उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा महत्वपूर्ण निर्णय

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उ0प्र0 में बीजों के प्रसंस्करण में वृद्धि किये जाने हेतु सीड पार्क की स्थापना का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश में बीजों के प्रसंस्करण में वृद्धि किये जाने हेतु सीड पार्क की स्थापना किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश कृषि क्षेत्र की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य है। इसका कृषि क्षेत्रफल 162 लाख हेक्टेयर है, जो देश के कुल कृषित क्षेत्रफल का 11.82 प्रतिशत है। प्रदेश में खरीफ, रबी एवं जायद में लगभग 139.43 लाख कुन्तल बीज की आवश्यकता रहती है। इसके सापेक्ष सरकारी/अर्द्धसरकारी तंत्र के माध्यम से लगभग 07 प्रतिशत, निजी क्षेत्र से 43 प्रतिशत एवं शेष 50 प्रतिशत की पूर्ति किसान संरक्षित बीज से होती है।
कुल आवश्यक बीज के सापेक्ष 70 लाख कुन्तल प्रमाणित बीज की आवश्यकता होती है। प्रदेश में लगभग 40 लाख कुन्तल प्रमाणित बीज का उत्पादन किया जा रहा है, जिसमें से लगभग 10 से 15 प्रतिशत बीज समीपवर्ती राज्यों को आपूर्ति हो जाता है। लगभग 05 लाख कुन्तल संकर बीजों की आवश्यकता होती है। शेष प्रमाणित बीज एवं शत-प्रतिशत संकर बीज के लिए प्रदेश को अन्य राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है।
प्रदेश में सीड पार्क की स्थापना से जहाँ अन्य राज्यों पर बीज के लिए निर्भरता कम होगी एवं स्थानीय तौर पर बीज की उपलब्धता होने के फलस्वरूप बीज की दरों में कमी भी परिलक्षित होगी। सीड पार्क में स्थापित होने वाले बीज उद्योगों के माध्यम से कृषि क्षेत्र से प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 01 ट्रिलियन यू0एस0 डॉलर बनाए जाने के लक्ष्य की पूर्ति की पूरी सम्भावनाएं है।
अतः उत्तर प्रदेश में बीजों के प्रसंस्करण में वृद्धि के उद्देश्य से प्रदेश में 09 कृषि जलवायु क्षेत्र के दृष्टिगत प्रदेश स्थित कृषि विश्वविद्यालय अथवा कृषि विभाग के राजकीय कृषि प्रक्षेत्र में उपलब्ध भूमि पर उपयुक्तता के आधार पर 05 सीड पार्क यथा- पश्चिमी जोन, तराई जोन, मध्य जोन, बुन्देलखण्ड एवं पूर्वी जोन में स्थापित किये जाने का प्रस्ताव है।
सीड पार्क प्रदेश स्थित कृषि विश्वविद्यालय अथवा कृषि विभाग के राजकीय कृषि बीज प्रक्षेत्रो की उपलब्ध भूमि पर उपयुक्तता के आधार पर 150 से 200 एकड़ क्षेत्रफल में स्थापित किया जायेगा। सर्वप्रथम मध्य ज़ोन में लखनऊ जनपद स्थित राजकीय कृषि प्रक्षेत्र अटारी की कुल 130.63 एकड़ भूमि पर सीड पार्क की स्थापना प्रस्तावित है। राजकीय कृषि प्रक्षेत्र अटारी पर प्रस्तावित सीड पार्क की स्थापना पर कुल 266.70 करोड़ रुपये का व्यय सम्भावित है।
सीड पार्क में अधिक से अधिक बीज व्यवसाय स्थापित हो सकें, इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा सीड पार्क में बीज व्यवसाइयों को बीज प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना, ताप नियंत्रण भण्डारण, स्पीड ब्रीडिंग, हाइब्रिड लैब आदि विभिन्न प्रकार की यथावश्यक सुविधाएं/छूट प्रदान की जाएंगी।
सीड पार्क में बीज उत्पादन संयत्र, भण्डारण सुविधाओं, प्रयोगशालाओं व अन्य सुविधाओं की स्थापना करने हेतु बीज व्यवसाइयों/संस्थाओं को 30 वर्ष की लीज पर भूमि दिया जाना प्रस्तावित है, जो कि अधिकतम 90 वर्षों तक होगी।
एक सीड पार्क में स्थापित किये जाने वाले उद्योगों से लगभग 1,200 लोगों को प्रत्यक्ष एवं लगभग 3,000 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त होना सम्भावित है। एक सीड पार्क से लगभग 40,000 बीज उत्पादक किसान जुड सकेंगे। इस प्रकार 05 सीड पार्क से 6,000 लोगों को प्रत्यक्ष एवं 15,000 लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त होगा।

