दशरथ मांझी नाट्य महोत्सव

ज्ञात हो कि सांस्कृतिक संस्था लोक पंच द्वारा संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सौजन्य से दिनांक 14 फरवरी 2024 से 17 फरवरी 2024 तक 4 दिवसीय दशरथ मांझी नाट्य महोत्सव का आयोजन छकूबीघा, दाउदनगर, औरंगाबाद में हो रहा है।
आज दिनांक 15 फरवरी, 2024 की पहली प्रस्तुति लोक पंच, पटना द्वारा सतीश कुमार मिश्र के लेखन एवं मनीष महिवाल के निर्देशन में नाटक
“त हम कुंवारे रहे?” की प्रस्तुति हुई।

नाटक “त हम कुंवारे रहे?” का कथासार निम्नलिखित है:-

“तऽ हम कुंवारे रहे?” नाटक सतीश कुमार मिश्र लिखित एक खालिस व्यंग्य नाटक है। नाटक में एक बुद्ध दिव्यांग पात्र है जो शादी के लिए पागल है, यहाँ तक कि वो बुद्ध अपनी मौसी, बुआ, ताई, माँ और सब्ज़ी- भाजीवाली से भी शादी करने को तैयार है, पर पिता की जिद है कि वो बिना मोटा दहेज लिए उसकी शादी नहीं कराएँगे। उसे अपने बड़े भाई की पत्नी को लाने के लिए ससुराल भेजा जाता है। जहाँ वो अपनी मूर्खता के कारण अपने बड़े भाई को मृत बता देता है और वहाँ कोहराम मच जाता है। अपनी बेवकूफियों द्वारा वो दर्शकों को खूब हँसाता है और बेचारा अंत तक यही कहता रह जाता है- तऽ हम कुवारे रहे?”।

मंच पर
तिनलोकउजागर प्रसाद:- डा. विवेक ओझा
महाबीर बिक्रम बजरंगी प्रसादः- कृष्णा यादव
ग्यान गुनसागरः- रजनीश पांडे
पचफोरन प्रसादः- रोहित कुमार
ठगानंद:- राजू कुमार
नंदः- कुमार मानव मुखियाः- कृष्ण यादव सरपंच:- अरबिंद कुमार ग्रामीण:- अभिषेक कुमार

मंच परे
प्रकाश : राज कुमार
ध्वनि संचार : मनीष कुमार मंच सज्जा : अंकित कुमार रूप सज्जा : सोनल कुमार
वस्त्र विन्यास : दीपा कुमारी प्रॉपर्टी : अरबिंद कुमार प्रस्तुति नियंत्रक : कृष्ण देव सहायक निदेशक : रजनीश पांडे
लेखक : सतीश कुमार मिश्रा
निर्देशक : मनीष महिवाल प्रस्तुति : लोक पंच, पटना

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आज दिनांक 15 फरवरी, 2024 का दूसरा नाटक लोक पंच, पटना द्वारा इश्त्याक अहमद द्वारा लिखित एवं
मनीष महिवाल द्वारा निर्देशन नाटक “कातिल खेत”

कथासार
नाटक “क़ातिल खेत” जैविक खेती पर आधारित है, नाटक के माध्यम से दिखाया गया है कि एक किसान है जो अपनी किसानी से खुश है, थोड़ा-थोड़ा अपनी जरूरत की सभी खाद्य सामग्री उगाता है। एक दिन किसान को हल जोतते समय खेत में एक चिराग मिलता है, वह चिराग को साफ करता है तभी उसके अंदर से जिन निकलता है और सलाह देता है कि तुम अपने खेत में रासायनिक खाद का उपयोग करो उपज 5 गुना होगा और एक बार में एक ही फसल लगाओ तो और ज्यादा फायदा होगा, पर खर्च थोड़ा ज्यादा लगेगा। जबकि किसान की पत्नी किसान को यह सलाह मानने से बार- बार मना करती है, लेकिन किसान नहीं मानता। वो कर्जा, पईचा लेकर खेती शुरू करता है। बार-बार कर्ज लेता है पर समय पर चुका नहीं पाता है, मजबूरन अपने सारे फसल और अपनी जमीन से हाथ धोना पड़ता है और अंत में वह आत्महत्या कर लेता है।

पात्र परिचय
किसान : मनीष महिवाल
पत्नी : सोनल कुमारी
जिन : डॉ विवेक ओझा
बैल 1 : कृष्ण देव
बैल 2 : अरबिंद कुमार मुखिया : अभिषेक
मुंशी जी : राम प्रवेश

मंच परे
प्रकाश : राज कुमार
रूप सज्जाः सोनल कुमारी संगीत : अभिषेक राज
मंच व्यवस्था : देवयांक
प्रॉपर्टी : कृष्ण देव
वस्त्र विन्यासः रितिका
लेखक : इश्तियाक अहमद निर्देशक : मनीष महिवाल प्रस्तुतिः लोक पंच, पटना

इसके अलावा रंग समूह, पटना द्वारा कुमार उदय सिंह, सुमित एवं दल द्वारा बिहार के लोक नृत्यों की प्रस्तुति की गयी।

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