पटना में बिहार प्राइड परेड , समावेशिता और LGBTQ+ अधिकारों का प्रतीक बना आयोजन

पटना, 14 जुलाई 2025 – समावेशिता और गर्व के रंगों में रंगी पटना की सड़कों पर एक बार फिर से विविधता का उत्सव मनाने की तैयारी जोरों पर है। स्थानीय गैर-सरकारी संगठन दोस्ताना सफर के तत्वावधान में आयोजित होने वाली वार्षिक बिहार प्राइड परेड इस वर्ष भी होने वाली है। हालांकि 2025 की परेड की आधिकारिक तिथि अभी घोषित नहीं हुई है, लेकिन परंपरागत रूप से यह आयोजन जुलाई माह के मध्य में होता है और बिहार ट्रांसजेंडर फेस्टिवल (किन्नर महोत्सव) के आसपास ही आयोजित किया जाता है।

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2012 में गांधी मैदान से डाकबंगला चौक तक एक छोटी सी “प्राइड वॉक” के रूप में शुरू हुआ यह आयोजन आज एक भव्य जनांदोलन में तब्दील हो चुका है। शुरुआती वर्षों में कुछ दर्जन प्रतिभागियों तक सीमित यह परेड अब सैकड़ों की भागीदारी का गवाह बन चुकी है, विशेषकर 2022 और 2024 में कंकड़बाग और कदमकुआं जैसे इलाकों में यह रंग-बिरंगी भीड़ देखी गई।

इस परेड की खास बात यह है कि यह केवल उत्सव नहीं, बल्कि नीतिगत मांगों का मंच भी है। 2023 की परेड में आयोजकों ने ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए मासिक पेंशन योजना की मांग प्रमुखता से उठाई थी। उन्होंने बताया कि तमिलनाडु, ओडिशा, राजस्थान, मणिपुर और हाल ही में झारखंड जैसे राज्यों में ऐसी योजनाएं पहले से ही लागू हैं।

दोस्ताना सफर, जो 2012 में पंजीकृत हुआ था, बिहार ट्रांसजेंडर फेस्टिवल (किन्नर महोत्सव) का सह-आयोजन भी करता है। यह आयोजन सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, पैनल चर्चाओं और सशक्तिकरण कार्यशालाओं के माध्यम से सामाजिक स्वीकार्यता को बढ़ावा देने का कार्य करता है।

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परेड के दौरान प्रतिभागी इंद्रधनुषी झंडे लहराते हैं, बैनर, शंख और नारे लेकर समाज में गरिमा और सम्मान की पुकार लगाते हैं। 2022 के एक प्रतिभागी अंकित आनंद ने कहा:

“हम गे हैं, बायसेक्शुअल हैं, ट्रांसजेंडर हैं और हमें अपनी पहचान पर गर्व है। अब समाज को भी हमें स्वीकार करना चाहिए।”

एक स्वयंसेविका ने कहा:

“ये लोग अनमोल रत्न की तरह हैं। इनका लिंग इनका है, हमारा नहीं। हमें इन्हें इंसान की तरह स्वीकार करना चाहिए और मज़ाक बनाना बंद करना चाहिए।”

2024 में यह परेड 14 जुलाई को किन्नर महोत्सव के साथ आयोजित हुई थी, जिसने इस तारीख को बिहार में ट्रांसजेंडर गौरव के प्रतीक के रूप में स्थापित किया। कई वर्षों में यह आयोजन प्रेमचंद रंगशाला जैसे स्थानों पर हुआ है, जहां बड़े-बड़े झंडों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और जन नीतियों के समर्थन में उठती आवाज़ों ने समावेशी समाज की मांग को और सशक्त किया है।

परेड से आगे बढ़ते हुए, दोस्ताना सफर बिहार में LGBTQ+ अधिकारों पर निरंतर संवाद और पहल करता आ रहा है। यह संगठन गरिमा गृह जैसी योजनाओं में भी सहयोग करता है — एक ऐसा आश्रय जो बिहार सरकार की साझेदारी में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण प्रदान करता है।

हालांकि 2025 की परेड की तारीख की घोषणा अभी नहीं हुई है, लेकिन परंपरा के अनुसार इसके जुलाई मध्य में आयोजित होने की संभावना है। कार्यकर्ता मानते हैं कि यह आयोजन केवल विविधता का उत्सव नहीं, बल्कि समानता की लड़ाई को ज़िंदा रखने का एक महत्वपूर्ण मंच है।

जैसे-जैसे बिहार में LGBTQ+ आंदोलन का आधार मजबूत होता जा रहा है, यह परेड केवल एक तिथि नहीं, बल्कि एक आंदोलन का प्रतीक बन चुकी है — जहां हर वर्ष पटना की गलियों में गर्व, संघर्ष और उम्मीद की आवाज़ गूंजती है।

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