सीड पार्क की स्थापना से प्रदेश गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा और किसानों की आय में वृद्धि होगी। बीज प्रतिस्थापन दर (एस0आर0आर0) में सुधार से उत्पादकता में वृद्धि होगी तथा कृषकों की आय बढ़ेगी। प्रदेश में उत्पादित बीजां को व्यापक बाजार प्राप्त होगा।

जनगणना वर्ष 2011 के आधार पर 1500 तक आबादी वाली ग्राम पंचायतों के लिए स्वयं के संसाधन से आय आधारित पंचायत प्रतिपूर्ति एवं प्रोत्साहन योजना के क्रियान्वयन का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने जनगणना वर्ष 2011 के आधार पर 1500 तक आबादी वाली ग्राम पंचायतों के लिए स्वयं के संसाधन से आय आधारित पंचायत प्रतिपूर्ति एवं प्रोत्साहन योजना के क्रियान्वयन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है। पंचायत प्रतिपूर्ति एवं प्रोत्साहन योजना की इस नीति में किसी प्रकार का संशोधन/परिवर्तन मुख्यमंत्री जी के अनुमोदन से किया जा सकेगा।
ज्ञातव्य है कि पंचायतों को अन्तरित की जाने वाली धनराशि का बंटवारा 90 प्रतिशत कुल जनसंख्या तथा 10 प्रतिशत अनुसूचित जाति/जनजाति की जनसंख्या को भार देते हुए किया जाता है। जनसंख्या के अनुपात में वित्त आयोग की धनराशि अन्तरित किये जाने के कारण कम आबादी वाली ग्राम पंचायतों को विकास एवं अनुरक्षण कार्य हेतु काफी कम धनराशि प्राप्त होती है।
इसके कारण आवश्यक व्यय यथा ग्राम प्रधान का मानदेय, बैठक, पंचायत सहायक का मानदेय, सामुदायिक शौचालय पर व्यय, शासकीय भवनों एवं सार्वजनिक स्थलों के विद्युत देयको का भुगतान, ओ0डी0एफ0 प्लस के कार्यों, पेयजल योजनाओं/हैण्डपम्प का रख-रखाव एवं पशुओं के चारे की व्यवस्था इत्यादि के उपरान्त काफी कम धनराशि अथवा शून्य धनराशि विकास एवं अनुरक्षण कार्यों हेतु अवशेष रहती है। भारत सरकार द्वारा पंचायतों द्वारा स्वयं के संसाधन से आय अर्जित करने हेतु लगातार निर्देशित किया जा रहा है। इस हेतु ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहित किया जाना आवश्यक है।
जनगणना वर्ष 2011 के आधार पर 1500 तक आबादी वाली ग्राम पंचायतें जिन्हें केन्द्रीय वित्त आयोग एवं राज्य वित्त आयोग के अन्तर्गत कम धनराशि प्राप्त हो रही है, ऐसी ग्राम पंचायतों को ओ0एस0आर0 (स्वयं के संसाधन से आय) अर्जित करने पर पंचायत प्रतिपूर्ति एव प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत अतिरिक्त धनराशि राज्यांश मद में प्रदान की जाएगी। पंचायत प्रतिपूर्ति एवं प्रोत्साहन योजना मद में ग्राम पंचायतों को धनराशि गतवर्ष में ग्राम पंचायतों द्वारा प्राप्त ओ0एस0आर0 के आधार पर आवंटित की जायेगी।

