गौरैया की घर वापसी के लिए कार्य योजना सौंपी गई, पटना में होगा पहला चरण शुरू

पटना, 16 नवंबर: बिहार की राजकीय पक्षी गौरैया की घर वापसी को लेकर एक विशेष कार्य योजना शनिवार को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार को सौंपी गई। यह पहल गौरैया के घटते अस्तित्व को बचाने और इसे फिर से घर-आंगन में लौटाने के लिए की गई है।

कार्य योजना की प्रस्तुति

वन्यप्राणी सप्ताह के दौरान पटना जू के तत्कालीन निदेशक और वर्तमान में वन संरक्षक, वन्यप्राणी अंचल, पटना, सत्यजीत कुमार के आग्रह पर गौरैयाविद संजय कुमार ने इस कार्य योजना को तैयार किया। कार्य योजना तैयार करने में इन्वायरमेंट वॉरियर्स के सदस्यों निशांत रंजन, अमित पांडेय और दिग्विजय सिंह ने सहयोग दिया।

गौरैया संरक्षण के प्रयास

सत्यजीत कुमार ने इस अवसर पर कहा, “पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री डॉ. प्रेम कुमार गौरैया संरक्षण के लिए लगातार प्रेरित करते रहते हैं। उनका मानना है कि गौरैया, जो कभी हर घर और आंगन की शोभा थी, अब गायब हो गई है। इस पक्षी की घर वापसी के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए यह कार्य योजना तैयार की गई है।”

कार्य योजना को पहले चरण में पटना में लागू किया जाएगा। इसके बाद इसे राज्य के अन्य जिलों में भी विस्तार दिया जाएगा।

कार्य योजना की मुख्य विशेषताएं

गौरैयाविद संजय कुमार ने बताया कि इस कार्य योजना में गौरैया संरक्षण के हर पहलू को ध्यान में रखा गया है। इसमें खासकर निम्नलिखित बिंदुओं पर जोर दिया गया है:

  1. घर-घर दाना-पानी रखने का अभियान: लोगों को गौरैया के लिए नियमित रूप से दाना-पानी उपलब्ध कराने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
  2. कृत्रिम घोंसलों का प्रबंधन: कृत्रिम घोंसले बनाकर उन्हें घरों, बगीचों और अन्य उपयुक्त स्थानों पर लगाया जाएगा।
  3. पेड़ लगाने का प्रोत्साहन: गौरैया के प्राकृतिक आवास को पुनः स्थापित करने के लिए पौधारोपण अभियान चलाया जाएगा।
  4. सामाजिक जागरूकता: लोगों को गौरैया संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक किया जाएगा और उन्हें इस अभियान से जोड़ा जाएगा।
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राज्यव्यापी अभियान का लक्ष्य

इस योजना को सफलतापूर्वक लागू करने के बाद इसे बिहार के अन्य जिलों में भी विस्तार देने की योजना है। इस पहल से न केवल गौरैया की संख्या में वृद्धि होगी, बल्कि राज्य के पर्यावरणीय संतुलन को भी बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।

गौरैया संरक्षण की आवश्यकता

गौरैया, जो कभी हर घर का हिस्सा हुआ करती थी, आधुनिक निर्माण, शहरीकरण और प्राकृतिक आवास के नुकसान के कारण तेजी से विलुप्त हो रही है। यह कार्य योजना इस समस्या के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

संजय कुमार और उनकी टीम द्वारा बनाई गई यह कार्य योजना बिहार के पर्यावरणीय परिदृश्य में एक सकारात्मक बदलाव लाने की उम्मीद करती है। गौरैया की घर वापसी का यह प्रयास न केवल पक्षी संरक्षण बल्कि पर्यावरणीय जागरूकता को भी बढ़ावा देगा।

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