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कालिदास रंगालय में दिनांक 6 दिसंबर को कला संस्कृति एवं युवा विभाग भारत सरकार एवं बिहार सरकार द्वारा प्रायोजित प्रांगण, पटना की प्रस्तुति “पाटलिपुत्र नाट्य महोत्सव 2024” के आखिरी दिन मंच पर पहली प्रस्तुति पंचासुर, गुवाहाटी (असम) की
महानायक लक्षित (असमिया)
नाटककार
रोशमी रेखा सैकिया / प्रोबिन कुमार सैकिया
निर्देशकः प्रोबिन कुमार सैकिया
कथासार
असम के मध्यकालीन इतिहास के प्रमुख और महत्त्वपूर्ण योद्धा है-लाचित बोरफूकन। उनकी वीरता, युद्ध-कौशल और रणनीतियों के चर्षे आज भी असम के वाचिक परम्परा में गौरव गाथा की तरह गाये जाते हैं। इसके अलावा वे आमजन के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के चहरे के तौर पर भी याद किये जाते हैं। सतरहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में हुए सराईघाट और अलाबोई के युद्ध में उनके द्वारा प्रदर्शित किये गए साहस, हुनर और कौशल के किस्से आज भी लोगों की जुबान पर तैरते हैं। वे असम के अहोम राजवंश के सेनापति थे और इन युद्धों में नेतृत्त्व इन्हीं के हाथ में था, जिसमें अहोम राजवंश को जीत मिली थी। इन युद्धों में मुगलों की हार हुई थी और उनके विस्तारवादी अभियान को ब्रेक लगी थी। सराईघाट का युद्ध गुगलों द्वारा लड़ा गया अन्तिम युद्ध भी माना जाता है। चुनौतियों का साहसपूर्वक सामना करने के दिन के तौर पर लाचित बोरफूकन को आज भी बेहद आदर के साथ याद किया जाता है।
मंच पर
सुरूज कुमार कलिता, सौमर ज्योति बोरा, अभिजीत चागमाई, देबोजीत डेका, अंगशु प्रतिम सैकिया, बोइदुर्व्या चांगमाई, मयूर फुकन, नियार सैकिया, कनिका इगती, दीपान्दिता तालुकदार, प्रीती ढोले ।
नेपथ्य
प्रकाश: हेमंता राजकोनवर, संगीत डिजाइन संचालन और वस्त्र विन्यास रोशनी रेखा सैकिया ।
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मुख मंच पर दूसरी प्रस्तुति
इंस्टिट्यूट ऑफ फैक्चुअल थियेटर आर्ट्स (इफ्टा), कोलकाता (पश्चिम बंगाल) की प्रस्तुति
डालिया (हिन्दी/बंगला)
मूल कहानी: रवीन्द्रनाथ टैगोर
नाटककार : इषीकेश सुलभ
निर्देशकः देवाशीष दत्ता / श्री चक्रवर्ती
कथासार
औरंगजेब से हार के डर से शाह सुजा ने अपनी तीन बेटियों के साथ अराकान का आतिथ्य स्वीकार किया। अराकान के राजा चाहते हैं कि उनके राजकुमार शाह सुजा की खूबसूरत बेटियों से शादी करें। पर शाह सूजा इस प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं। अराकान राजण के आदेश पर, शाह सूजा को घोखे से एक नाव में बिठाया गया और नदी में डुबोकर उसकी हत्या करने की कोशिश की गई। शाह सूजा ने अपनी छोटी बेटी अभीना नदी में स्वयं को फेंक दिया और बड़ी बेटी ने आत्महत्या कर ली। शाह सूजा अपने एक मरोसेमंद कर्मचारी रहमत अली जुलिखा के साथ नदी तैरकर बच निकला। नदी में फेंकी गई अमीना किसी तरह बच गई। वह जेल की कोठरी में पली-बढ़ी। अराकान राजा की मृत्यु के बाद राजकुमार का राज्याभिषेक हुआ। अमीना को बन्दीगृह में पाकर मेजो जुलिखा उसके पास आई। जुलिखा के हृदय में प्रतिशोध की अग्नि घधक रही है। यह दिल्ली की गद्दी हथियाना चाहता था और उधर अमीना बूढ़े धीबर की झोपड़ी के प्राकृतिक वातावरण में खुश है। डालिया नाम का सहज युवा उस कुटिया में खुशी लाता है। घर के कामकाज में मददगार डालिया धीरे-धीरे अनीना को पसंद आने लगती है। इस बीच, रहमत अली अराकान शाही दरबार में एक अलग व्यक्ति के अधीन काम करता है। पता चलता है कि शाह शुजा की बेटियों मिल गई हैं। राजा उसे तुरंत महल में लाने की व्यवस्था करवाते हैं। जुलिखा रोमांचित हो गई, यही बदला लेने का मौका है। खूबसूरती से रखा गया दुल्हन की तरह सजी अमीना को हस्तनिर्मित चाकू दिया जाता है। अमीना डरते-डरते राजा के कमरे में प्रवेश करती है।
मंच परः
डालिया: देवाशीष दत्ता, अमीना श्री चक्रवर्ती, धीबर: कार्तिक बेरा, कथावाचक: प्रोसेनजीत मट्टाचार्य, जुलिखा: रेशमा
दास, रहमत: अंजीत मजूमदार, चुड़ैलें मीली माजी / सहस्र दास / शीर्षद्र नाथ चक्रवर्ती, जीव स्पंदन चटर्जी/मौसोना
दास /सुरजीत कर्माकर / पूजा राय ।
नेपथ्य:
प्रकाश: प्रोसेनजीत मट्टाचार्य, संगीत कृष्णु बनर्जी, गायक सुमित सरकार, मंच विन्यास अदरीश कुमार रॉय और अजाय प्रधान।
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नुक्कड़ मंच पर रंगप्रभात, पटना (बिहार) की प्रस्तुति “हवालात”
लेखक:सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
निर्देशक- अमित राज
नुक्कड़ पर दूसरी प्रस्तुति स्पेस, फुलवारी शरीफ, पटना बिहार का काठ का उल्लू लेखक : विजय, निदेशक : उदय कुमार
नुक्कड़ पर आखिरी प्रस्तुति प्रांगण परिवार द्वारा लोक गीत के साथ संपन्न हुआ।