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पंचायत प्रतिपूर्ति एवं प्रोत्साहन योजना हेतु वर्तमान वित्तीय वर्ष 2025-26 में 10 करोड़ रुपये की धनराशि प्राविधानित है।

प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र की प्रत्येक विधानसभा में एक विवाह घर का निर्माण कराए जाने की परियोजना का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र की प्रत्येक विधानसभा में एक विवाह घर का निर्माण कराए जाने की परियोजना के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश देश का सर्वाधिक आबादी वाला प्रदेश है, जिसकी लगभग 70 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। प्रदेश के अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में विवाह एवं अन्य मांगलिक कार्यक्रमों के आयोजन हेतु कोई स्थल उपलब्ध न होने के कारण ग्रामवासियों को अत्यधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्रों में विवाह घर निर्मित कराये जाने की मांग विभिन्न माध्यमों से पंचायती राज विभाग को प्राप्त होती रहती है, किन्तु पंचायती राज विभाग के सीमित संसाधनों के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में बारात घर निर्मित नहीं हो पा रहे हैं।
प्रदेश की ग्रामीण आबादी को उचित दर पर मांगलिक कार्यक्रम यथा विवाह, मुण्डन एवं अन्य कार्यक्रमों के आयोजन हेतु प्रदेश की प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र में एक विवाह घर बनाने का प्रस्ताव है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में पड़ने वाली प्रत्येक विधान सभा में एक विवाह घर बनाने की योजना प्रस्तावित की गयी है। इस विवाह घर के स्थापित होने से ग्रामीण आबादी को वैवाहिक एवं अन्य कार्यक्रमों के आयोजन हेतु सुलभ एवं सस्ती दरों पर स्थान उपलब्ध हो पायेगा। यह योजना ग्राम पंचायतों के माध्यम से क्रियान्वित एवं संचालित की जायेगी।

ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदेश की प्रत्येक विधान सभा में बारात आयोजन हेतु विवाह घर का निर्माण कराये जाने हेतु वित्तीय वर्ष 2025-26 में 100 करोड़ रुपये का प्राविधान किया गया है। प्रथम चरण में प्रदेश की 71 ग्रामीण विधान सभाओं में एक विवाह घर का निर्माण कराया जाना प्रस्तावित है। प्रत्येक विवाह घर की अनुमानित लागत 1.41 करोड़ रुपये आकलित की गयी है।

