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पटना: नगर पालिका संशोधन विधेयक-2024 के प्रस्ताव ने हाल ही में पटना नगर निगम की बैठक में भारी विरोध को जन्म दिया। इस विधेयक ने न केवल बोर्ड के सदस्यों के बीच बल्कि पूरे शहर में भी चिंता की लहर पैदा कर दी। मेयर ने इस बैठक के दिन को ‘काला दिन’ करार दिया, जिससे माहौल और भी गरमा गया।
नगर पालिका संशोधन विधेयक-2024 का मुख्य उद्देश्य नगर निगम की कार्यप्रणाली में सुधार करना और नागरिक सेवाओं को बेहतर बनाना है। इस विधेयक में नए कर और शुल्क लगाने के प्रावधान शामिल हैं, जो विरोध का मुख्य कारण बन गए हैं।
कई बोर्ड सदस्यों ने विधेयक के प्रावधानों पर गहरी आपत्ति जताई, उनका तर्क है कि यह विधेयक नागरिकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालेगा और उनकी जीवन की गुणवत्ता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा। विरोध करने वाले सदस्यों ने विधेयक तैयार करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता और सार्वजनिक भागीदारी की कमी पर भी जोर दिया।
विधेयक के विरोध में कड़ा रुख अपनाते हुए मेयर ने कहा, “आज का दिन पटना के इतिहास में एक काला दिन है। यह विधेयक जनता के हितों के खिलाफ है और हम इसे किसी भी हालत में पारित नहीं होने देंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक को तैयार करते समय पारदर्शिता और सार्वजनिक सहभागिता का अभाव था, जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
विरोध को देखते हुए, नगर निगम बोर्ड ने विधेयक पर पुनर्विचार करने और सभी संबंधित पक्षों की राय लेने के लिए एक विशेष समिति गठित करने का निर्णय लिया है। यह समिति विधेयक के सभी पहलुओं की समीक्षा करेगी और आवश्यक संशोधनों के सुझाव देगी।
नगर पालिका संशोधन विधेयक-2024 को लेकर हुए विरोध ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पटना के नागरिक और उनके प्रतिनिधि इस तरह के प्रावधानों को स्वीकार नहीं करेंगे जो उनके हितों के खिलाफ हों। मेयर के नेतृत्व में, नगर निगम बोर्ड ने जनता की भागीदारी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाने का संकल्प लिया है। इस घटना ने समावेशी शासन के महत्व और ऐसी नगर नीतियों की आवश्यकता को रेखांकित किया है जो वास्तव में लोगों की सेवा करती हों।
विधेयक का उद्देश्य नगर निगम की कार्यप्रणाली को सुव्यवस्थित करना और नए करों और शुल्कों के माध्यम से राजस्व के नए स्रोत बनाना है। समर्थकों का तर्क है कि ये उपाय सार्वजनिक सेवाओं और बुनियादी ढांचे को सुधारने के लिए आवश्यक हैं। हालांकि, आलोचकों को डर है कि नागरिकों पर वित्तीय बोझ अधिक हो सकता है और संभावित लाभ कम हो सकते हैं।विधेयक की घोषणा से जनता में मिश्रित प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ लोग नगर सेवाओं के आधुनिकीकरण की आवश्यकता को स्वीकार करते हैं, जबकि अन्य लोग तत्काल वित्तीय प्रभाव को लेकर चिंतित हैं। सामुदायिक नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सार्वजनिक मंचों और परामर्शों का आह्वान किया है ताकि निवासियों की आवाजें सुनी जा सकें।