हिन्दी नाटक ‘‘हाय! हैंडसम’’ का मंचन

पटना, 01 जुलाई 2024
राजधानी की चर्चित व सक्रिय सांस्कृतिक संस्था ‘‘प्रांगण’’, पटना अपनी
नवीनतम् हास्य नाट्य प्रस्तुति जयवर्धन लिखित और अभय सिन्हा द्वारा निर्देषित
हिन्दी नाटक ‘‘हाय! हैंडसम’’ का सफल मंचन दिनांक 01 जुलाई 2024 को संध्या
6ः30 बजे से स्थानीय प्रेमचंद्र रंगषाला, राजेन्द्र नगर, पटना (बिहार) में किया गया।
‘हाय! है ंडसम’ का केन्द्रबिन्दु बुढ़ापा है। रिटायर कर्नल कपूर को बुढ़ापे में एक
साथी चाहिये, जो उनकी सुने और अपनी कहे। दरअसल युवावस्था से ज्य़ादा बुढ़ापे
में साथी की ज़रूरत पड़ती है।

कर्नल कपूर का मानना है कि बुढ़ापे का प्यार
वास्तविक और टिकाऊ होता है। आषिक़-मिज़ाज कपूर का कहना है कि इंसान की
बनाई हुई चीज़ आउटडेटेड हो सकती है, लेकिन भगवान् की बनाई हुई चीज़ कभी
आउटडेटेड नहीं होती। रिटायरमेंट के बाद ज़्यादातर लोग वृद्धावस्था के बारे में सोचकर
भयभीत रहते हैं, जबकि इसको प्रकृति का नियम मानकर सहर्ष स्वीकार करना
चाहिये। बुढ़ापे के कारण व्यक्ति एक दिन मरता ज़रूर है, लेकिन ज़्यादातर लोग
बुढ़ापे के डर से, चिन्ता, उपेक्षा और एकाकीपन के कारण समय से पूर्व मरणासन्न
हो जाते हैं। जिन्दगी का हर पल क़ीमती है, क्यों न उसे गर्मजोषी से जिएँ!
घुट-घुटकर क्यों जिएँ?


हम जानते हैं कि जीने के लिए हमें एक ही जीवन मिला है। हमें अधिकार
है कि पूरी षिद्दत के साथ इसे भरपूर जीने का हर संभव और उचित प्रयत्न करें।
अब जवानी में बूढ़े हो जाने का नहीं, बुढ़ापे में जवान बने रहने का समय है। उम्र
का संबंध सिर्फ़ शरीर से नहीं, मन से भी है या शायद मन से ही है। सच तो
यही है कि –
‘‘ज़िंदगी ज़िंदादिली का नाम है, मुर्दादिल क्या खाक़ जिया करत े हैं।’’

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निस्संदेह व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रत्येक व्यक्ति का (कानूनी तौर पर) मौलिक
अधिकार है। इसका सम्मान परिवार और समाज के हर स्तर पर किया जाना चाहिए।
परंतु इसका अर्थ अराजकता, उच्छृंखलता और ग़ैर-ज़िम्मेदारी-भरा आचरण क़तई नहीं
है। इस दृष्टि से यह नाटक हमें केवल हँसाता ही नहीं, बल्कि हँसाते-हँसाते ही एक
नई जीवन-दृष्टि भी दे देता है। इस गंभीर समस्या पर सोचने-विचारने को उकसाता
भी है और हमें आईना भी दिखाता है।


इस नाटक में मंच परः-रत्न ेष प्रसाद (कर्नल कपूर), सोमा चक्रवर्ती (सीता देवी),
संजय सिंह (स्वामी), स ुरभि सिंह (मंदा), अनिल वर्मा (दारूवाला),
हरिकृष्ण सिंह ‘मुन्ना’ (कमाल) तथा
नेपथ्य में:-वेषभूषा-सोमा चक्रवर्ती/अभय सिन्हा, रूप सज्जा – स ंजय कुमार,
मंच निमार्ण व सज्जा-स ुनील कुमार शर्मा, धनराज, प्रकाश परिकल्पना-रौषन कुमार,
संगीत परिकल्पना- अमित राज, मंच सज्जा व मंच सामाग्री – प्रकाष कुमार भारती,
सहायक निर्देषक – सोमा चक्रवर्ती, संजय सिंह, पूर्वाभ्यास प्रभारी – अमिताभ रंजन।
इस नाट्य प्रस्तुति के अवलोकन हेतु श्रीमती हरजोत कौर, अपर मुख्य सचिव,
कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, श्रीमती रूबी, निदेषक, सांस्कृतिक कार्य,
कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार एवं पूर्व मंत्री श्री श्याम रजक, इस नाटक के
लेखक श्री जयवर्धन (नई दिल्ली) तथा शहर के गणमान्य अतिथिगण उपस्थित थे।

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