उ0प्र0 औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022 के अन्तर्गत उच्च स्तरीय प्राधिकृत समिति की 06 प्रकरणों के सम्बन्ध में की गई संस्तुतियां अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022 के अन्तर्गत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय प्राधिकृत समिति की 15 जनवरी, 2025 की बैठक में 06 प्रकरणों के सम्बन्ध में की गई संस्तुतियों को अनुमोदित कर दिया है।
उच्च स्तरीय प्राधिकृत समिति की बैठक दिनांक 15.01.2025 में 05 इकाईयों को लेटर ऑफ कम्फर्ट निर्गत किये जाने तथा 01 औद्योगिक इकाई के नाम परिवर्तन की संस्तृति की गई। लेटर ऑफ कम्फर्ट निर्गत किये जाने की संस्तुति प्राप्त इकाईयों में जे0के0 सीमेन्ट लि0, प्रयागराज (प्रस्तावित निवेश 450.92 करोड़ रुपये), मून बेवरेजेस लि0, हापुड़ (प्रस्तावित निवेश 469.61 करोड़ रुपये), सिल्वरटन पल्प एण्ड पेपर प्रा0 लि0, मुजफ्फरनगर (प्रस्तावित निवेश 403.88 करोड़ रुपये), ग्लोबस स्प्रिट्स लि0, लखीमपुर खीरी (प्रस्तावित निवेश 399.74 करोड़ रुपये) तथा चांदपुर इण्टरप्राइसेस लि0, बिजनौर (प्रस्तावित निवेश 273.9 करोड़ रुपये) सम्मिलित हैं।
श्री सीमेन्ट नॉर्थ प्रा0 लि0, एटा को पुज्जोलाना पोर्टलैण्ड सीमेन्ट के विनिमार्ण हेतु अपनी नवीन विनिर्माण इकाई के सम्बन्ध में 28 जून, 2024 को एल0ओ0सी0 निर्गत किया गया था। एन0सी0एल0टी0 कोलकाता के 07 अक्टूबर, 2024 के आदेश के अधीन श्री सीमेन्ट नॉर्थ प्रा0 लि0 को श्री सीमेन्ट ईस्ट प्रा0 लि0 के साथ समामेलन की योजना को अनुमोदन प्रदान कर दिया गया है। इसके दृष्टिगत श्री सीमेन्ट नॉर्थ प्रा0 लि0 के नाम से निर्गत एल0ओ0सी0 में संशोधन के बिन्दु पर उच्च स्तरीय प्राधिकृत समिति द्वारा मंत्रिपरिषद का अनुमोदन प्राप्त किये जाने की संस्तुति की गई है।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करने के दृष्टिगत शासन की अधिसूचना दिनांक 04.11.2022 द्वारा उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022 अधिसूचित की गई। उक्त नीति के प्रस्तर-12 में औद्योगिक इकाईयों को छूट, अनुदान एवं वित्तीय सुविधाएं प्रदान किये जाने का प्राविधान किया गया है। उक्त नीति के क्रियान्वयन हेतु शासन के पत्र दिनांक 14.04.2023 द्वारा दिशा-निर्देश एवं क्रियान्वयन की प्रक्रिया निर्धारित की गई है।
शासनादेश दिनांक 14.04.2023 के प्रस्तर-4 में लेटर ऑफ कम्फर्ट तथा प्रोत्साहनों की स्वीकृति हेतु आवेदन प्रक्रिया के विस्तृत विवरण का उल्लेख है। उक्त शासनादेश के प्रस्तर-5 में मूल्यांकन एवं अनुमोदन प्रक्रिया के विस्तृत विवरण का उल्लेख है। शासनादेश दिनांक 14.04.2023 के प्रस्तर-5.2 में मुख्य कार्यपालक अधिकारी, इन्वेस्ट यू0पी0 (नोडल संस्था) की अध्यक्षता में मूल्यांकन समिति का गठन किया गया है।

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मूल्यांकन समिति द्वारा औद्योगिक इकाईयों के आवेदनों का मूल्यांकन कर संस्तुति प्राधिकारी के समक्ष विचार विमर्श हेतु प्रस्तुत किया जाएगा। शासनादेश के प्रस्तर-5.3 में मेगा एवं उससे उच्च श्रेणी की औद्योगिक इकाईयों के आवेदन पत्रों पर मुख्य सचिव, उ0प्र0 शासन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय प्राधिकृत समिति द्वारा अनुमोदन प्रदान किया जाएगा। उच्च स्तरीय प्राधिकृत समिति द्वारा की गई अन्तिम संस्तुतियों को मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया।

अमृत-2.0 योजना की स्वीकृत/प्रस्तावित परियोजनाओं हेतु नगरीय निकायों का देय निकायांश घटाए जाने तथा निकायांश घटाए जाने से राज्यांश पर पड़ने वाला व्यय भार राज्य सरकार द्वारा वहन किये जाने का प्रस्ताव अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने अटल मिशन फॉर रिजूवनेशन एण्ड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन-2.0 (अमृत-2.0) योजना के अन्तर्गत स्वीकृत/प्रस्तावित परियोजनाओं हेतु नगरीय निकायों का देय निकायांश घटाए जाने तथा निकायांश घटाए जाने से राज्यांश पर पड़ने वाला व्यय भार राज्य सरकार द्वारा वहन किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदन प्रदान किया है।

