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ज्ञात हो कि सांस्कृतिक संस्था लोक पंच द्वारा संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सौजन्य से दिनांक 14 फरवरी 2024 से 17 फरवरी 2024 तक 4 दिवसीय दशरथ मांझी नाट्य महोत्सव का आयोजन छकूबीघा, दाउदनगर, औरंगाबाद में हुआ, जिसका समापन हुआ आज दिनांक 17 फरवरी 2024 को पटना के प्रेमचंद रंगशाला में किया गया। आज एच एम टी, पटना द्वारा सुरेश कुमार हज्जू के निर्देशन में नाटक “पालकी पालना” की प्रस्तुति की गयी।
कथासार
आज हमारे समाज में लड़कियाँ/महिलाएँ एक तरफ तो उन्नति की शिखर की ओर बढ़ रही है, परन्तु इसका दूसरा पहलू भी है जिसे नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता। भ्रूण हत्या, बाल-विवाह आदि ऐसी समस्याएँ हैं जो आज भी हमारे समाज को जकड़े हुए है। नाटक ‘पालकी-पालना’ इन्हीं समस्याओं में एक ‘बाल-विवाह’ को लेकर लिखी गई है। लेखक विनोद रस्तोगी ने बहुत ही सरल और सटीक अन्दाज में बाल-विवाह जैसे कुरीतियों को अपने नाटक ‘पालकी-पालना’ में उजागर किये हैं। कहानी एक बच्ची के इर्द-गिर्द घूमती है। बच्ची के माता-पिता अज्ञानतावश उसकी शादी तय कर देते हैं। उस बच्ची की क्या भावनाएँ हैं? ससुराल क्या होता है? इन सब बातों को यह नाटक स्पष्ट रूप से दर्शकों के सामने रखती है। अन्त में नाटक के एक पात्र ‘नारद जी’ द्वारा बच्ची के माता-पिता को समझाता है कि बाल-विवाह करने से क्या-क्या समस्याएँ पैदा हो सकती है । नाटक का एक प्रमुख दृश्य है, उसके बाद बच्ची के माता-पिता के समझ में बात आती है और वो प्रतिज्ञा करते है कि उसे अपनी बच्ची को पढ़ाना है, आगे बढ़ाना है ।
मंच पर
गोपी, सिमरन, विशाल, सुदर्शन शर्मा, रिंकी,
नेहा, मुस्कान, नेहा, विक्रम (छोट), साजन,
आयुष, आयशा कितिका, भुमी, अंजली, प्रिया,
श्रृष्टि, अंर्चना, साहिल, ज्योति, तेजस्वनी, नीतिश,
लव कुश, रौनक, अविनास, युवराज, आयुष आदि।
नाटक की प्रस्तुति के बाद लोक पंच द्वारा नाटक के निर्देशक सुरेश कुमार हज्जू को स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र प्रदान किया। संस्था के सचिव मनीष महिवाल ने दर्शकों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए महोत्सव का समापन किया। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों में राम प्रवेश, दीपा दीक्षित, सनत कुमार, प्रियंका सिंह, विजेंद्र , अहमद जमाल, अभिषेक राज, अरविंद कुमार, सत्यम मिश्रा, सोनू, रूपम आदि