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पटना, 15 अप्रैल 2025: अक्षत सेवा सदन में आज ऑर्थोपेडिक सर्जरी (Orthopedic Surgery) के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की गई, जब बिहार में पहली बार MIROS Technique का उपयोग कर फ्रैक्चर की सर्जरी बिना बड़े चीरे और बिना सामान्य बेहोशी के की गई। यह मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया (Minimally Invasive Procedure) उच्च जोखिम वाले मरीजों के लिए एक अधिक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प प्रदान करती है।
MIROS (Minimally Invasive Reduction and Osteosynthesis System) एक अत्याधुनिक शल्य चिकित्सा तकनीक है जिसे खासकर ऊपरी अंगों में फ्रैक्चर के इलाज के लिए विकसित किया गया है—जैसे:
इस तकनीक में लचीले K-wires (Kirschner Wires) का उपयोग किया जाता है जिन्हें टूटी हुई हड्डियों के टुकड़ों में डाला जाता है और बाहरी क्लैम्प (External Clamps) की सहायता से सुरक्षित किया जाता है। यह पारंपरिक ओपन सर्जरी की आवश्यकता को कम करता है, रक्त की हानि (Blood Loss) को घटाता है और चिकित्सा प्रक्रिया की गति (Faster Healing) को बढ़ाता है।
Dr. Mario Tangri (Italy) द्वारा विकसित यह तकनीक विशेष रूप से उन बुजुर्ग मरीजों के लिए लाभकारी है जो Osteoporotic Bones से पीड़ित हैं, या जहाँ सर्जिकल संसाधन (Surgical Infrastructure) सीमित हैं।
Dr. Amulya Kumar Singh ने बिहार में पहली बार MIROS Technique का उपयोग कर दो उच्च जोखिम वाले मरीजों की सफल सर्जरी की:
इनके कंधे और जांघ की हड्डी (Fractured Shoulder & Femur) टूटी हुई थी और वे गंभीर किडनी रोग (Kidney Disease) से ग्रसित थे, जिससे सामान्य बेहोशी देना अत्यंत जोखिम भरा था। MIROS तकनीक की सहायता से बिना बेहोशी और बड़े चीरे के उनकी हड्डी को सफलतापूर्वक ठीक किया गया।
तीसरी मंज़िल से गिरने के कारण उनके छाती की कई पसलियाँ (Multiple Rib Fractures), कलाई की हड्डी (Wrist Fracture) और अन्य कई चोटें आई थीं। उनकी हालत इतनी गंभीर थी कि कोई टीम बेहोशी देकर ऑपरेशन करने को तैयार नहीं थी। लेकिन MIROS Method की मदद से उनकी पसलियाँ और कलाई स्थिर की गईं और वे अब तेजी से स्वस्थ हो रहे हैं, साथ ही उन्होंने Arm और Elbow Movement वापस पा ली है।
डॉ. अमूल्य कुमार सिंह ने बताया कि MIROS Technique का उद्देश्य कम जटिलताओं के साथ तेज़ और सुरक्षित रिकवरी देना है, खासकर उन मरीजों के लिए जो पारंपरिक सर्जरी के लिए उपयुक्त नहीं होते।
प्रमुख लाभ:
इस प्रक्रिया में प्रयुक्त Flexible K-wires हड्डियों को Micro-Movements की अनुमति देते हैं, जिससे Natural Bone Regeneration होता है और Soft Tissue को नुकसान नहीं पहुंचता।
इस तकनीक के प्रदर्शन के दौरान अक्षत सेवा सदन में कई विशेषज्ञ डॉक्टर उपस्थित थे:
इसके अलावा Akshat Seva Sadan के सभी स्टाफ ने इस ऐतिहासिक प्रक्रिया में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
संस्थान ने फिर से दोहराया कि उनका लक्ष्य रोगियों को विश्वस्तरीय चिकित्सा उपलब्ध कराना और Global Technologies के माध्यम से तेज़ और सुरक्षित उपचार सुनिश्चित करना है।
इस सफलता के साथ, Akshat Seva Sadan और Dr. Amulya Kumar Singh ने बिहार में Orthopedic Care के क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान की है—जो भविष्य में फ्रैक्चर उपचार का चेहरा बदल सकती है।
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