इस निर्णय से अमृत-2.0 योजना के तहत स्वीकृत परियोजनाएं निर्धारित समय में पूर्ण हो सकेंगी। इससे सम्बन्धित क्षेत्र की जनता को योजना से त्वरित लाभ मिलना प्रारम्भ हो जाएगा। सम्बन्धित निकायों पर निकाय अंश का भार कम हो जाने से निकाय आर्थिक रूप से और अधिक सशक्त होंगे। फलस्वरूप अपनी अन्य मूलभूत अवस्थापना सुविधाओं के विकास एवं क्षमता संवर्धन में नगरीय निकाय और अधिक सक्षम होंगे।

उ0प्र0 दुग्धशाला विकास एवं दुग्ध उत्पाद प्रोत्साहन नीति-2022 (यथा संशोधित) में संशोधन का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश दुग्धशाला विकास एवं दुग्ध उत्पाद प्रोत्साहन नीति-2022 (यथा संशोधित) के अनुदान/प्रोत्साहन सम्बन्धी प्राविधानों को उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति के अनुदान/प्रोत्साहन के समतुल्य किये जाने हेतु उक्त नीति में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश में दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहित करने एवं विद्यमान प्रसंस्करण क्षमता में वृद्धि, तकनीकी उच्चीकरण तथा सूचना तकनीक का उपयुक्त प्रयोग व क्षमता विकास करते हुए डेयरी सेक्टर के समस्त स्टेक होल्डर्स के लिये अधिकाधिक लाभ सुनिश्चित करने के लिये उत्तर प्रदेश दुग्धशाला विकास एवं दुग्ध उत्पाद प्रोत्साहन नीति-2022, अधिसूचना दिनांक-17.10.2022 द्वारा प्रख्यापित की गयी है।
प्रदेश में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए नीति के अन्तर्गत स्थापित होने वाली परियोजनाओं के लिए आरक्षित भूमि के श्रेणी परिवर्तन शुल्क में छूट, भू-उपयोग परिवर्तन एवं वाह्य विकास शुल्क में छूट प्रदान किये जाने हेतु उत्तर प्रदेश दुग्धशाला विकास एवं दुग्ध उत्पाद प्रोत्साहन नीति-2022 में प्रथम संशोधन शासनादेश दिनांक 03.10.2023 द्वारा किया गया है।
दुग्ध प्रसंस्करण उद्योग के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए वर्तमान उत्तर प्रदेश दुग्धशाला विकास एवं दुग्ध उत्पाद प्रोत्साहन नीति-2022 (यथा संशोधित) के अनुदान/प्रोत्साहन सम्बन्धित प्राविधानों को उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति 2023 के अनुदान/प्रोत्साहन के समतुल्य किए जाने हेतु संशोधन किया जाना प्रस्तावित है।
संशोधन के तहत पूंजीगत अनुदान एवं ब्याज उपादान से सम्बन्धित विद्यमान प्राविधान के स्थान पर दुग्धशाला इकाईयों की स्थापना हेतु लागत का 35 प्रतिशत, अधिकतम 05 करोड़ रुपये, नवीन पशु आहार एवं पशु पोषण उत्पाद निर्माणशाला इकाई स्थापित किये जाने हेतु लागत का 35 प्रतिशत (अधिकतम 05 करोड़ रुपये), विद्यमान डेयरी प्लान्ट में आधुनिकीकरण हेतु लागत का 35 प्रतिशत (अधिकतम 2.50 करोड़ रुपये)े, डेयरी प्लान्ट के बाहर फील्ड में ट्रेसेबिलिटी एवं क्वालिटी कन्ट्रोल उपकरण हेतु क्रय की गई मशीनरी तथा स्पेयर पार्ट्स की लागत का 35 प्रतिशत (अधिकतम 01 करोड़ रुपये), रेफ्रीजरेटेड वैन/इन्सुलेटेड वैन/रोड मिल्क टैंकर, बल्क मिल्क कूलर, आइसक्रीम ट्रॉली/डीप फ्रीज़र इत्यादि कोल्ड चेन प्रणाली की स्थापना हेतु लागत का 35 प्रतिशत (अधिकतम 01 करोड़ रुपये), पशु आहार एवं पशु पोषण उत्पाद निर्माणशाला इकाई के विस्तारीकरण हेतु लागत का 35 प्रतिशत (अधिकतम 02 करोड़ रुपये) एवं सूक्ष्म उद्यम क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले मूल्य संवर्धित दुग्ध उत्पाद का विनिर्माण करने वाली इकाईयों को प्लान्ट मशीनरी की स्थापना हेतु क्रय की गई मशीनरी की लागत का 50 प्रतिशत (अधिकतम 50 लाख रुपये) की सीमा तक पूंजीगत अनुदान उपलब्ध कराया जायेगा।
बिजली आपूर्ति के लिए सौर ऊर्जा परियोजनाओं पर 75 के0वी0ए0 तक की परियोजना की लागत का 50 प्रतिशत एवं महिलाओं को 90 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जाएगा। उत्तर प्रदेश दुग्धशाला विकास एवं दुग्ध उत्पाद प्रोत्साहन नीति-2022 (यथासंशोधित) के द्वितीय संशोधन की तिथि से पूर्व ऑनलाइन पोर्टल पर प्राप्त हो चुके पूर्ण परियोजना प्रस्तावों के सम्बन्ध में अनुदान एवं रियायतों के लिए कार्यवाही, नीति के पूर्व प्राविधानों एवं दिशा निर्देशों के अनुसार की जाएगी।

