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पटना। बिहार कला, संस्कृति एवं युवा विभाग तथा बिहार संगीत नाटक अकादमी, पटना द्वारा संयुक्त तत्वावधान में “शाद अज़ीमाबादी उत्सव” का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस भव्य मुशायरे ने पटना के साहित्य-प्रेमियों को शाद अज़ीमाबादी की साहित्यिक धरोहर से जोड़ा और उर्दू साहित्य को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का संदेश दिया।


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कार्यक्रम का शुभारंभ कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के सचिव श्री दयनिधान पांडेय व अन्य गणमान्य व्यक्तियों के द्वारा दीप प्रज्वलन कर के हुआ।हॉल में मौजूद मुशायरे प्रेमियों को संबोधित करते हुए विभाग के सचिव ने कहा कि इस तरह का कार्यक्रम बिहार में अनूठा है। शेरो-शायरी से लोगों का गहरा जुड़ाव रहा है। कालांतर में इसे और आगे ले जाने की जरूरत है। यह ऐसी विधा है जिसके द्वारा जन-जन और कण-कण को जोड़ा जा सकता है। विभाग को इस तरह का अवसर प्राप्त हुआ यह गर्व का विषय है।

कार्यक्रम की शुरुआत शाद अज़ीमाबादी की जीवनी एवं योगदान पर आधारित परिचय से हुआ। मंच पर उनके साहित्यिक योगदान को याद किया गया, जिसमें उनकी ग़ज़लें, रुबाइयां, मर्सिए, और कहानियां प्रमुख रहीं। वक्ताओं ने उनकी लेखनी की अद्भुत विविधता और साहित्यिक उपलब्धियों की सराहना की।


कार्यक्रम में देश के प्रसिद्ध शायरों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। जिसमें कवि आलोक धन्वा, कासिम खुर्शीद, शबीना अदीब, लक्ष्मी शंकर बाजपेयी, नीलोत्पल मृणाल, तलत परवीन, शंकर क़ैमूरी, कलीम क़ैसर, संदीप द्विवेदी और ताहिर फ़राज़ ने अपनी प्रस्तुति दी।


इन शायरों की प्रस्तुतियां श्रोताओं के दिलों को छू गईं और शाद अज़ीमाबादी के साहित्यिक योगदान को और प्रासंगिक बना दिया।


कार्यक्रम का संचालन बिहार संगीत नाटक अकादमी के मंच तले हुआ। श्रोताओं ने उत्सव में बड़ी संख्या में भाग लेकर अपनी उत्सुकता और साहित्य के प्रति प्रेम को दर्शाया।
इस प्रकार, “शाद अज़ीमाबादी उत्सव” ने उर्दू साहित्य के गौरव को पुनर्जीवित किया और साहित्य प्रेमियों के लिए प्रेरणास्रोत बना।
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