राजनीति नहीं, रामनीति: धीरेंद्र शास्त्री


ऐतिहासिक महाकुंभ का गवाह बना गांधी मैदान लाखों की श्रद्धालुओं के बीच संतों का उद्घोष:

भगव—हिंद चाहिए समारोह में बड़ी राजनीतिक हस्तियां भी शामिल

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पटना: पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में रविवार को श्रीराम कर्मभूमि न्यास द्वारा भगवान परशुराम जन्मोत्सव समापन के पावन अवसर पर आयोजित “सनातन महाकुंभ” पूरे भारत से आए संतों ने सनातन संस्कृति को सशक्त करने का आह्वान किया।

बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने ”श्रीमद्भगवदगीता परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्‌। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥” को उद्धधृत करते हुए कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया। उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास द्वारा किए गए इस श्लोक के भावार्थ— ”जब-जब होई धरम की हानी, बाढ़हि असुर अधम अभिमानी, तब-तब धरि प्रभु विविध शरीरा, हरहि दयानिधि सज्जन पीरा” भी साझा किए।

सनातन महाकुंभ की अध्यक्षता करते हुए तुलासीपीठाधीश्वर जगद्गुरु श्रीरामभद्राचार्य ने सनातन रक्षा का संकल्प दोहराया और अयोध्या के श्रीराम मंदिर की भांति ही पुनौरा में माता जानकी के भव्य मंदिर बनाने की बात कही। सनातन संस्कृति का बुरा चाहने वालों का भला नहीं होगा।

इस अवसर पर बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने सनातन धर्म की गहराई को शब्दों में पिरोते हुए कहा- सनातन का अर्थ है जिसका न आदि है न अंत, जो सदा था, सदा है और सदा रहेगा। उन्होंने कहा कि आज लोग पूछते हैं सनातन क्या है, तो जवाब है ये कोई पंथ नहीं, कोई मत नहीं, ये भारत की आत्मा है। हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं के बीच उन्होंने धर्म और संस्कृति के मूल स्वरूप को सरल भाषा में समझाया। बागेश्वर महाराज ने कहा- अब देश जाग रहा है, सनातन का मतलब अब सिर्फ किताबों में नहीं रहेगा, जन-जन के हृदय में उतरेगा। उन्होंने वृंदावन में 6 नवंबर से होने वाली पदयात्रा में आने का आह्वान भी उपस्थित सनातन प्रेमियों से किया। उन्होंने यह भी कहा कि पिछली बार गांधी मैदान में कार्यक्रम की अनुमति नहीं मिली थी। लेकिन, वे निकट भविष्य में गांधी मैदान में ही दरबार लगाएंगे। साथ ही बिहार चुनाव के बाद यहां भी पदयात्रा करेंगे, जो केवल हिंदुओं के लिए होगा।

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उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि भगवान परशुराम सनातन धर्म के अद्भुत योद्धा, तपस्वी और न्यायप्रिय थे। उनका जीवन हमें सिखाता है कि धर्म की रक्षा के लिए जब आवश्यक हो, तो दृढ़ संकल्प के साथ अन्याय के विरुद्ध खड़ा होना ही सच्ची भक्ति है। यह आयोजन मात्र एक उत्सव नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति, वेद, मर्यादा और राष्ट्रधर्म के उत्थान का एक भव्य संगम है। ऐसे आयोजनों से हमारी आस्था सुदृढ़ होती है और भावी पीढ़ी को धर्म, परंपरा और संस्कृति से जोड़ने की प्रेरणा मिलती है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने आयोजन की सराहना करते हुए श्रीराम कर्मभूमि न्यास तथा प्रदेश के कोने—कोने से आए सनातनधर्मावलंबियों को इसके लिए बधाई दी।

इस अवसर पर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि सनातन महाकुंभ के माध्यम से सोई हुई लोक चेतना के जागरण और उन्मुखीकरण का जो प्रयास हो रहा है, इसके दूरगामी परिणाम सामने आएंगे। हरेक भारतीय का कर्तव्य है कि वह सनातन की रक्षा में अपनी भूमिका स्वयं सुनिश्चित करे। सनातन किसी व्यक्ति, राज्य या देश तक सीमित नहीं है। बल्कि, इसमें संपूर्ण विश्व में सुख—शांति की स्थापना का सामर्थ्य है।

श्रीराम कर्मभूमि न्यास के संस्थापक सह संरक्षक जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्रीअनंताचार्य ने कहा कि सनातन को कमजोर करने के लिए जातीय विद्वेष का उपयोग अस्त्र की तरह हो रहा है।

इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे व कुमार सुशांत द्वारा लिखित पुस्तक सनातन संग भारत एवं सनातन संवाद स्मारिका का विमोचन किया गया। इस अवसर पर श्री चौबे ने कहा कि सनातन की रक्षा होगी, तभी भारत राष्ट्र की रक्षा संभव है। उन्होंने कहा कि भगवान परशुराम सनातन धर्म और भारत की रक्षा के आदिपुरुष हैं। इन्होंने क्षात्रधर्म और न्याय की पुनर्स्थापना कर शांति सुव्यस्था स्थापित की थी। वर्तमान समय में सामाजिक समरसता एवं जातीय विद्वेष से उबरने में भगवान परशुराम के आदर्श को व्यावहार में उतारना होगा। राष्ट्रकवि दिनकर ने चीन से हुए युद्ध के समय परशुराम की प्रतीक्षा की रचनाकर इस दिशा में सशक्त प्रयास किया था।

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श्रीराम कर्मभूमि न्यास के अध्यक्ष कृष्णकांत ओझा ने मंच का संचालन किया। इस अवसर पर चार संकल्प प्रस्ताव पारित किए गए। इसमें प्रथम संकल्प— भगवान श्रीराम के पराक्रमी रूप का विशालतम प्रतिमा, उनकी शिक्षा, दीक्षा, परीक्षा एवं प्रथम कर्मभूमि सिद्धाश्रम बक्सर में स्थापित करना। सिद्धाश्रम तीर्थ क्षेत्र बक्सर में महर्षि विश्वामित्र वैदिक विश्वविद्यालय की स्थापना। दूसरा संकल्प— माता सीताजी के प्राकट्य स्थल सीतामढ़ी के पुनौरा धाम में बिहार सरकार ने एक भव्य एवं दिव्य मंदिर बनाने का संकल्प लिया है और सरकार इस दिशा में तेजी से कार्य भी कर रही है। इसके लिए जिन्होंने विशेष प्रयत्न एवं आशीष प्रदान किया है और पुनौरा धाम के नाम को विश्व-स्तर पर पहुंचाने का कार्य किया है। तीसरा संकल्प— भागलपुर प्रमण्डल के बांका ज़िला स्थित मंदार पर्वत की चोटी पर विराजमान स्वयंभू श्रीमंदारेश्वर काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार एवं समुद्र मंथन के माध्यम से भारत के सांस्कृतिक गौरव को स्थापित करने वाले प्राचीनतम मंदार-पर्वत के गौरव की पुनर्स्थापना। चौथा संकल्प— भारत के सभी मठ-मंदिरों, वैदिक संस्थानों, गुरुकुलों को आचार्य-परंपरानुसार हर दृष्टि से साधन-संपन्न बनाना ताकि ये सेवा-संस्कार और ज्ञान के केंद्र के रूप में अपनी सशक्त भूमिका का निर्वहन कर सकें। मठ-मंदिरों को सरकार के नियंत्रण से मुक्त कराना। आचार्य एवं पुरोहितों के लिए योग्य शिक्षण-प्रशिक्षण का प्रकल्प निर्माण करना।

इस समारोह में संतों, सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ ही बड़ी राजनीतिक हस्तियां भी शामिल हुईं। पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, बिहार सरकार के मंत्री डॉ. प्रेम कुमार, नितिन नवीन, एमएलसी ई. सच्चिदानंद राय, विधायक संजीव चौरसिया, उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, आजमगढ़ के पूर्व सांसद दिनेशलाल यादव निरहुआ, प्रयागराज के विधायक यमुना प्रसाद निषाद, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल आदि शामिल थे। इस समारोह के आयोजन में श्रीराम कर्मभूमि न्यास के अलावा अखिल विश्व परशुराम महासंघ, रामायण रिसर्च काउंसिल, राष्ट्रकवि रामधारी ​सिंह स्मृति न्यास, चेतना परिषद्, परशुराम परिषद्, अटल विचार मंच आदि संगठन मुख्य रूप से आयोजन करता थे |

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वही कार्यक्रम के दौरान उक्त अवसर पर अभिजीत कश्यप,संजय चौधरी,नीरज कुमार ,अर्जित शाश्वत चौबे,रजनीश तिवारी ,विनोद ओझा ,अविरल चौबे,रवि शांडिल्य,नागेश सम्राट समेत दर्जनों मुख्य आयोजनकर्ता मौजूद रहें ।

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