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इस नीति के संशोधन से उद्यमी डेयरी उद्योग के अंतर्गत निवेश हेतु प्रोत्साहित होंगे। इससे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से नये रोजगार का सृजन होगा, दुग्ध उत्पादकों को उनके दुग्ध का बाजार आधारित लाभकारी मूल्य प्राप्त हो सकेगा तथा उपभोक्ताओं को भी उच्च गुणवत्ता का प्रसंस्कृत दुग्ध एवं दुग्ध उत्पाद उपलब्ध होंगे।

औद्योगिक निवेश नीति-2012 के अन्तर्गत पूर्व निर्गत एल0ओ0सी0 में संशोधन विषयक

मंत्रिपरिषद ने मेसर्स आर0सी0सी0पी0एल0 प्रा0 लि0 की रायबरेली इकाई के पक्ष में अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति-2012 के अन्तर्गत पूर्व निर्गत एल0ओ0सी0 में पी0पी0सी0 (पोर्टलैण्ड पौजोलेना सीमेन्ट) उत्पाद के साथ ओ0पी0सी0 (ऑर्डिनरी पोर्टलैण्ड सीमेन्ट) को सम्मिलित करते हुए एल0ओ0सी0 में संशोधन किये जाने की संस्तुति का प्रस्ताव स्वीकृत किया है।
ज्ञातव्य है कि अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति 2012 के अन्तर्गत निर्गत एल0ओ0सी0 के क्रम में मेसर्स आर0सी0सी0पी0एल0 प्रा0 लि0 की रायबरेली इकाई को 01.08.2014 से 30.9.2021 की अवधि तक विभिन्न अनुमन्य सुविधाओं हेतु 693,18,31,944 रुपये की राशि का वितरण कर दिया गया है। कम्पनी द्वारा 1.10.2021 से 30.6.2023 की अवधि के लिए सुविधाओं की प्रतिपूर्ति हेतु आवेदन किया गया है। नोडल संस्था द्वारा अपने इम्पैनल्ड ऑडिटर्स/जी0एस0टी0 विशेषज्ञ द्वारा क्लेम के परीक्षण के उपरान्त 261,33,57,713 रुपये का वितरण किया जाना है।
कम्पनी को निर्गत लेटर आफ कम्फर्ट में अर्ह उत्पाद पोर्टलैण्ड पौजोलेना सीमेन्ट (पी0पी0सी0) इंगित किया गया है जबकि कम्पनी द्वारा ऑर्डिनरी पोर्टलैण्ड सीमेन्ट (ओ0पी0सी0) का उत्पादन/विक्रय भी किया जा रहा है। तद्नुसार लेटर आफ कम्फर्ट में उल्लिखित अर्ह उत्पाद पी0पी0सी0 पर ही देय सुविधाओं का आगणन कर कम्पनी के क्लेम प्रस्तुत किए गए हैं।
