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Dayanand singh
राघोपुर प्रखंड के रुस्तमपुर गांव में आज उस समय गमगीन माहौल पैदा हो गया, जब इलाके की सबसे प्रिय और लोकप्रिय हाथिनी “सुंदर कली उर्फ सुंदरी” की लंबी बीमारी के बाद मौत हो गई। लगभग 60 वर्ष की इस मूक प्राणी की मौत ने न केवल उसके मालिक राम बिलास राय के परिवार को बल्कि पूरे इलाके को गहरे शोक में डाल दिया है।
सुंदरी का इस क्षेत्र से जुड़ाव केवल एक पालतू जानवर के रूप में नहीं था, बल्कि वह स्थानीय संस्कृति, भावनाओं और परंपराओं का हिस्सा बन चुकी थी। उसका इंसानों जैसा व्यवहार, लोगों के प्रति स्नेह और उसकी सौम्यता ने उसे हर उम्र के लोगों का प्रिय बना दिया था। बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक, हर कोई उसे अपने परिवार का सदस्य मानता था।
सुंदरी की कहानी भी उतनी ही भावनात्मक है। बताया जाता है कि 1969 में राम बिलास राय के पिता ने सोनपुर मेला से महज 5-7 साल की उम्र में इस हाथिनी को खरीदा था। तब से लेकर अब तक वह राय परिवार की धरोहर और पूरे क्षेत्र की शान बनी रही। सुंदरी ने गांव के हर पर्व, शादी-ब्याह और धार्मिक अवसरों में भाग लिया और लोगों के जीवन में खुशियाँ बांटी।
बीते 10 दिनों से सुंदरी बीमार चल रही थी। इलाज के लिए पटना से लेकर पश्चिम बंगाल तक के विशेषज्ञ डॉक्टरों को बुलाया गया, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद आज सुबह उसकी सांसें थम गईं। जैसे ही हाथिनी की मौत की खबर फैली, पूरे गांव और आसपास के इलाकों में मातम छा गया। दूर-दराज के गांवों से लोग उसे अंतिम बार देखने के लिए उमड़ पड़े।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सुंदरी की मौत से ऐसा महसूस हो रहा है जैसे किसी परिजन का देहांत हुआ हो। कई लोग फूट-फूट कर रोते हुए नजर आए। वहीं, गांव के बुजुर्गों ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में पहली बार किसी जानवर के लिए इतनी भावनात्मक प्रतिक्रिया देखी है।
हाथिनी के अंतिम संस्कार की तैयारी भी पूरी विधि-विधान से की जा रही है। ग्रामीणों ने बताया कि सरकारी और सामाजिक प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद सुंदरी का अंतिम संस्कार सम्मानपूर्वक किया जाएगा। इस अवसर पर पूरे क्षेत्र में शोक सभा आयोजित करने की योजना है, जिसमें लोग सुंदरी को श्रद्धांजलि देंगे और उसकी यादों को साझा करेंगे।
सुंदरी की मौत से न सिर्फ एक जानवर का अंत हुआ है, बल्कि एक युग का समापन भी हुआ है। उसकी स्मृतियाँ आने वाले वर्षों तक लोगों के दिलों में जीवित रहेंगी।
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