विशाल प्रॉपर्टी और जबरदस्त अभिनय से मंत्रमुग्ध कर दिया। यह प्रस्तुति रणधीर कुमार के निर्देशन में हुई, जो अपने बेहतरीन निर्देशन और व्यापक मंच सज्जा के लिए प्रसिद्ध हैं।
“स्मॉल टाउन ज़िन्दगी” हृषिकेश सुलभ के उपन्यास “दाता पीर” का नाट्य रूपांतरण है। यह नाटक पटना के प्राचीन इलाकों पर आधारित है और जीवन और मृत्यु के जटिल संबंधों पर प्रकाश डालता है। नाटक में फजलू, रसीदन, अमीना, चुन्नी, समद, साबिर, बबलु, सत्तार और राधे के जीवन की कथा को प्रस्तुत किया गया है। यह नाटक कब्रों और मय्यतों के बीच पलते जीवन की क्षणिक प्रकृति और मृत्यु की स्थायित्व को दर्शाता है। अमीना और चुन्नी के बीच की तनावपूर्ण प्रतियोगिता अस्तित्व के संघर्ष का प्रतीक है, जहां मृत्यु हमेशा मौजूद रहती है।
नाटक का मुख्य विषय प्रेम और मानवीय भावना की स्थायी विरासत के इर्द-गिर्द घूमता है। यह नाटक हमारे जीवन को परिभाषित करने वाले गहरे संबंधों की कहानी है। अपनी समृद्ध कथा और विचारोत्तेजक दृश्यों के साथ, “स्मॉल टाउन ज़िंदगी” दर्शकों को जीवन और मृत्यु के बीच के नाजुक संतुलन और उसके स्थायी प्रभाव पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है।
नाटक में सुनील कुमार राम, आदिल रशीद, अंजली शर्मा, राहुल रवि, रौशनी कुमारी, प्रियांशी, सौरभ सागर, संदेश कुमार ने अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया। इन कलाकारों ने अपने पात्रों को जिस जीवंतता के साथ प्रस्तुत किया, उसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
प्रस्तुति आलेख कृष्ण समिद्ध द्वारा तैयार किया गया था, जबकि पोस्टर भी उनके द्वारा ही डिजाइन किया गया था। परिदृश्य, वस्त्र-विन्यास और प्रकाश व्यवस्था रणधीर कुमार द्वारा की गई थी, जिसमें राजीव कुमार ने प्रकाश में सहयोग दिया। नृत्य संरचना रौशनी कुमारी और प्रियांशी ने की, जबकि ध्वनि की जिम्मेदारी राहुल राज ने संभाली।
सेट निर्माण का कार्य सुनील कुमार शर्मा ने किया, जिसमें धनराज और विनय कुमार ने सहायता की। प्रस्तुति प्रबंधक सुनील कुमार राम थे, जबकि मंच प्रबंधक की जिम्मेदारी आदिल रशीद ने निभाई। प्रस्तुति सहयोग में भूपेन्द्र कुमार, बीरबल, उपेन्द्र, श्याम बिहारी, चंदन कुमार, और बृजानंद प्रसाद ने योगदान दिया। सह-निदेशक के रूप में अंजली शर्मा ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।नाटक का निर्देशन रणधीर कुमार और कृष्णा समिद्ध ने किया। दोनों निदेशकों ने नाटक के प्रत्येक पहलू पर बारीकी से काम किया, जिससे नाटक की प्रस्तुति और भी प्रभावशाली बन गई। रणधीर कुमार का निर्देशन और कृष्णा समिद्ध का आलेख इस नाटक की मुख्य विशेषताएं थीं, जिन्होंने इस नाटक को दर्शकों के लिए एक यादगार अनुभव बना दिया।
“स्मॉल टाउन ज़िन्दगी” ने न केवल पटना के प्राचीन इलाकों की जीवंतता को मंच पर उतारा, बल्कि जीवन और मृत्यु के गहरे संबंधों को भी बखूबी प्रस्तुत किया। यह नाटक दर्शकों को जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है, जो इसे एक अनूठी और महत्वपूर्ण प्रस्तुति बनाता है।
इस नाटक की सफलता ने यह साबित कर दिया कि पटना की सांस्कृतिक धरोहर और रंगमंच की प्रतिभा अभी भी जीवंत और प्रभावशाली है। “स्मॉल टाउन ज़िन्दगी” निस्संदेह आने वाले समय में भी याद किया जाएगा और पटना के रंगमंच के इतिहास में अपनी विशेष जगह बनाएगा।