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नाटक – सनेहीय के नाच कथासार
नाटक “सनेहिया के नाच” देश के प्रसिद्ध नाटककार व कहानीकार हृषिकेश सुलभ की कहानी “बुड़ा वंश कबीर का पर आधारित एक नाटक है जो समाज में घट रहे मानवीय मूल्यों की गहराई से पड़ताल करता है. इस नाटक में एक ऐसे समाज का चेहरा बेनकाब होता है जो सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए ही सारी मान्यताएं तय करता है. इस कहानी के मुख्य नायक लट्ररी मिसिर व नायिका फ़रीदन दोनों समाज के अलग- अलग वर्गों से जाते हैं,
दोनों समाज के सताए ऐसे लोग हैं जिससे समाज ने तब तक किसी तरह का सम्बन्ध नहीं रखा जब उन्हें समाज की जरूरत थी और जब दोनों ने समाज के परवाह के बिना अपनी ज़िन्दगी अपने तरह से जीना शुरू किया तो मारा समाज उनके खिलाफ हो गया. नाटक में नटुरी मिसिर और फ़रीदन समाज के बिलकुल हाशिये पर खड़े आदमी का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसे कोई अधिकार नहीं की वो अपनी ज़िन्दगी अपने तरीके से जीये. नाटक मनेहिया के नाच की प्रदर्शन शैली बिरहा गाथा शैली में है, रंगमंच के इतिहास में वे पहली बार है जब बिरहा जो की मूल रूप से गायन शैली है का प्रयोग नाटक में किया गया हो. नाटक की भाषा भोजपुरी व हिंदी है, नाटक में जो गीत प्रयोग किये गये हैं वो शुद्ध रूप से लोक संगीत है. नाटक में बिरहा गायन शैली का प्रयोग से नाटक की कहानी को एक नए तरह की संरचना प्रदान करता है. कहानियों के रंगमंच की शैली में आप इस नाटक को एक प्रयोग के रूप में देख सकते हैं
मंच पर
गायन मंडली
अखिलेश सिंह
सुनील कुमार
संतोष कुमार
मोरी इमरान
सोनू कुमार हन्नी
मच परे
गीत – राहुल कुमार मौर्या
संगीत / मुख्य स्वर/ हारमोनियम अखिलेश सिंह
नाल – सुनील कुमार
झाल- संतोष कुमार
नगाड़ा मिथलेश कुमार
प्रकाश – विनय कुमार
रूप-सज्जा – जीतेन्द्र जीतू
वस्त्र विन्यास – सुलताना परवीन
रग वस्तु प्रिंस प्रणव, अमर कुमार, अभिषेक कुशवाहा,
सेट गोविंद, सुनील जी, सोनू कुमार
मंच व्यवस्था व प्रभारी दिव्यांशु अंशुल शुक्ला, हिमाशू कुमार,
विश्वजीत कुमार
पूर्वस्याम प्रभारी – राखी कुमारी
प्रस्तुति नियंत्रक मो० इमरान
प्रस्तुति – आशा रेपेट्री, और द एक्टर’स स्पेस एन एक्टिंग स्कूल
मूल कहानीकर हृषिकेश सुलभ
परिकल्पना व निर्देशन – मोहम्मद जहाँगीर
निदेशक के बारे में:-पिछले 13 वर्षों से बिहार रंगमंच में सक्रिय, छपरा के ग्रामीण रंगमंच से
रंगमंच की शुरुआत, देश के प्रतिष्ठित नाट्य विद्यालय, मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय, भोपाल से रंगमंच की शिक्षा प्राप्त करने के बाद वर्ष 2017 में स्कॉलरशीप प्रदान किया, जिसके अतंरगत पटना में पुरे एक वर्ष तक निःशुल्क नाट्य प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया। जिसमें लगभग 200 से ज्यादा युवा जुड़े, जो आज देश के अलग- अलग नाट्य विद्यालयों, विश्वविद्यालयों और संस्थानों में सक्रिय हैं। इस कार्यशाला से बिहार में कम्युनिटी थियेटर को एक गति प्रदान हुई तब से लगातार बिहार के विभिन्न जिलों में एक निदेशक के रूप में रंगमंच को बढ़ावा देने हेतु अभिनय कार्यशाला का आयोजन कर नए युवाओं को रंगमंच का गहन प्रशिक्षण दे रहे हैं। देश के विभिन्न राज्यों में अभिनय कार्यशालाओं में एक निदेशक व प्रशिक्षक के रूप में लगातार सक्रिय हैं, अब तक लगभग एक दर्जन से अधिक कहानियों व नाटकों का मंचन अपने निर्देशन में कर चुके हैं। आपके निर्देशन में अब तक लगभग 300 नुक्कड़ नाट्य प्रस्तुतियां हुई हैं।
आपको वर्ष 2015-16 में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के द्वारा रंगमंच के क्षेत्र में में कार्य करने हेतू राष्ट्रीय फेलोशिप प्रदान किया गया, रंगमंच के क्षेत्र में काम करने हेतू आपको बिहार का प्रतिष्ठित सम्मान रंगकर्मी प्रवीण स्मृति सम्मान 2016 से सम्मनित किया गया। आपको राजेंद्र महाविद्यालय, छपरा में विद्यार्थी रहते हुऐ भारत सरकार खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा वर्ष 2008 में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय सेवा योजना के राष्ट्रीय सम्मान से भी सम्मानित किया गया।
जहांगीर एक रंगकर्मी अभिनेता व निदेशक के रुप में अपनी एक रंग भाषा की खोज कर रहे हैं, जिसे कहानियों के रंगमंच के विस्तार की शैली के रूप में देखा जा सकता है जिसमें वे खाली मंत्र में प्रतीकों, रंगों और लोकधुनों के साथ ही सबसे महत्वपूर्ण अभिनेता के शरीर से कहानी कहने के नए तरीके को गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। वर्तमान में अपनी रंग संस्था आशा रिपर्टरी के साथ विहार रंगमंच में सक्रिय हैं