इस संबंध में यह मत स्थिर किया गया कि परीक्षणोपरान्त औचित्य पूर्ण आधार पाये जाने पर संशोधित एल0ओ0सी0 निर्गत करने की कार्यवाही की जाए। सूच्य है कि उत्पादों के एन0आई0सी0 कोडिफिकेशन के अन्तर्गत सीमेण्ट उत्पाद का कोड 26942 है जिसमें पोर्टलैण्ड सीमेन्ट को पृथक पी0पी0सी0 अथवा ओ0पी0सी0 श्रेणी में विभक्त नहीं किया गया है अर्थात दोनों उत्पाद एक ही श्रेणी के हैं। इसी प्रकार जी0एस0टी0 हेतु एच0एस0एन0 कोडिफिकेशन के अन्तर्गत कोड संख्या 252329 में उपलब्ध सीमेण्ट के वर्णन में आर्डिनरी पोर्टलैण्ट सीमेण्ट (ओ0पी0सी0) एवं पोर्टलैण्ड पौजोलेना सीमेण्ट (पी0पी0सी0) एक ही श्रेणी में वर्गीकृत हैं जिन पर समान रूप से जी0एस0टी0 की दर 28 प्रतिशत है।

उपर्युक्त के आधार पर नोडल एजेन्सी पिकप द्वारा यह सुझाया गया कि ओ0पी0सी0 को भी अर्ह उत्पाद मानने में कोई आपत्ति प्रतीत नहीं होती है एवं मेसर्स आर0सी0सी0पी0एल0 के पक्ष में जारी एल0ओ0सी0 में उपयुक्त संशोधन किये जाने पर निर्णय लिया जाए। सन्दर्भित नीति के अन्तर्गत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित एम्पावर्ड कमेटी द्वारा मेसर्स आर0सी0सी0पी0एल0 प्रा0लि0 के पक्ष में जारी एल0ओ0सी0 में ओ0पी0सी0 को सम्मिलित करते हुए संशोधन किये जाने की संस्तुति की गई और इसके अनुमोदन हेतु मंत्रिपरिषद के समक्ष प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। उक्त के क्रम में मंत्रिपरिषद द्वारा एल0ओ0सी0 में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई है।

नागरिक उड्डयन निदेशालय के संविदा कार्मिकों के पारिश्रमिक के पुर्ननिर्धारण का प्रस्ताव अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने नागरिक उड्डयन निदेशालय के संविदा कार्मिकों के पारिश्रमिक के पुर्ननिर्धारण का प्रस्ताव अनुमोदित किया है।
ज्ञातव्य है कि नागरिक उड्डयन निदेशालय के विभिन्न पदों के संविदा कार्मिकों (पायलटों, विमानन अभियन्ताओं/क्वॉलिटी मैनेजर, अपर निदेशक (तकनीकी), प्रबन्धक (परिचालन), चीफ ऑफ फ्लाईट सेफ्टी व अन्य तकनीकी एवं गैर तकनीकी कार्मिक) के पारिश्रमिक के पुनर्निर्धारण के सम्बन्ध में अपर मुख्य सचिव, वित्त विभाग, उ0प्र0 शासन की अध्यक्षता में गठित समिति की बैठक दिनांक 12 दिसम्बर, 2024 में की गई संस्तुति के अनुसार किए जाने पर मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया।

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