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Story By : Dayanand Singh, Patna City .
बिहार में पाठशाला बन गया गौशाला… राजधानी पटना का एक ऐसा स्कूल, जहाँ पढ़ने जाते हैं मबेसी…गांव के स्कूल में रखे जाते हैं गाय भैंस और दुसरे गांव पढ़ने जाती हैं लड़कियाँ, हो रही है छेड़खानी और फब्तियों का शिकार…….
बिहार सरकार की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं का नारा सिर्फ दिखावा बनकर रह गया है। बिहार की नीतीश सरकार में स्कूल जाने वाली बेटियाँ मनचलों का शिकार हो रही है और पढाई छोड़ रही है।सरकार शिक्षा में सुधार का चाहे जितना भी दाबा कर लें मगर हकीकत कोसो दूर है। बिहार में शिक्षा व्यवस्था कोई बदलाव नहीं आया है। स्कूल के नये भवन निर्माण में दिलचस्पी दिखाते हुए करोड़ों रूपये खर्च किये हैं मगर पुराने और जर्जर स्कूल भवन पर सरकार की नजर नहीं जाती है। बिहार के लगभग पांच हजार स्कूल ऐसे हैं जिनके पास अपना भवन नहीं है और कहीं भवन है तो जर्जर है। स्कूल भवन के रख-रखाव और मरम्मती पर बजट में सालाना दस करोड़ रूपये खर्च करने के लिए राशि आवंटित की जाती है मगर बिहार के जर्जर स्कूल खंडहरों में तो तब्दील हो जाती है मगर उसका मरम्मत नहीं कराया जाता है………..
ताजा मामला राजधानी पटना के जल्ला स्थित कोठिया मध्य बिद्यालय का है, जिसे जर्जर बताकर पांच साल पहले ही बंद करा दिया गया। बिहार की घटिया शिक्षा नीति और प्रशासनिक लापरवाही ही है कि भवन के मरम्मति पर करोड़ों रूपये आवंटित होने के बाद भी स्कूल भवन लगातार जर्जर ही होता जा रहा है। सरकारी जमीन पर बने स्कूल के सरकारी भवन को सिर्फ इसलिए बंद कर दिया गया कि वो जर्जर हो गया है……
कोठिया मध्य बिद्यालय को बंद कर स्कूल को दो किलोमीटर दूर महमदपुर प्राथमिक बिद्यालय में मर्ज कर दिया गया है। कोठिया गांब की लड़कियाँ खेत के रास्ते पैदल दो किलोमीटर पढ़ने जाने को मजबुर हैं। एक तरफ जहाँ बंद पड़े कोठिया मध्य विद्यालय परिसर पर ग्रामीणों का अवैध कब्जा हो चुका है, गौशाला के रूप में इस्तेमाल कर गाय भैंस रखे जा रहे हैं वहीं कोठिया गांव की लड़कियाँ दो किलोमीटर पैदल स्कूल जाने को मजबुर तो हैं ही, चार कमरे वाले महमदपुर प्राथमिक बिद्यालय में बैठने के लिए जगह भी नहीं मिल रही है………
बिहार सरकार के शिक्षा विभाग की मेहरबानी से दुसरे गांव जाकर पढाई करने वाली लड़कियों के साथ छेड़खानी की भी घटनाएं हो रही है, नतीजा दो गांवों के बीच अक्सर मारपीट के साथ तनाव की भी स्थिति बनी रहती है। ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार और स्थानीय विधायक की लापरवाही का ही नतीजा है कि गांव का स्कूल भवन जानवरों का खटाल बन गया और बेटियाँ पढ़ने के लिए दूर जाने को मजबूर हो गई……..