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बिहार की लोक कथाओं तथा किवदंतियों पर आधारित यह लोक नाटक नौटंकी शैली का नाटक है। कथा सूत्र एवम् प्रसंग नट तथा नटी संवहन करते हैं।
फूल सिंह निम्न जाति का पेशेवर योद्धा हैं। उसकी दो भाभियाँ उसी के साथ रहती हैं। दो बड़े भाई भी पेशेवर योद्धा है। नट और नटी से प्रेम नगर की राजकुमारी नौटंकी की प्रसंशा सुनकर वह नौटंकी को देखने को व्याकुल हो जाता है। नौटंकी राजा हरिसिंह की इकलौती संतान है। राजा बहुत कूर प्रकृति का हैं। वह अपनी प्रजा पर तरह-तरह के जुल्म करता हैं। स्वयंवर के बहाने वह युवकों को तरह-तरह से सजा देती है। जब उसकी सवारी निकलती है, तो राजमार्ग के दोनों ओर ब्याह के इच्छुक युवकों की कतार लग जाती है। परन्तु सबकी नजरें नीचे झुकी हुई। राजकुमारी को आँख उठाकर देखना मृत्यु को बुलाना है। राजकुमारी अपने रथ पर रखी विभिन्न वस्तुओं को फेंक – फेंक कर युवकों को उपहार देती है। परन्तु यह भी राजकुमारी की एक चाल है। अक्सर उपहार के रूप में ईट-पत्थरों के टुकड़े होते हैं। अगर कोई युवक उनसे बचने की कोशिश करता, तो नौटंकी समझ जाती है कि वह युवक चोरी चुपके उसे देख रहा है और उसी रथ से कुचल कर उसे मृत्युदंड दिया जाता है।
फूल सिंह चोरी चुपके नौटंकी को देख लेता है। परन्तु पत्थर की मार से परहेज नहीं करता। वह लहुलुहान हो जाता है। नौटंकी की सुंदरता पर वह फिदा हो जाता है। फूल सिंह उग्र स्वभाव का है। वह अक्सर अपनी खामियों पर रौब गांठा करता है। एक बार चिढ़कर उसकी भाभियों ने उसे ताना मारा – “अगर इतना ही वीर हो, तो नौटंकी से ब्याह करके दिखाओं।” यह बात फूल सिंह को लग जाती है। वह घर छोड़कर प्रेम नगर की राह पकड़ता है। राजमहल की बूढ़ी मालिन को प्रभावित करके वह राजकुमारी के लिए सुंदर माला बनाता है। जब राजकुमारी माला देखती है तो चकित रह जाती है। पूछने पर मालिन बताती है कि यह माला उसकी भतीजी ने बनायी है। नौटंकी भतीजी से मिलने की मंशा जाहिर करती है। मालिन फूल सिंह को सारी बात बताती है। फूल सिंह स्त्री वेश में नौटंकी के शयन कक्ष में पहुँचता है। उसकी कदकाठी सुंदरता और मर्दानी आवाज पर नौटंकी मोहित हो जाती है। वह फूल सिंह को अपनी खास, सखी बना लेती है। रात बीतने पर नौटंकी इच्छा जाहिर करती है कि यदि फूल सिंह पुरूष होता, तो तुरंत शादी कर लेती। फूल सिंह अपने आपको पुरूष के रूप में पेश कर देता है। पहले तो नौटंकी नाराज होती है। परन्तु बाद में उसके प्रेमपाश में फँस जाती है। दोनों का प्रेम परवान चढ़ने लगता है। तभी हरिसिंह को इसकी भनक पड़ जाती है । वह फूल सिंह को कैद कर लेता है। उसे मृत्युदंड की सजा दी जाती है। नौटंकी वधशाला में पहुंचती है। हरिसिंह से विद्रोह कर देती है। वह फूल सिंह के साथ ही मरना चाहती है। पिता हरिसिंह अंत में झुक जाता है। फूल सिंह और नौटंकी की शादी हो जाती है।
पात्र परिचय (मंच पर )
नट – सैंटी कुमार
नटी – अर्पिता घोष
फूल सिंह – संजय सिंह
नौटंकी – शांति प्रिया
मोहिनी भाभी – सोमा चक्रवर्ती
तारा भाभी – प्रीति कुमारी
चंपा मालन – सुरभि सिंह
महाराज – अमिताभ रंजन
सिपाही १ – अतिश कुमार
सिपाही २ – संजय कुमार
गोरखनाथ – आशुतोष कुमार
गरबरिया – ओमप्रकाश
__संगीत पक्ष :-
रामकृष्ण सिंह ( हारमोनियम वादक व मुख्य गायक )
विकास कुमार ( ढोलक वादक )
मिथलेश कुमार ( नगाड़ा वादक )
बूच्चूल भट्ट ( क्लैनेट )
अरविन्द कुमार , दिनेश कुमार व संटू कुमार
( इफैक्ट व कोरस )
अर्पिता घोष ( गायिका )
नेपथ्य :-
रूपसज्जा – अशोक घोष
वेषभूषा – सोमा चक्रवर्ती व अभय सिन्हा
सहायक निर्देशक – संजय सिंह व सोमा चक्रवर्ती
पूर्वाभ्यास प्रभारी – अमिताभ रंजन
मंच सज्जा – सुनील कुमार शर्मा
नृत्य निर्देशन – सोमा चक्रवर्ती व अर्पिता घोष
प्रकाश परिकल्पना – रौशन कुमार
संगीत परिकल्पना – मनोरंजन ओझा
संगीत निर्देशन व मुख्य गायक – रामकृष्ण सिंह
नाट्य लेखन व गीतकार – अरूण सिन्हा
परिकल्पना व निर्देशक – अभय सिन्हा
प्रस्तुति – प्रांगण , पटना ( बिहार )
लोगों ने इन्द्रधनुष कार्यक्रम के माध्यम से बिहार के तमाम व्यंजनो का लुत्फ उठाया साथ ही हस्तशिल्प मेला में वन्दना पाण्डेय द्वारा संचालित स्टौल पर सिल्क की साड़ी व मधु जी के स्टौल पर हस्त निर्मित ओढ़नी का विशेष प्रदर्शनी एवं एक से बढ़ कर एक चित्रकारी का भी प्रदर्शनी लगाया गया ।
दूसरा कार्यक्रम हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें बबिता साकिया (असम) सूर्या गुरु (ओडिसा) नेहाल कुमार सिंह निर्मल( बिहार), प्रसाद रत्नेश्वर (बिहार) के कवि की कविताओं ने लोगों को खूब गुदगुदाया ।
फैशन शो का आयोजन किया जिसमे सभी प्रदेश के कलाकारों की भागीदारी रही। जिसके कोरियोग्राफर सूरज गुरु (ओडिसा) का रहा। बहुत ही मनोरम दृश्य का समायोजन किया गया।
लोक नित्य में कालबेलिया,भांगड़ा, जट जटिन, बिहू एवं राजस्थान के लोक नृत्य से आज के कार्यक्रम का समापन हुआ।